शिमला।2022 तक हिमाचल प्रदेश के किसाानों की आय दुगुनी किस तरह से हो सकती है इसको लेकर नाबार्ड ने स्टेट फोकस पेपर तैयार कर सरकार ,जनता व बैंकर्स के सामने रख दिया हैं। नाबार्ड ने किसानों की आय कैसे बढ़ सकती हैं इसकों लेकर किए अध्ययन को सरकार के समक्ष पेश किया।नाबार्ड की ओर से आयोजित राज्य कर्ज सेमीनार के मौके पर प्रदेश के मुख्य सचिव वीसी फारका ने कहा कि बदलते माहौल के हिसाब से कर्ज देने की प्राथमिकताओं में भी बदलाव की जरूरत हैं।
नाबार्ड ने 2017-18 वित वर्ष के लिए खेती,बागवानी व संबद्ध कारोबार के लिए 20332.53 करोड़ रुपए का कर्ज देने का टारगेट कर रखा हैं ये पिछले साल से 26 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसमें से 9289.81करोड़ रुपए खेती व इससे जुड़ी गतिविधयों को दिया जाएगा।शिक्षा के लिए 838.07करोड़़ का व मकानों को 2611.75 करोड़ रुपए कर्ज देने का टारगेट रखा गया है।सुक्ष्म,लघु व मध्यम उद्योगों के लिए 6308.75 करोड़़ कर्ज देने का टारगेट रखा गया है।
इस मौके पर नाबार्ड के महाप्रबंधक रविंद्र कुमार ने कहा किनाबार्ड का स्टेट फोकस पेपर बैंकर्स व जनता के ऋण और बुनियादी ढांचे की योजना के लिए ब्लू.प्रिंट के रूप में काम करेगा और बैंकों कीओर से प्रदेश के लिए वार्षिक ऋण योजना बनाई जाएगी।माजूदा वित वर्ष का टारगेट पूरा न करने को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित श्रीकांत बाल्दी ने बीच में एक मिड रिव्यू बैठक करने का भी निर्देश दिया ।
इस मौके पर खुलासा हुआ कि कुल 30 फीसद किसान क्रेडिट कार्ड ही आप्रेशनल है बाकियों से कोई लेनदेन नही हो रहा हैं। सरकारों की ओर से किसानों को कर्ज मुहैैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड को रामबाण बताया गया था।लेकिन हिमाचल में यह कार्ड ज्यादा काम करते नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि 80 फीसद किसान परिवारों तक ये कार्ड पहुंच चुके हैं।
नाबार्ड के डीजीएम वीके मिश्रा ने आंकड़ों का हवाला देकर खुलासा किया कि देश में केवल 15 फीसद किसान ही फसल बीमा करवा पाते है। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ केवल 25फीसद किसान ही ले पा रहे हैं।
इस मौके पर प्रधान सचिव कृषि व बागवानी जे सी शर्मा ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करना कोई मुश्किल काम नहीं हैं। बागवानी में दस सालों में आय को तीन चार गुना तक बढ़ाया जा सकता हैं। उनके दावे कितने कागजी व कितने सही साबित होंगे ये आने वाला समय ही बताएगा। चूंकि किसानोंंकी आय को दुगुना करने के लिए कल कितना बजट लगेगा इसका कहीं कोई आकलन ही नहीं हैं और न ही ये पता है कि ये पैसा आएगा कहां से। इसके बावजूद अगर किसी प्रदेश का कृषि और बागवानी विभाग का प्रधानसचिव इस तरह के दावे करे तो उन पर संदेह तो होना ही हैं। हालांकि उन्होंने कई रास्ते भी बताए लेकिन वो धरातल पर कब आएंगे इसका किसी को पता नहीं हैं।
उन्होंने बागवानों व सिंचाई के लिए सरकार की कई सकीमें भी गिनवाई लेकिन इन स्कीमों की दशा क्याहैसे सबको मालूम हैं। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी इस बात पर चिंंता जताई कि बैंक दीर्घकालिक कर्ज बहुत कम दे रहे हैं। इस परध्यान देने कीआवश्यकता हैं। इसमौके पर स्टेट फोकस पेपर का विमाचन भी किया गया ।तस्वीर नीचे देंखें-:
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