शिमला/चंबा। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की सचिव व डलहौजी विधानसभा क्षेत्र की विधायक व पूर्व मंत्री आशा कुमारी को चंबा की एक अदालत ने 67.3 बीघा जमीन हड़पने के एक मामले में एक साल की सजा सुना दी है।चंबा के सेशन जज पदम देव गोयल ने अपने फैसले में आशा कुमारी व सात और लोगों को ये सजा सुनाई है।
1998में धूमल सरकार के दौरान डलहौजी नगर परिषद के पूर्व पार्षद कुलदीप सिंह ने एक शिकायत दी कि डलहौजी के पास लगभग 67.3 बीघा भूमि को आशा कुमारी व उनके पति बिजेंद्र सिंह ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध तौर पर अपने नाम कर लिया है। जिस पर आशा कुमारी व उनके पति बिजेंद्र सिंह व बाकी लोगों के खिलाफ विजीलेंस में एफआईआर दर्ज की गई थी।धूमल सरकार ने इस मामले की जांच कराई और चालान अदालत में पेश कर दिया उस समय नूरपूर से भाजपा विधायक राकेश पठानिया और आशा कुमारी की बेहद करीबी सहेली रेणू चढढा , बाद में भाजपा विधायक रही ,ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।जांच के दौरान जिन लोगों को आशा मृत करार दिया गया था ,वो बाद जीवित मिले।
इस बीच प्रदेश में सरकार बदली और २००३ में कांग्रेस सरकार सता में आ गई।कांग्रेस सरकार के कार्याकाल में ही अदालत ने ४ जनवरी 2005 को सारे पक्षों को सुनने के बाद आशा कुमारी व उनके दिवंगत पति राजकुमार ब्रजेन्द्र सिंह सहित 12 लोगों आरोप तय कर दिए थे।
हालांकि इस बीच जज को डराने तक के आरोप लगे थे।जिसके खिलाफ आशा कुमारी ने प्रदेश हाईकोर्ट में आरोप तय होने को चुनौती दे दी। उन्होंने दलील दी कि आरोप तय करने से पहले उन्हें नहीं सुना गया।हाईकोर्ट ने उन्हें आंशिक राहत दी और आदेश दिए कि उनका पक्ष सुना जाए। इसके बाद ये मामला धूमल सरकार के समय २०११ में सुप्रीम कोर्ट गया ।धूमल सरकार ने हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दी गई राहत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपना कर सेशन जज के आरोप तय करने के फैसले को सही करार देकर दिया।
अब सेशन कोर्ट चंबा ने आशा कुमारी व बाकी आरोपियों को एक साल की सजा सुना दी है।
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