शिमला। वामपंथियों ने जयराम ठाकुर सरकार के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को राजधानी के सरकारी स्कूल में अध्यापक की ओर से छठी व सातवीं कक्षा की छात्राओं के साथ छेड़खानी के मामले में जुबान पर ताला लगा देने के लिए कटघरे में खड़ा कर दिया हैँ। माकपा के शहरी सचिव बलबीर पराशर ने कहा है कि भाजपा के लाडले अघ्यापक के खिलाफ एक दो नहीं छह छात्राओं ने बयान दर्ज कराए है।
लेकिन शिक्षा मंत्री अभी तक खामोश है। वह जुबान नहीं खोल रहे है।उनकी यह खामोशी कई सवाल खड़ी करती है। पराशर ने इल्जाम लगाया कि भाजपा का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा है लेकिन स्कूलों में बेटियो ंसे छेड़खानी की घटनाएं हो रही है,वह सुरक्षित नहीं है ओर भाजपा के लोगों का आरोपियों को संरक्षण मिल रहा है।
पराशर ने कहा कि भाजपा को उक्त आरोपी अध्यापक के साथ अपने रिश्ते सार्वजनिक करने चाहिए। उन्होंने इस मामले में स्कूल के मुख्याध्यापक,स्कूल प्रबंधन समिति, अन्य स्टाफ और स्थानीय भाजपा पार्षद की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।उन्होंने कहा कि इन सबकी भूमिका संदेहास्पद रही हैं। इनको अभी तक यहां से बदला नहीं गया है। ऐसे में शिक्षा मंत्री की जवाबदेही बनती है। पराशर ने इलजाम लगाया कि भाजपा पार्षद आरोपी अध्यापक को बचाने का प्रयास करता है वहीं आरोपी अध्यापक की गिरफ्तारी के तीन बाद भी शिक्षा मंत्री इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
पराशर ने खुलासा किया कि अध्यापक की छेड़छाड़ की हरकतों की पिछले साल भी छात्राओं के अभिभावकों ने मुख्याध्यापक के पास लिखित शिकायत की थी। उस समय भी स्थानीय भाजपा पार्षद ने अभिभावकों पर दवाब डालकर उक्त अध्यापक से माफी मंगवाकर मामले को रफा दफा किया था। अब भी यह पार्षद अभिभावकों पर दवाब डालकर मामले को दबानाा चाह रहा था।
माकपा सचिव ने सवाल उठाया कि जब पीड़ित छात्राओं के अभिभावकों ने पिछले साल सितंबर में लिखित शिकायत की थी तो स्कूल के मुख्याध्यापक ने क्यों कार्रवाई नहीं की व लिखित शिकायत को शिक्षा निदेशक को क्यों नहीं भेजा।उन्होंने कहा कि यह सब किसके इशारे पर हुआ इसका खुलासा तो होना ही चाहिए।
वामपंथियों ने भाजपा व शिक्षा मंत्री की खामोशी पर तो सवाल उठाए है लेकिन खामोश सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस भी है। कठुआ और उन्नाव में हुए दुष्कर्म के मामलों पर सुक्खु की कांग्रेस ने खूब छाती पीटी थी लेकिन राजधानी में ही कांड हो गया कांग्रेस पार्टी चुप है। मजेदार यह है कि कांग्रेस की इस चुप्पी पर वामपंथियों ने अभी तक सवाल नहीं उठाए है। यह दिलचस्प है।
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