शिमला। सोलन लोकसभा हलके से भाजपा सांसद वीरेंद्र कश्यप की ओर से काम के बदले कैश लेने के मामले में धूमल सरकार के दौरान हुई जांच की रिपोर्ट को निरस्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सांसद वीरेंद्र कश्यप व सरकार को प्रदेश हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
इस मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भटटाचार्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन डीजीपी के 5फरवरी के 2010आदेश पर एसपी सोलन ने जांच की थी और मामले में वीरेंद्र कश्यप को क्लीन चिट दे दी थी। याचिका में कहा गया कि ये जांच निष्पक्ष नहीं थी और मामले को राजनीतिक दबाव में रफा -दफा कर पुलिस की जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि इस मामले में संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।पुलिस ने इस मामले को आखिर तक नहीं ले गई । पुलिस ने सीडी की फारेसिंक रिपोर्ट भी नहीं ली गई थी और आवाज के नमूने भी नहीं लिए थे।
देवाशीष भटटाचार्य ने अदालत से इस स्टिंग आप्रेशन की निष्पक्ष जांच कराने की मांग है। जिस पर हाईकोर्ट की जस्टिस डीडी सूद व कुलदीप सिंह ने सांसद वीरेंद्र कश्यप व सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिएहै।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समय में वीरेंद्र कश्यप को एक टीवी चैनल ने स्टिंग कर किसी संस्थान को खोलने की एवज में कैश लेते दिखाया था। इस पर तत्कालीन धूमल सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।प्रदेश पुलिस ने इस मामले की जांच कर 2 मार्च 2010 को जांच रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी।जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला था।जांच के दौरान ही वीरेंद्र कश्यप ने लोकसभा के लिए पर्चा भरा था और व चुन लिए गए थे।
इस बीच ये मामला लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के सामने भी गया था। स्पीकर केसमक्ष याचिकाकर्ता ने कहा था कि वीरेंद्र कश्यप को सांसद पद से हटा दिया जाए। स्पीकर ने याचिककर्ता को यह कर कर कि ये मामला लोकसभा चुनाव से पहले का है इसलिए उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। उन्होंने याचिका कर्ता को इस मामले को अदालत में ले जाने का सुझाव दिया था।इस मामले से वीरेंद्र कश्यप अौर भाजपा संकट में आ सकती है।
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