शिमला। आगामी विधानसभा चुनावों में प्रदेश में सरकार बनाने के पूरी संभावनाओं के बावजूद प्रदेश कांग्रेस के नेता चुनाव जीतने के बारे में रणनीति बनाने की जगह नेताओं को बदलने की मुहिम में लगे हुए हैं। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री समेत पार्टी के तमाम बड़े नेताओं की दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मैराथन बैठक हुई जिसमें प्रदेश के कई नेताओं ने साफ किया कि प्रदेश में पार्टी के मौजूदा नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव जीतना आसान नहीं है।
ये नेता पार्टी में कई अन्य बदलाव की भी वकालत कर के आए हैं । खामियों से लेकर खूबियों तक कई तरह की बातें इस पार्टी बैठक में हुई है। आगामी चुनावों से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसे भी घोषित करने की मांग उठी है। पार्टी में दर्जन भर के करीब नेता है जो अंदरखाते खुद को स्वयंभू मुख्यमंत्री घोषित कर चुके है। हर कोई नेता मुख्यमंत्री बनने की चाह पाले हुए है।
कांग्रेस के भीतर अपनी कुर्सी को लेकर चला यह घमासान आने वाले दिनों में क्या गुल खिलाएगा इसको लेकर पार्टी के नेजाओं मे ही कई तरह की शंकाएं है।
पार्टी के नेता ही कहते है कि कांग्रेस में हर कोई अपने लिए लड़ाई लड़ रहा है पार्टी के लिए कोई काम करने के लिए राजी नहीं है। अगर यही हाज रहे ताक आगामी दिनों में पार्टी के कई नेता आम आदमी पार्टी की ओर रुख कर ही जाएंगे। उपचुनावों में जरूर इन कांग्रेसनेताओं ने एकजुटता दिखाई दी थी। लेकिन उस जीत के बाद जिस तरह से पार्टी पर कब्जा करने की मुहिम चल रही है वह पार्टी के लिए सही संकेत नहीं है।
अभी हाल ही में युवा कांग्रेास के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनीष ठाकुर ने पार्टी छोड़ कर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली । उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा भी कि वह पार्टी के बड़े नेताओं की राजनीतिक तानाशाही और पार्टी में चेहेतों को ही तरजीह देने का मसला उठाया । यही नहीं उन्होंने प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला को लेकर भी कहा कि वह हवा में बातें करते है । शिमला नगर निगम के चुनावों की रणनीति की बैठक चंडीगढ़ में करते हैं। जबकि आम आदमी पार्टी और भाजपा प्रदेश में युवाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए काम कर रही है।
मनीष ठाकुर तो महज एक मिसाल है। ऐसे में बहुत से अनेकों नेता है जिन्हें हाशिए पर धकेला हुआ है और जो कांग्रेस के लिए काम करना चाहते है लेकिन उन्हें साथ जोडनें के लिए ही कोई तैयार नहीं है। न नेताओं ने उप चुनावों में भी कांग्रेस का साथ दिया था। इन्हें उममीद थी कि उन्हें पार्टी में मान सम्मान मिलेगा लेकिन उप चुना जीतने के बाद पार्टी के नेताओ के तेवर बदल गए और वह इस अंदाज में सबके साथ पेश आने लगे है कि उनकी तो बस अब सरकार बन ही चुकी है।
ऐसे में पार्टी के ये हाशिए पर पहुंचा दिए गए नेता अब प्रदेश में राजनीतिक तौर पर उभर रहे तीसरे विकल्प आम आदमी पार्टी की तरफ ताकने में लगे है और आम आदमी पार्टी इन्हें लपकने का कोई कोई मौका नहीं छोड़ रही है।
सोनिया गांधी के साथ पार्टी के नेताओं की हुई कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद यह साफ हो गया है कि पार्टी के भीतर का घमासान अभी शांत होने वाला नहीं है। हालांकि हाल ही में पांच राज्यों में कांग्रेस की हुई बुरी हार से ये नेता सदमें में जरूर आए है लेकिन अभी
भी जमीनी हकीकत को मानने को तैयार नहीं है। सोनिया गांधी के साथ बैठक में के बाद इन नेताओं ने बाहर आकर कहा कि हिमाचल में आम आदमी पार्टी का कोई आधार नहीं है। पार्टी का मुकाबला भाजपा से ही है। यह भी साफ करता है कि पार्टी नेताओं को प्रदेश की राजनीतिक जमीन पर क्या चल रहा है उसकी या तो जानकारी ही नहीं है या फिर ये नेता हकीकतको मानने के लिए तैयार नहीं है।
आगामी दिनों में शिमला नगर निगम के चुनाव होने वाले है। शिमला नगर निगम पर लंबे अरसे तक कांग्रेस का कब्जा रहा था।भाजपा पिछली बार नगर निगम पर काबिज हुई तो उसे कांग्रेस के बागी के को अपने साथ मिलाना पड़ा। इस बार अगर वामपंथी पार्टी के अलावा आम आदमी पार्टी ने भी निगम चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है। ऐसे में मतों का बंटवारा चार जगहों पर होगा व सबसे ज्यादा मत कांग्रेस के ही बंटेंगे। इसे लेकर पार्टी ने अभी तक कोई रणनीति नहीं बनाई है। उपचुनावों के बाद कांग्रेस की जनता पर कितनी पकड़ बरकरार है और पार्टी कितनी एकजुट है इसकी झलक निगम चुनावों में मिल ही जाएगी। इसके अलावा इन चुनावों में इस साल के आखिर में होने वाले चुनावें में किस पार्टी की सरकार बनेगी यह भी ईशारा मिल जाएगा।
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