शिमला। कोरोना महामारी जैसे संकट के दौरान भी जयराम सरकार आम लोगों की जेबों पर हाथ डालने को कोई मौका नहीं छोड़ रही है। हाल ही में 125 यूनिट से ज्यादा बिजली की खपत करने वाले प्रदेश के उपभोक्तओं की सबिसडी को कम कर उनकी जेब पर हाथ डाल दिया है। अब जयराम सरकार बस किराए बढ़ाने की राह पर चल पड़ी है।
बीते रोज मंत्रिमंडल की बैठक में जनता से जुड़े इस संवेदनशील मसले पर चिंतन मंथन होना ही ये साबित करता है कि सरकार निजी बस आपरेटरों के हाथों में खेल रही है। वैसे सी सरकार व संगठन के कई लोग परिवहन के कारोबार से जुड़े हुए है। कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं है।इसलिए कांग्रेस का विरोध भी सांकेतिक ही होता है।सता में आने के बाद जयराम सरकार ने सितंबर 2018 में ही बसों के किराए में 25 फीसद की बढ़ोतरी कर जनता को तोहफा दिया है। वह अब दोबारा से दो साल से पहले ही इस राह पर आगे बढ़ने लग गई है।
राशन व बिजली के अलावा रेत-बजरी के बाद अब जनता का सफर भी जयराम सरकार मंहगा करने पर आमदा हो गई है।
बिजली के मामले में भी बड़े कारोबारियों को सरकार कई तरह की छूट दे रही है लेकिन आम जनता की जेब से पैसे निकालने का मौका कतई नहीं छोड़ रही है।
परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि बस किरायों के मामले में मंत्रिमंडल की बैठक में अनौपचारिक चर्चा हुई थी। लेकिन अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।उनकी दलील है कि निजी बस आपरेटरों को कोरोना महामारी के दौरान नुकसान हुआ है।ऐसे में उनकी कई तरह की मांग है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस संकटकाल में आम लोगों को क्या कोई नुकसान नहीं हुआ है। क्या उनके रोजगार नहीं छीने गए है। बस आपरेटरों का इस दौरान कोई बड़ा खर्च भी तो नहीं हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार व संगठन में कई ऐसे नेता है जो परिवहन के कारोबार से जुड़े है व वही निजी बस आपरेटरों की आड़ लेकर किराया बढ़ाने की जुगत बढा रहे है। इससे अच्छा तो यह होता कि सरकार मोदी सरकार से डीजल व पेट्रोल की कीमतें कम करने की मांग करती और खुद भी वैट कम कर देती । लेकिन जयराम सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है।
हाल ही के दिनों में जनता के पैसों से रियायतों पर मिलने वाले राशन से भी गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों की रियायतें कम कर दी है। अब डिपूओं में मिलने वाला राशन इन परिवारों को मंहगा मिल रहा है। साफ है जयराम सरकार को जहां भी मौका मिल रहा है जनता की जेबा पर सीधे हाथ डाल रही है।
प्रदेश में सीमेंटकी कीमतें पहले ही बढ़ी हुई है। अब रेत व बजरी के प्रति ट्रक की कीमत दो से चार हजार रुपए तक बढ़ा दी गई है। सरेआम सीमेंट के कारोबारियों के साथ –साथ खनन से जुड़े प्रभावशाली लोगों को आम जनता की कीमत पर फायदा पहुंचाने का गुपचुप इंतजाम किया जा रहा है। कहीं कोई लगाम नहीं है। कोई पूछने वाला भी नहीं है। पिछले दिनों उदयोग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा था कि सीमेंट की कीमत को नियंत्रित करने के लिए तंत्र विकसित किया जा रहा है। लेकिन रेत व बजरी के सवाल पर वह भी मौन धारण कर लेते है। प्रदेश में खनन के धंधे से अधिकांश नेता चाहे वह भाजपा के हो या कांग्रेस के किसी न किसी तरह से जुड़े हुए है। इसलिए खनन का अवैध धंधा मिलीभगत से चल रहा है।
अब अगर बस किराए में 25 फीसद की बढ़ोतरी होती है तो प्रदेश की जनता पर तो इसका असर पड़ेगा ही साथ ही जयराम सरकार की उल्टी गिनती भी शुरू हो जाएगी।
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