शिमला। कोरोना विषाणु की इस संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से तमाम उदयोगपितयों से श्रमिकों, आपरेटरों व अन्य तबकों की छोटी रकमों की अदायगी करने के आहवान का अंबुजा सीमेंट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।यहां पर हजारों छोटे ट्रक आपरेटरों की बकाया ढुलाई के भाड़े की अदायगी नहीं हुई है। ऐसे में जिला सोलन के दाड़लाघाट में स्थित अंबुजा सीमेंट कारखाने में सीमेंट ढुलाई के काम में लगे हजारों ट्रक आपरेटरों की बकाया रकम की अदायगी न होने का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चौखट पर पहुंच गया है। ट्रक आपरेटरों की यूनियन ने अंबुजा कंपनी की ओर से उनके बकाया राशि की अदायगी न करने का मामला आनलाइन प्रधानमंत्री के नोटिस में लाया है।
सोलन जिला ट्रक सहकारी यूनियन के अध्यक्ष रतन मिश्रा ने कहा कि करीब चार हजार ट्रक आपरेटर अंबुजा सीमेंट के कारखाने में ढुलाई का काम कर रहे है। इसके अलावा हजारों चालक व परिचालक भी इसी सीमेंट कारखाने पर निर्भर है।अबुजा सीमेंट की ओर से हर सप्ताह उनके भाड़े की अदायगी होती थी। लेकिन बंदी के बाद अंबुजा सीमेंट की ओर से किसी भी ट्रक आपरेटर की अदायगी नहीं हुई है।
इन हजारों आपरेटरों ने बंदी से पहले के दो सप्ताहों के बिल कभी के कंपनी को दे दिए है लेकिन अदायगी के नाम पर एक भी पैसा नहीं आया है।बंदी के बाद आपरेटरों ने अपने चालकों को वेतन दे दिया है। सौ के करीब सीमेंट से लदे ट्रक प्रदेश के भीतर जगह जगह खड़ी है। दस के करीब ट्रक उतराखंड में फंसे है।इनमें से डेढ दर्जन के करीब ट्रकों में सरकारी अदारों की सप्लाई है। इन्हें अभी तक खाली नहीं कराया जा सका है।चालक व परिचालक वहीं फंसे। उनके खाने-पीने व रहने की समस्या अलग से है। जो वाहन जिलों में फंसे है उन्हें भी दाड़ला नहीं आने दिया जा रहा है।
मिश्रा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व उनकी मशीनरी के नोटिस में भी मामला लाया लेकिन कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने प्रधानमंत्री से की आनलाइन शिकायत में कहा है कि उन्होंने तमाम उदयोगपतियों से छोटे कामकाज करने वालों की रकम की अदायगी का आग्रह किया था लेकिन अंबुजा सीमेंट कंपनी की ओर से प्रधनमंत्री के आग्रह को भी अनसुना कर दिया जा रहा है।
मिश्रा ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह अबंुजा सीमेंट कंपनी को इन ट्रक आपरेटरों के भाड़े की अदायगी करने के निर्देश दे। वह कंपनी से कोई अग्रिम नहीं मांग रहे है केवल भाड़ा मांग रहे है व यह बीस करोड़ के करीब की रकम है । अंबुजा जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए ये रकम बिलकुल भी ज्यादा नहीं है।लेकिन छोटे आपरेटरों के लिए ये बहुत मायने रखती है।
मिश्रा ने कहा कि बहुत सी कंपनियां इस संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना योगदानदे रही है लेकिन अंबुजा जैसी कंपनी जो बहुराष्ट्रीय कंपनी है, ने कितना योगदान दिया है,यह अहम है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस कंपनी ने कुछ योगदान अभी तक दिया हो। वह आपरेटरों की बकाया अदायगी ही कर दे ये ही बहुत है।
इस बावत अंबुजा कंपनी के महाप्रबंधक वाणिज्य हिमेश जनारथा ने कहा कि वह इस बावत कुछ भी कहने को अधिकृत नहीं है।
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