शिमला। शराब पिला कर बेसुध कर व पत्थर से बांध नग्नावस्था में चार साल के मासूम युग को जिंदा पानी के टैंक में आधी रात को फैंक कर उसकी बर्बर हत्या कर देने के तीनों आरोपियों को राजधानी की जिला सत्र अदालत ने दोषी करार दे दिया है। पूरे शहर को झकझोर देने वाले इस हत्याकांड में दोषियों की सजा पर 13 अगस्त को सुनवाई होगी।
जिला सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र ठाकुर ने अपने आठ सौ के पन्नों में फैसले में इन तीनों को दोषी ठहरा दिया। अदालत ने जब यह फैसला सुनाया ये तीनों अदालत में मौजूद थे।
मासूम युग का 14 जून 2014 को रामबाजार के द्वारकागढ़ से उसके पड़ोसी चंद्र शर्मा और तिजेंद्र ने अपहरण कर उसके मुंह में टेप लगाकर उसके गत्ते के बॉक्स में भरा व रामचंद्र चौक में तिजेंद्र के गोदाम घर नंबर 22 में ले गए। शाम को चंद्र शर्मा व तिजेंद्र वापस लौट आए जबकि इनका तीसरा साथी विक्रांत बख्शी 21 जून तक जब तक इस मासूम की हत्या नहीं कर दी गई, तब तक वहीं रहा ।
14 जून से लेकर 21 जून तक इन तीनों ने इस मासूम के साथ बर्बता की सारी हदें पार की। पुलिस चालान में सामने आया कि यह मासूम शोर न करे इसलिए इसे शराब पिलाकर बेहोश कर देते थे।
इस मासूम की हत्या का सुराग कभी न लगता अगर सीआइडी के हाथ विक्रांत बख्शी का मोबाइल नहीं लगता। इस मोबाइल में वीडियो मिला जिससे सब कुछ साफ हो गया। वीडियो में पाया गया कि इस मासूम को नग्नावस्था में यहां कमरे में रखा गया और फिर इन्होेंन फिरौती के लिए चिटठी लिखी । चिटठी लिखने के बाद इन्होेंने मासूम बच्चे की करधनी को चिटठी में डाल कर इसे युग के पिता की दुकान के शटर के नीचे से अंदर डाल दिया।
चालान में चार चिटिठयों का जिक्र है । यह चिटिठयां चंद्र शर्मा के हाथ से लिखी पाई गई। राज्य फारेसिंक प्रयोगशाला में चंद्र शर्मा की हाथें की लिखाई से इन चिटिठयों का मिलान किया गया तो यह मिलान हो गया। ये चिटिठयां हत्या के बाद भी लिखी गई थी।
जांच में पाया गया कि इन तीनों ने 21 जून की रात को चौड़ा मैदान से बड़ा ककंरीट का पत्थर उठाया व तिजेंद्र की गाड़ी में डाल कर ये तीनों रामचंद्र चौक पहुंचे। वहां पर इन तीनों ने युग को शराब पिलाई और रात को एक व डेढ बजे के बीच इसे गाड़ी में भराड़ी के समीप क्लीस्टन में निगम के बड़े पानी के भंडारण टैंक के पास ले आए । वहां इन तीनों ने मासूम युग को सेब की पेटी को बांधने वाली प्लास्टिक की नीले व सफेद रंग की रस्सी से पत्थर से बांधा व बेसुध ,नग्नावस्था में जिंदा लाखों गैलन पानी से भरे टैंक में डूबों दिया। इसके बाद यह घर आ गए और युग के पिता के साथ इस मासूम की तलाश करते रहे।
21 जून के बाद चंद्र ने 26 जून को फिरौती लेकर एक चिटठी और लिखी। चिटठी में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा की फिरौती मांगी गई। युग के पिता विनोदकुमार राजधानी के रामबाजार में दुकानकरते है।।लेकिन लंबे अरसे तक पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। बाद में मामला सीबीआइडी को सौंपा गया तो ।
सीआइडी ने इन तीनों के मोबाइलों को लेकर छानबीन की तो पता चला की वह चोरी के दूसरे मामले में केस प्रापर्टी में है। सीआइडी ने अदालत में अर्जी देकर ये मोबाइल हासिल किए तो विक्रांत के मोबाइल में वीडियो मिल गई और अगस्त 2016 में इन तीनों को गिरफतार कर इनसे टैंक से मासूम युग के कंकाल को बरामद किया गया।
सीआइडी ने कंकाल के डीएनए का युग के माता पिता से मिलान किया व यह मिलान हो गया। अभियोजन में मोबाइल से एक ऐसा विडियो भी बतौर सबूत अदालत को दिखाया जिसमें मासूम युग कमरे में नग्नावस्था में नश्ो की हालात
में लेटा हुआ था व वह एक ही बात बार बार कह रहा था पापा मुझे बचा लो । यह वीडियो रौंगंटे खड़ा करने वाला था।
बताते हैं कि ये तीनों मुजरिमों के ट्राल के दौरान हौसलें बुलंद थे। इन्हें जरा भी अपराध बोध नहीं था। लेकिन आज तीनों के मुंह लटके हुए थे।
इस मामले में इन तीनों की जिला बार एसोसिएशन ने पैरवी करने से इंकार कर दिया था । ऐसे में इनकी पैरवी बाहर के वकीलों ने की।
सरकार की और से मामले की पैरवी जिला अभियोजक आर एस परमार ने की। इस मामले में 20 जुलाई 2017 से गवाही का सिलसिला शुरू हुआ । 130 गवाहों में 105 गवाहों की गवाहिंया हुई।गवाहियां 27 फरवरी 2018 तक चली।इसके बाद बहस शुरू हुई । इसके बाद इन तीनों के 313के बयान हुए व अदालत ने इनसे छह सौ सवाल पूछे। अदालत ने इन तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364,347,302 और 201 के तहत दोषी करार दिया है।
परमार ने कहा कि 13 अगस्त को वह इन तीनों के लिए मौत की सजा मांगेंगे।
(0)