शिमला। रफाल सौदे पर विवादित बोल बोलते हुए पंजाब के वित मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा है कि रफाल मुददे पर प्रधानमंत्री मौन हैं, अगर उन्होंने डिफेंस का पैसा खाया है तो गऊ का मांस खा लिया हैं। यह बात उन्होंने राजधानी में रफाल सौदे को लेकर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही।
उन्होंने इस घोटाले की जेपीसी जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किसी की जिरह नहीं हो सकती। जबकि संयुक्त संसदीय समिति तमाम संबधित लोगों से जिरह कर सकती हैं। मनप्रीत बादल ने यह भी एलान किया कि अगर आगामी सरकार यूपीए की बनती है तो इस मामले की जांच होगी इस बावत कोई शकशुबहा नहीं होना चाहिए।
उन्होंने सरकार की इस मामले में चर्चा कराने की चुनौती पर कहा कि सरकार की ओर से संसद में चर्चा लाई नहीं गई हैं। अगर वह ऐसा करती है तो यह अच्छा कदम होगा।
राहुल गांधी के पास रफाल से जुड़ी जानकारियों के स्त्रोत को लेकर भाजपा नेताओं की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर बादल ने कहा कि वह तो रफाल मामले की कीमतें कैसे बढ़ी व सरकारी कंपनी एचएएल की जगह सौदे से 12 दिन पहले जो रिलायंस डिफेंस कंपनी वजूद में आई उसे आफसेट पार्टनर कैसे बना दिया।
रिलायंस डिफेंस को रातों रात 35 हजार करोड़ का रिपेयर का ठेका क्यों दे दिया और एचएएल से लाइफटाइम एक लाख करोड़ का ठेका वापस क्यों लिया। इन सवालों के जवाब चाहती हैं। उन्होंने कहा कि रिलायंस डिफेंस के दस रुपए के शेयर फ्रांस की कंपनी डिसाल्ट ने 1154 रुपए रुपए में क्यों खरीदे । मनप्रीत ने मोदी सरकार से सवाल किया कि अगर ये विमान आपात स्थिति में खरीदे हैं तो इनकी डिलीवारी तुरंत होनी चाहिए थी। लेकिन इनकी डिलीवरी 2022 में होनी हैं। ऐसे में इमरजेंसी उपबंध का सहारा लेकर खरीद करना औचित्यहीन है। बादल ने यह भी सवाल उठाया कि अगर मुल्क को इन विमानों की बेहद जरूरत थी तो 126 की जगह 36 ही क्यों खरीदें।
बादल ने कहा कि जब भी इस तरह के सौदे होते हैं तो या तो बैंक गारंटी का प्रावधान होता है या संप्रभुता गारंटी का प्रावधान किया जाता हैं। लेकिन इस सौदे में मोदी सरकार ने लेटर आफ कंफर्ट से ही काम चला लिया हैं। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि मोदी सरकार ने ऐसा क्यों किया। उन्होंने सीधा इल्जाम लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी इस सौदे में मुलजिम हैं।
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