शिमला। वरिष्ठता को दरकिनार कर प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार ने मौजूदा पुलिस महानिदेशक सुमेश गोयल को उनके पद से हटाकर उनकी जगह 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सीताराम मरढ़ी को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया हैं। पुलिस विभाग में सुमेश गोयल सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। वह 1984 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। मरढ़ी मौजूदा समय में पुलिस महानिदेशक गृह रक्षा के पद पर थे।
हालांकि जय राम ठाकुर ने मुख्य सचिव के पद के लिए वरिष्ठता को तरजीह दी थी और 1982 बैच के अधिकारी विनीत चौधरी को मुख्य सचिव बना दिया था। जबकि उनसे कनिष्ठ 1983 बैच के अधिकारी वी सी फारका को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया था। तब समझा जा रहा था कि जयराम ठाकुर राजनीतिक रसूख के बजाय वरिष्ठता को तरजीह देंगी । लेकिन मरढ़ी की नियुक्ति कर जयराम ठाकुर सरकार ने साफ कर दिया हैं कि वह सरकार में बदलाव चाहती हैं। वी सी फारका भी वरिष्ठता सूची में कनिष्ठ होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी होने के दम पर मुख्य सचिव बन गए थे। मरढ़ी से दो साल वरिष्ठ होने के बावजूद सुमेश गोयल को डीजीपी के पद से हटाना उनके लिए झटके से कम नहीं हैं।
अब जयराम ठाकुर सरकार के दो सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक पर मोदी सरकार में मंत्री जगत प्रकाश नडडा के करीबी विनीत चौधरी और पुलिस महानिदेशक पद पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी मरढ़ी की ताजपोशी हुई हैं।
धूमल और वीरभद्र सिंह के करीबी सीताराम मरढ़ी पिछल्ली वीरभद्र सिंह सरकार में भी पुलिस महानिदेशक बनने की दौड़ में थे। उनकी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच भी गई थी लेकिन इस पर दस्तख्त नहीं होे पाए। वह तब भी उनसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी 1985 बैच के अधिकारी संजय कुमार को हटाने में करीब-करीब कामयाब हो गए थे। लेकिन बताते हैं कि संजय कुमार ने ऐन मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मुलाकात कर ली। ऐसे में मरढ़ी तब पुलिस महानिदेशक बनने से रह गए। उसके बाद संजय कुमार केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए तो वीरभद्र सिंह ने जून 2017 में प्रदेश पुलिस विभाग में सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुमेश गोयल को डीजीपी बना दिया। लेकिन उनके डीजीपी बनने के चंद दिनों के बाद प्रदेश में गुडिया सामुहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला हो गया।
इस मामले ने डीजीपी से लेकर पूरे पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया। हालांकि सुमेश गोयल अपने पद पर बने रहे। लेकिन अब जयराम ठाकुर ने उन्हें हटा कर उनके जिम्मे केवल जेल विभाग ही जिम्मा रखा हैं।
राजनीतिक रसूखों के लिए मशहूर डीजीपी मरढ़ी के सामने पुलिस पर से उठ चुके भरोसे को बहाल करने की सबसे बड़ी चुनौती हैं। उन्होनें आज कहा भी कि पुलिस की छवि को दुरुस्त करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी हैं।
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