शिमला। अदाणी पावर को अप फ्रंट मनी के 280 करोड़ रुपए व साथ में नौ फीसद ब्याज के मामले में नया मोड़ आ गया हैं। जानकारी के मुताबिक सुक्खू सरकार ने अपना रुख बदलने का फैसला लेते हुए कहा है कि जब तक नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल एनवी जिसे 960 मेगावाट की जंगी थोपन व पोवारी दो पन बिजली परियोजनाओं का ठेका 2006 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने दिया था का निदेशक डीन गेस्टरकैंप नहीं मिलता है तब तक इस पैसे को न लौटाया जाए।
याद रहे डीन गेस्टरकैंप के खिलाफ विजीलेंस ने ब्लू कार्नर नोटिस जारी किया हुआ है लेकिन उसे आज तक पकड़ा नहीं गया हैं। उसके खिलाफ ब्लू कार्नर नोटिस ही क्यों जारी किया गया है रेड कार्नर नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया यह अपने आप में रहस्य बना हुआ हैं।
सरकार की ओर से कहा जा रहा है है कि डीन गेस्टरकैंप ने अदाणी की ओर से जमा कराए अप फ्रंट मनी की 280 करोड़ की रकम को अदाणी को लौटाने के मामले जो एनओसी दी है व सरकार की ओर से ब्रेकल को दिए नोटिस का जवाब जो डिस्टरकैंप ने दिया है उन पर गेस्टरकैंप की ओर से किए गए दस्तख्त अलग –अलग लग रहे हैं। ऐसे में इन दस्तख्तों को सत्यापित करने की जरूरत है व गेस्टरकैंप फरार हैं। इसके अलावा प्री इंप्लीमेंटेंशन एग्रीमेंट में जो गेस्टरकैंप के दस्तख्त है वह भी अलग लग रहे हैं।
गौरतलब हो कि अदाणी ने अदालत में पहले ही कहा कि वह ब्रेकल एन वी कंपनी में बोनाफाइडी इंवेस्टर हैं । जानकारी के मुताबिक सरकार ने अदालत में कहा कि अदाणी को बोला जाए कि वह गेस्टरकैंप को विजीलेंस जांच में सहयोग देने के लिए राजी करे क्योंकि अदाणी को जरूर पता होगा कि गेस्टरकैंप कहां हैं। चूंकि अदाणी गेस्टरकैंप की कंपनी में इंवेस्टर हैं।
यही नहीं सुक्खू सरकार ने यह भी कहा है कि ब्रेकल एन वी ने गलत तथ्य देकर इस परियोजना को हथियाया था व हाईकोर्ट ने इसके आवंटन को रदद कर दिया। इससे इस परियोजना के निर्माण में देरी हुई व सरकार को अरबों रुपए का नुकसान हुआ हैं। सरकार ने 2014 में इस नुकसान की भरपाई के लिए ब्रेकल को 2713 करोड़ रुपए का जुर्माने का नोटिस भेजा था व यह 280 करोड़ रुपए उसकी एवज में वसूला जाना हैं।
याद रहे गेस्टरकैंप ने अप फ्रंट मनी अदाणी को लौटाने की जो चिटठी लिखी थी वह तत्कालीन मुख्यमंत्री को लिखी थी जबकि यह चिठठी प्रधान सचिव पावर को लिखी जानी चाहिए थी।सुक्खू सरकार ने अब कई नए तथ्य सामने लाने की मुहिम छेड़ी हैं। यह मुहिम कितनी कामयाब होती है यह देखा जाना हैं। अभी तो तारीखों पर तारीखें लेने का ही काम हो रहा हैं।
गलत तथ्य बताकर इस परियोजना को हथियाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने 2009 में इस आवंटन को रदद कर दिया था । सुनवाई के दौरान जब अदाणी समूह की अलग–अलग कंपनियों ने ब्रेकल की ओर से अप फ्रंट मनी के 280 करोड़ रुपए जमा कराए थे उसे लेकर जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस वी के आहुजा की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि अदाणी पावर को यह रकम जमा कराने से पहले मालूम था कि जांच में ब्रेकल की ओर से दिए गए तथ्य गलत हैं। ऐसे मे अदाणी ने अपने स्तर पर इस रकम को जमा कराने का जोखिम लिया।नफे व नुकसान के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं।
अदालत में यह मामला बीते 27 मार्च 2023 को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सत्येन वैदय की खंडपीठ के समक्ष लगा था व सुक्खू सरकार की ओर से इस मामले में और समय मांगा। अब मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को निर्धारित की गई हैं।
याद रहे कि ब्रेकल कंपनी को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने 2006-07 में 960 मेगावाट के ये दो पन बिजली प्रोजेक्ट आवंटित किए थे। तत्कालीन भाजपा के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनकी भाजपा ने उस समय में वीरभद्र सिंह सरकार पर इस आवंटन में धांधली के इल्जाम लगाए थे। बाद में धूमल सत्ता में आए और उन्होंने मामले की जांच भी करवाई पर न जाने किसके कहने पर यह परियोजना दोबारा से ब्रेकल को ही आवंटित कर दिया।
(66)