शिमला। प्रदेश भाजपा पर धूमल खेमे ने अपना दबदबा कायम रखते हुए आरएसएस के विरोध के बावजूद मौजूदा अध्यक्ष समपाल सती को आज बुधवार को फिर से तीन साल के लिए पार्टी अध्यक्ष चुन लिया है।अब 2017 के विधानसभा चुनाव सती की अध्यक्षता में लड़े जाएंगे ये तय हो गया है।सती तीसरी बार अध्यक्ष चुन लिए गए है।
पार्टी मुख्यालय दीपकमल में चुनाव पर्यवेक्षक गणेशी लाल ने सतपाल सती के प्रदेश अध्यक्ष बनाने की घोषणा की।इससे पहले सुबह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, तीन सांसदों व 20 विधायकों ने सतपाल सिंह सत्ती के नाम का प्रस्ताव किया । इसके बाद उन्हीं के खेमे के पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा ने 20डेलीगेट्स के साथ सती के नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष पद के लिए रखा। बाकी किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया।इस तरह चुनावों में धूमल का जलवा सिर चढ़ कर बोला। यही नहीं धूमल खेमे के ही विधायक विरेंद्र कंवर,विधायक सरवीण चौधरी,अजय राणा और राजीव सहजल को राष्ट्रीय परिषद का सर्वसम्मति से सदस्य चुन लिया गया।अब सती अपनी कार्यकारिणी चुनेंगे
हालांकि इस घोषणा के बाद मोदी सरकार में मंत्री जगत प्रकाश नडडा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं होगा।
पहले समझा जा रहा था कि नडडा अपने किसी सिपहसलार को पार्टी अध्यक्ष बनाएंगे व पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी उन्हें स्पोर्ट करेंगे । लेकिन वो पार्टी केडर को ऐसा संदेश देने में नाकाम रहे।हालांकि ये अलग बात है कि सती व नडडा दोनों एबीवीपी की नर्सरी की पौध है।
इससे पहले आरएसएस की ओर से मंडी से सांसद राम स्वरूप शर्मा का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे किया गया था। लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी।फि रधूमल के समर्थकों ने धूमल को ही पार्टी अध्यक्ष बनाने की मुहिम छेड़ दी। पर ये मुहिम भी विफल रही तो सती को को पार्टी की कमान दोबारा सौंपने का दांव चला जो सही बैठा।
अब आरएसएस की ओर से भाजपा से बागी होकर बाहर चले गए पूर्व भाजप सांसद व हिलोपा नेता महेश्वर सिंह व आम आदमी पार्टी के नेता राजन सुशांत की भाजपा वापसी शायद नहीं हो पाएगी। इन दोनों बागी नेताआें का धूमल से छतीस का आंकड़ा है।
सती के दोबारा प्रदेशाध्यक्ष बनने से धूमल खेमा गदगद है जबकि विरोधी खेमा नाखुश है।सती की कमान में भाजपा नेप्रदेश से लोकसभा की चारों सीटें जीती थी।लेकिन पार्टी के ही नेता उन पर अंदरखाते इल्जाम लगाते रहे हें कि उन्होंने पार्टी को धूमल परिवार की खड़ाउं बना दिया है।
एक अरसे से महेंद्र सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर,सुरेश भारद्वाज जैसे नेता खुद को असहज स्थिति में पाते रहे है।अब देखना है कि भाजपा में कितनी खलबली मचती है और भाजपा सरकार में क्या मचाती है।
(0)