शिमला। बिना चार्जशीट दिए व सुनवाई का मौका दिए हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में हड़ताल पर गए एचआरटीसी के बर्खास्त 30 कर्मचारियों में से दबाब के आगे घुटने टेकते हुए परिवहन मंत्री ने 24 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश वापस ले लिए है।परिवहन निगम की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में ये फैसला ले लिया गया ।इनमें परिवहन मजदूर संघ की एक्शन कमेटी के अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर व उनके 5 साथियों को बहाल नहीं किया गया है। इन्होंने कोई शपथ पत्र नहीं दिया हैै।
इन बर्खास्त कर्मचारियों ने शपथ पत्र में कहा है कि उन्हें परिवहन मजदूर संघ के कुछ कर्मचारी नेताओं ने गुमराह किया अन्यथा वो डयूटी पर आने चाहते थे। मजेदार ये है कि बोर्ड ने उनकी इस दलील को मान लियाा। हालांकि समझा जा रहा है कि बर्खास्त कर्मचारियों से ये शपथ पत्र दबाब में या एक डील के तहत लिए गए है। लेकिन परिवहन मंत्री जी एस बाली ने मीडिया से इस तरह के किसी दबाब से इंकार किया।हालांकि ये अलग मसला हैै।
बर्खास्तगी के आदेश को वापस लेने के लिए तकनीकी तौर पर इन कर्मचारियों को अपील करनी थी लेकिन ऐसी कोई अपील नहीं आई। मंत्री पर दबाव का आलम ये था कि शपथपत्रों को ही अपील मान लिया गया। दिलचस्प ये है कि इन बहाल किए कर्मचारियों के शपथपत्रोंं को पुलिस को आगामी जांच के लिए भेजा गया है,पुलिस को क्यों भेजा गया ये अपने आप अजीब है।इसके अलावा बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि इन कर्मियों की गतिविधियों व रवैयेे पर नजर रख्ाी जााएगी।
मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जो कर्मचारी नेता हड़ताल के जिम्मेदार रहें उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। बर्खास्तगी का ये फैसला लेने से पहले बाली ने मीडिया से कहा कि 11 तारीख को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है व ये शपथ पत्र निगम प्रबंधन ने हाईकोर्ट को भी भेज दिए है।
परिवहन निगम की ओर से 14 व15 जुलाई की हड़ताल की कॉल पर 14 तारीख पर हड़ताल पररहे30 कर्मचारी नेताओंं व कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था। दूसरी ओर इन कर्मचारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला भी चल रहा हैै।बर्खास्त करने सेपहले इन कर्मचारी नेताओं व कर्मचारियों का पक्ष तक नहीं सुना गया। इसके अलावा 160 कर्मचारियों को निलंबित करने की प्रक्रिया चल रही थी।
लेकिन इस बीच प्रदेश अरापत्रित कर्मचारी महासंघ समेत सारे कर्मचारी संगठन एकजूट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान कर चुके थे।महासंघ के अध्यक्ष जोगटा ने सरकार को 15 दिन को समय दिया था व बाली को परिवहन मंत्री के पद से हटाने की मांग कर दी थी। चूंकि अगले साल प्रदेश मेंविधानसभाकेचुनाव होने है ऐसे में सरकार व मंत्री कर्मचारियों के विरोध को झेलने की स्थिति में नहीं है।
सरकार के मुखिया के अपने खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है।उन्हें तो हटाया नहीं गया। जबकि अपने हकों की मांग कर रहे इन एचआरटीसी कर्मचारियों को बिना उनका पक्ष सुने ही बर्खास्त कर दिया। मंत्री बाली के खिलाफ पिछले तीन सालों में विपक्ष ने कई गंभीर आरोप लगाए तो उन्हें भी हटाया नहीं गया। ऐसे में कर्मचारियों पर गाज गिरा देना अजीब लग रहा था।
(2)






