समाक्षी धीमान
धर्मशाला, 26 फरवरी: चरान खड्ड अब प्रदूषण का घर बन चुकी है। वजह है, इस खड्ड के पास स्थित अप्पर बड़ोल के निवासी अपने घरों का कूड़ा-कर्कट यहीं पर फैंकते हैं। ये लोग कुछ ही दूर लगे कूड़ादान का प्रयोग करना सही नहीं समझते हैं। इनकी इस लापरवाही की वजह से अब इस खड्ड का पानी दूषित हो गया है और निचले कई इलाकों में बीमारी फैलने का खतरा भी मंडराने लगा है।
स्मार्ट सिटी की जद में आने वाले इस गांव में 20-25 घर हैं, इनमें कई मकानों में किराएदार भी रहते हैं। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि नगर निगम ने जो भूमिगत कूड़ेदान लगवाए हैं वह महज 400 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। लेकिन हाईवे पर लगे इन कूड़ेदानों तक कोई ही पहूंचता है और घर से निकले कचड़े को चरान खड्ड में फैंक कर अपना दायित्व निभा देते हैं
नगर निगम की मेयर कुमारी रजनी का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय लोगों को पहल करनी चाहिए क्योंकि निगम ने वहां पर आधूनिक तकनीकि से बने कूड़ेदान लगवाए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस गांव में सरकारी जमीन ना होने के वजह से वहां पर छोटे कूड़ेदान लगवाना संभव नहीं है। वहीं सड़क की चौड़ाई कम होने की वजह से वहां तक निगम की गाड़ी नहीं पहुंच पाती है।
लोगों की इस लापरवाही को रोकने के लिए प्रशासनिक अमला कोई भी पहल नहीं कर रहा है। निगम ने भी इस मामले में किसी का चलान या फिर जुर्माना नहीं लगाया है। दूसरी तरफ जल विभाग भी दिन-ब-दिन प्रदूषित होती इस खड्ड की संभाल लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। अप्पर बड़ोल से नीचे इस खड्ड के आसपास कई और गांव हैं जहां पर इसके पानी का प्रयोग रोजाना की दिनचर्या के लिए किया जाता है। इससे इन इलाकों में लोगों के बीमार पड़ने का खतरा लगातार मंडरा रहा है।
जब इस बारे में आई.पी.एच विभाग के जूनियर इंजीनियर संजय कौशल से बात की तो उन्होंने कहा कि “इस खड्ड के पानी की धर्मशाला और आसपास के इलाकों में विभाग स्पलाई नहीं करता है। हम लोगों को पानी भागसु नाग से स्पलाई करते हैं यह एरिया हमारे भीतर नहीं आता। आप इस बारे में नगर निगम से ही बात करें। लेकिन जब अन्य इलाकों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उनके अधिकारक्षेत्र में नहीं आता है ।”
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