शिमला। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर व बाकियों की ओर से एचपीसीए के लिए तत्कालीन धूमल सरकार की मिलीभगत से जमीन लेने व एचपीसीए को कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर कर जमीन हड़पने की विजीलेंस की एफआईआर को रदद करने केे लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 29 मार्च को सुनवाई होनी हैं। इसके अलावा एचपीसीए से जुड़े विजीलेंस के दो मामले प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित हैं।
मीडिया में बीते रोज कांगड़ा पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के सुप्रीम कोर्ट की ओर से रद्द करने की खबर से वीरभद्र सरकार को चुनावी साल में होने वाले राजनीतिक नुकसान को भांपते हुए सरकार के लाडले अफसरों ने ये खुलासा किया ।विजीलेंस विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री के लाडले अफसर हैं व वो समझते हैं कि किस मसले से वीरभद्र सिंह को राजनीतिक नुकसान हो सकता हैं।इससे पहले चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका नशे के मसले पर लीड ले चुकेहैं। और मीडिया में आकर कह चुके हैं सरकार नशे के खिलाफ अभियान चलाएगी। संकेत साफ हैं कि भाजपा को किसी भी मसले पर राजनीति करने काा मौका नहीं देना हैं।
बहरहाल एचपीसीए मामले भी सरकार की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया आ गई । वैसे भी धूमल व वीरभद्र परिवार में इन दिनों माफिया -माफिया गेम चली हुई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में वीरभद्र के मामले में सीबीआई के चालान पेश करने को लेकर जजमेंट रिजर्व हैं तो एचपीसीए की खिलाफ विजीलेंस की एफआईआर रदद होगी या नहीं इसकी सुनवाई 29 मार्च को होनी हैं। दोनों परिवार इसी में उलझे हैं।
सरकार के प्रवक्ता की ओर से सफाई दी गई हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के खिलाफ रद्द किया गया मामला विजीलेंस मामला नहीं था। एचपीसीए के खिलाफ विजीलेेंस द्वारा दर्ज किया गया मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, जिसे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था।अनुराग ठाकुर ने इसएफआईआर को रददकरने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी ।प्रवक्ता ने दावा हैं कि गम्भीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने एचपीसीए द्वारा विजीलेंस मामले को खारिज करने की अपील को रद्द कर दिया था जिसके फलस्वरूप एचपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मामले की सुनवाई 29 मार्च, 2017 को होगी।
यही नहीं सरकारी प्रवक्ता ने ये भी याद दिलाया कि विजीलेस के एचपीसीए के खिलाफ हाईकोर्ट में दो अन्य मामले भी लम्बित हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कियाृ गया मामला कांगड़ा जिला पुलिस द्वारा देखा जा रहा था, जो सरकारी भूमि के अधिग्रहण से संबंधित था। इस मामले में अनुराग ठाकुर के व्यक्तिगत संलिप्त होने का सबूत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस सन्दर्भ में आवश्यक कदम उठाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि गंभीर आरोपों के अन्य लम्बित पड़े विजीलेेंस मामलों को इस मामले से उलझाया जा रहा है।
यही नहीं इसमामले में वीरभद्र समर्थक दो नेता गंगुराम मुसाफिर और रामलाल ठाकुर भी कूद पड़े हैं। दोनों ही नेता हारे हुए हैं।इन नेताओं ने ये कहा-:
हिमाचल प्रदेश योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर तथा 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वय समिति के अध्यक्ष राम लाल ठाकुर ने एचपीसीए के खिलाफ रद्द किए गये मामले में भाजपा नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे न्यायालय में लम्बित गम्भीर विजीलेंस मामलों को इस एक मामले से उलझा कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गम्भीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एचपीसीए द्वारा विजीलेंस मामले को खारिज करने की अपील को रद्द कर दिया था, जिसके फलस्वरूप एचपीसीए ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई 29 मार्च, 2017 हो होगी।
मुसाफि व ठाकुर ने स्पष्ट किया कि विजीलेंस द्वारा एचपीसीए के खिलाफ दर्ज किया गया मामला सर्वोच्च न्यायालय में अभी भी लम्बित है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दो अन्य मामले भी लम्बित हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये गये मामले में कांगड़ा जिला पुलिस जांच कर रही थी, जो सरकारी भूमि के अधिग्रहण से संबंधित थी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुछ भाजपा नेता इस निर्णय से उत्साहित हैं, जिसमें कांगड़ा पुलिस जांच कर रही थी। विजीलेंस द्वारा भूमि कानूनों का उल्लंघन कर धर्मशाला के समीप भूमि खरीदने से संबंधित दर्ज गम्भीर मामला अभी भी लम्बित है। तथाकतिथ नेता एक छोटी लड़ाई जीतने का दावा कर रहे हैं, जबकि युद्ध अभी भी बाकी है।
वीरभद्र सिंह के इन दोनों नेताओं काये बयान अजीब हैं। धर्मशाला के समीप जमीन खरीदने को लेकर कौन सा मामला दर्ज हैं ये इन नेताओं ने साफ नहींं किया हैं। प्रेमु वाला मामला दर्ज किया गया था उसमें तत्कालीन एसडीएम रिपोर्ट दे गए थे कि इस मामले कोअदालत में ले जाया जाए। उस पर सरकार अभी तक मौन हैं। इस रिपोर्ट पर क्या हुआ इस बावत अभी तक किसी को कुछ भी मालूम नहीं हैं।
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