शिमला।मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली की ओर से देश भर के ज्यूलर्स को एक्साइज कर व टीसीएस के दायरे में लाने पर हिमाचल के स्वर्णकारों ने मोदी सरकार के खिलाफ अपनी जंग जारी रखने का एलान किया है। हिमाचल सर्राफा स्वर्णकार की ओर से लिए फैसले पर मोहर लगाते हुए ज्वैलर्स एसोसिएशन शिमला ने कहा कि जब तक उन्हें इस कर के दायरे से बाहर नहीं लाया जाता तब तक वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
एसोसिएशन के अध्यक्ष शलेंद्र वर्मा,सचिव अतुल टांगरी,कोषाध्यक्ष गोपाल वेद के अलावा सोने के बड़े कारोबारी सुफल सूद व कपिल महाश्य ने राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार ने आंदोलन को टारपीडो करने के लिए उनकी एकता को तोड़ने का प्रयास किया है।उन्होंने कहा कि हिमाचल ही नहीं देशभर के 90 फीसद ज्यूलर्स हड़ताल पर है। मोदी सरकार की ओर से स्वर्णकारों की एकता तोड़ने के बाद कुछ लोग अपने कामकाज पर चले गए थे। लेकिन अब वो सारा मामला समझ चुके है और आंदोलन पर लौट आए है।
एसोसिएशन ने कहा कि मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली वित मंत्रालयका काम संभालने के काबिल नहीं है,उनसे मंत्रालय छीन लिया जाना चाहिए।
एसोसिएशन ने कहा कि ये कानून बड़ें कारोबारियों व सोने का काला धंधा करने वालों के पक्ष में है जबकि छोटे ज्यूलर्स की कमर तोड़ने वाले है। एसोसिएशन के सचिव अतुल टांगरी ने कहा कि नए कानून के मुताबिक अब स्वर्णकारों से टैक्स कलैक्शन एट सोर्स पर लिया जाएगा।
लेकिन सरकार उन तथ्यों को नजरअंदाज कर रही है जिसके तहत देश की आबादी तो 125 करोड़ है लेकिन देश में पैन कार्ड होल्डर केवल 17 करोड़ है। इनमें केवल साढ़े तीन करोड़ लोग ही रिटर्न भरते है। ऐसे में बाकी बची आबादी को वो ज्वैलरी कैसे बेचेंगे।
ये खतरनाक है और अगर कहीं कोई चूक हुई तो उन्हें तीन महीने के अंदर किया जा सकता है। इसके अलावा उनके सोने को तीन महीने तक सील किया जा सकता है। एक्साइज टैक्स मैन्यूफैक्चरिंग पर लगता है। लेकिन छोटे ज्वैलर्स संगठित नहीं है। ऐसे में वो बाजार में सोने पर की जाने वाले कारीगरी को अलग अलग कारागरों से कराते है।ऐसे में अब उनके अलाव इन कारीगरों को भी अपने पास हिसाब किताब रखना पड़ेगा और हर एक कारीगर को एक एक फीसद एक्साइज कर देना पड़ेगा।जबकि बड़े कारोबारी के पास सारे कारीगर एक ही जगह होते है और उन्हें एक फीसद एक्साइज कर देना पड़ेगा जबकि छोटे ज्वैलर्स को सात फीसद कर देना पड़ेगा।इसके अलावा कहीं पकड़े गए तो कानून के शिकंजे में अलग से आ जाएंगे।उन्होंने कहा कि ऐसे में काम करना असंभव है।
अतुल ने कहा कि इसके अलावा सरकार काले धन को रोकना चाहती है। भारत में सालाना एक हजार टन सोना प्राइवेट कारोबारी आयात करते है। सरकार के पास इसमें से केवल 250 टन का ही हिसाब किताब है। बाकी के सोने का कुछ पता नहीं है।उन्होंने कहा कि इसके लिए उन पर तलवार लटकाना ठीक नहीं है।सरकार को एमएमटीसी के जरिए सोना खरीदना चाहिए और बैंकों के जरिए आगे ज्वैलर्स को देना चाहिए।लेकिन ऐसा होने से सरकार को चंदा व रिश्वत देने वाले निजी कारोबारियों का धंधा बंद हो जाता है।इसलिए तलवार छोटे कारबारियों पर लटका दी गई है।
राजधानी शिमला के बड़े ज्यूलर्स कपिल महाशय ने कहा कि कारीगरी एक कला होती है। कला पर कर नहीं लगाया जाता। इन कारीगरों ने इस कला को सदियों से जीवित रखा है।मोदी सरकार का ये कारनामा व्यावहारिक नहीं है।कपिल महाशय ने कहा कि ये उनकी सरकार है। मोदी सरकार ने सता में अपने से पहले वादा किया था कि वो राष्ट्रभक्त है।अच्छी सरकार व कारोबार को सरल करेगी। लेकिन ये सब जुमलेबाजी निकली ।उन्होंने कहा कि ये सरकार सोने को लग्जरी आइटम मानती है जबकि ज्वैलरी देश की जनता के लिए सांस्कृतिक आइटम है। सरकार ये समझ नहीं पा रही है।
सोने के बड़े कारोबारी सुफल सूद ने कहा कि सरकार उनके कोई और टैक्स लें ले। वो टैक्स देने से इंकार नहीं कर रहे है।लेकिन एक्साइज टैक्स देना उन्हें मंजूर नहीं।उन्होंने कहा कि वो मोदी सरकार को एक जिम्मेदार सरकार मानती है इसलिए आशा है कि वो उनकी बात मानेंगे।देश में इस धंधेंसेकरीब दस करोड़ लोग जुड़े है फिर वो अपना फैसला तो करेंगे ही।
देश भर के ज्वैलर्स ने इस बार मोदी सरकार के पक्ष में मतदान किया था लेकिन अब वो मोदी सरकार से नाराज है।मोदी सरकार ने उनकी रोजी- रोटी पर हमला बोल दिया है और उन्हें इंस्पेक्टरों व अफसरों की जमात के आगे फेंक दिया है।
(0)