शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की लाडली व उनके प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया की पत्नी मीरा वालिया के हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन के सदस्य के तौर पर शपथ लेने के तुरंत बाद भाजपा ने उनको लेकर संगीन इल्जाम लगा दिया।मीरा वालिया को पब्लिक सर्विस कमिशन के अध्यक्ष खजान सिंह तोमर ने अपने कार्यालय में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई । शपथ लेने के बाद मीरा वालिया मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिली।
याद रहे है कि मीरा वालिया राजधानी शिमला के कन्याओं के नामी स्कूल आरकेएमवी से बतौर प्रिसिंपल रिटायर हुई थी व दो दिन बाद ही उन्हें वीरभद्र सिंह सरकार ने निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की सदस्य तैनात कर दिया। रिटायमेंट के बाद वो एक दिन भी बेरोजगार नहीं रही थी। इडी की जांच के घेरे में अब उन्हें प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन का सदस्य बना दिया गया हैं। मीरा वालिया की रिटायरमेंट के बाद ये दूसरी बड़ी नौकरी हैं।बताते है कि इस पद के लिए रेस में एक महिला पत्रकार भी कतार में थी लेकिन सरकार ने मीरा वालिया को यहां तैनात किया।
उधर,इस नियुक्ति पर भाजपा ने सवाल खड़ा कर दिया हैं व वीरभद्र सिंह पर दागी लोगों को संवैधानिक पदों पर बिठाने का इल्जाम लगाया हैं। हालांकि सुभाष आहलुवालिया व मीरा वालिया पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के भी लाडले रहे हैं।धूमल राज में सुभाष आहलुवालिया निदेशक स्पोर्ट्स रहे थे व एचपीसीए को लीज पर दी गई जमीनों में से कुछ के केस में एक रुपए की लीज मनी का प्रावधान सुभाष आहलुवालिया ने ही किया था।
बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव भारद्वाज, पार्टी प्रवक्ता अजय राणा एवं हिमांशु मिश्रा ने वीरभद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने वीरभद्र के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलूवालिया की पत्नी मीरा आहलूवालिया को पब्लिक सर्विस कमीशन में नियुक्ति देकर भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में संलिप्त श्रीमती आहलूवालिया को पुरस्कृत किया है। साल 2010 में श्रीमती आहलूवालिया एवं सुभाष आहलूवालिया पर स्वर्गीय बीएस थिंड के माध्यम से परवाणु के एक व्यापारी से आठ लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगा था जिसकी एफआईआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन कुछ दिनों के बाद प्रदेश में कांग्रे सरकार आने के बाद उस एफआईआर को रद्द किया गया था,।
बीजेपी के इन जूनियर नेताओं ने कहा कि मीरा आहलूवालिया एवं उनके पति के विरूद्ध मनी लांड्रिंग एवं आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में ईडी द्वारा बार-बार बुलाकर पूछताछ की गई थी। उस केस को भी वर्तमान कांग्रेस ने मिल-मिलाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया।
बहर हाल बीजेपी के जूनियर नेताओं ने बेशक मीरा आहलुवालिया पर निशाना साधा हो लेकिन सारी दुनिया जानती है कि धूमल सरकार के आखिरी दिनों में ये दंपति उनके कितना करीब आ गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में आज भी सुभाष आहलुवालिया व चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका को धूमल का आदमी माना जाता हैं। वी सी फारका धूमल सरकार में भी प्रधान सचिव स्पोर्ट्स रहे थे व एचपीसीए मामले में कई फाइले कहीं न कहीं उनकी निगाहों से गुजरी हैं।ऐसे में भाजपाकी ओर से इन नियुक्ति पर इल्जाम लगाने को लेकर आश्चर्य जताया जा रहा हैं।ये केवल विरोध के लिए विरोध किया गया लगता कदम समझा जा रहा हैं।
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