शिमला। प्रदेश के हितों की अनदेखी पिछल्ले पांच सालों में मोदी सरकार ने किस तरह से की है इसका भंडा प्रदेश कांग्रेस नहीं जयराम सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ही फोड़ आए हैं। यह दिलचस्प है।
दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से आयोजित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति और जल संसाधन संरक्षण के राष्ट्र स्तरीय सम्मेलन में भाग लेते हुए सम्मेलन के दौरान ठाकूुर ने कहा कि हिमाचल को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत मिलने वाली निधि में 25 प्रतिशत की कटौती कर दी है है। उन्होंने केन्द्र से कार्यक्रम के तहत राज्य को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 2014-15 में 99 परियोजनाएं प्रस्तावित थी व जिनमें से एक भी परियोजना हिमाचल को नहीं मिली। उन्होंने सम्मेलन में यह भी कहा कि हिमाचल की पांच डीपीआर केन्द्र सरकार के पास लम्बित है।
उन्होंने पहाड़ी राज्यों के लिए मापदण्डों में छूट देने की मांग की और कहा कि पहाड़ी राज्यों को अन्य राज्यों की पस्थितियों के समान नहीं आंकना चाहिए जहां परियोजनाओं की निष्पादन लागत कम है। उन्होंने वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के कारण होने वाली अनावश्यक देरी के बारे में भी अवगत कराया व कहा कि राज्य में अधिकांश वन भूमि है और स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया परियोजनाओं को लागू करने में बाधक सिद्ध हो रहे है।
वह यहीं नहीं रुके व कहा कि हिमाचल ने देश हित की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है लेकिन राज्य के हितों की अनदेखी हुई है, चाहे वह बीबीएमबी में बिजली में हिस्सेदारी हो या पौंग बांध विस्थापितों को मुआवजे का मामला हो। राज्य राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंड़ीगढ़ को जल उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने केन्द्र से राज्य के हितों की रक्षा करने और प्रदेश को उसका उचित हिस्सा प्रदान करने आग्रह किया।
जयराम सरकार के तेज तर्रार सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर केंद्र की मोदी सरकार को बड़ा सुझाव देकर आए है। दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से आयोजित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति और जल संसाधन संरक्षण के राष्ट्र स्तरीय सम्मेलन में भाग लेते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि परियोजनाओं की बेहतर निगरानी और कार्यन्वयन के लिए राष्ट्रीय जल आपूर्ति और सिंचाई प्राधिकरण के गठन किया जाए।
उन्होंने कहा कि हिमाचल मध्यम और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जल संचयन और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिम संचयन के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है जिससे जल संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से इन परियोजनाओं के लिए समर्थन मांगा जिससे राज्य जल संरक्षण में अहम भूमिका निभा सके।
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