शिमला।विपक्ष में रहते पूर्व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री से लेकर सुखविंदर सिंह सुक्खू तक तत्कालीन जयराम सरकार को प्रदेश की आर्थिक बदहाली पर कोसते रहे लेकिन जब खुद की सरकार आई तो प्रदेश की जनता के साथ वादा करने के बावजूद असली तस्वीर साझा करने से चूक गए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र चलने से पहले मार्च महीने के शुरू में ही मीडिया से डंके की चोट पर कहा था कि वह प्रदेश की बदहाल आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाएंगे।
उन्होंने पूर्व की भाजपा की जयराम सरकार पर प्रदेश की आर्थिकी को बर्बाद करने का इल्जाम लगाया था व कहा था कि जयराम सरकार ने बे-इंन्ताह ऊलजलूल खर्च कर डाला हैं। उनकी सरकार आने वाले बजट सत्र में इस बावत वह श्वेत पत्र लाएंगे।
यही दावा उन्होंने बजट सत्र शुरू होने पर सदन में भी कर डाला लेकिन बजट सत्र की 18-19 बैठकें होने के बावजूद वह प्रदेश की बदहाल आर्थिक बदहाली पर श्वेत पत्र नहीं ला सके।
उन्होंने बजट सत्र के आखिरी दिन छह अप्रैल को सदन में जरूर कहा कि वह इस सदन के माध्यम से प्रदेश की आर्थिकी पर श्वेत पत्र लाएंगे।
मुख्यमंत्री प्रदेश की आर्थिकी पर श्वेत पत्र न लाकर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा को बड़ी राहत दे गए हैं। दो मई को शिमला नगर निगम के चुनाव हैं। अगर बजट सत्र में यह श्वेत पत्र आ जाता तो भाजप के जिलए खास कर जयराम ठाकुर को बड़ी मुश्किल होती।
लेकिन सुक्खू ने अलग रास्ता चुना । अब अगर मानसून सत्र में वह श्वेत पत्र ले भी आते है तो उसके राजनीतिक तौर पर कोई मायने होने वाले नहीं हैं।
जाहिर सी बात है कि सुक्खू से श्वेत पत्र न लाने के लिए अधिकारियों ने ही कोई तरकीब निकाली होगी। मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना जयराम सरकार में वित सचिव रहे हैं। वह सुक्खू सरकार में भी बजट सत्र शुरू होने से कुछ अरसा पहले तक वित महकमे को ही संभल रहे थे।मनीष गर्ग को तो बहुत बाद में वित सचिव बनाया गया । ऐसे में प्रबोध सक्सेना अपने ही कामों की सदन में कैसे धज्जियां उडाते ।
इसके अलावा जानकारी ये भी है कि भाजपा ने भी पूर्व की कांग्रेस सरकारों के कच्चे चिटठे खोलने का मंसूबा पाल लिया था । समझा जा रहा है कि सुक्खू इससे असहज हो गए और उन्होंने श्वेत पत्र लाने का अपना इरादा बदल डाला।
जबकि कायदे से श्वेत पत्र बजट सत्र के शुरू में आना चाहिए था। इसके लिए कोई बड़ी तैयारी करने की भी जरूरत नहीं थी। प्रदेश के वित विभाग के आला अधिकारियों के पास पहले से आंकडों का भंडार लगा हुआ हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास वित विभाग है। यह उन्हें निश्चित करना चाहिए था कि जब वह सार्वजनिक तौर पर बतौर मुख्यमंत्री कोई बात कह चुके है तो उस पर अमलीजामा पहनाया ही जाना चाहिए। इससे जनता में भरोसा जगता हैं।
लेकिन अब सुक्खू पर जनता को संदेह होने लगेगा कि वह जो बोलते है उस पर अमलीजामा पहनाने का मादा नहीं रखते हैं। बतौर मुख्यमंत्रभ् उनके लिए यह रवैया खतरनाक हो सकता हैं। उनकी छवि अभी तक स्मार्ट खिलाडी की बन रही हैं लेकिन स्मार्ट के साथ गंभीर व भरोसेमंद राजनेता की छवि ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। अब देखना यह है कि क्या सुक्खू अगले पांच सालों में ये श्वेत पत्र ला भी पाते हैं या नहीं।
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