शिमला।कोई भी समाज अपने कैदियों के प्रति किए गए व्यवहार से पहचाना जाता है । राज्य जेल के माध्यम से कैदियों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नए अवसर सृजित करता है
महिला कैदियों के पुनर्वास के लिए उन्हें रोजगार प्रशिक्षण व आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के अवसर प्रदान करना कारागार कल्याणकारी गतिविधियों में से प्रमुख है । कारागार में कैदियों के सुधार कार्य तथा कारावास की अवधि समाप्त करने के उपरान्त उन्हें पुनर्जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए अनुकूल परिस्थितियां एवं वातावरण सुनिश्चित किया जाता है ।
भारतीय न्यायपालिका ने कैदियों के अधिकार, सुधार व पुनर्वास संस्थानों की कार्य पद्धति में परिवर्तन के लिए एक अहम भूमिका अदा की है । इसका अनुसरण करते हुए प्रदेश के कण्डा व नाहन में आधुनिक केन्द्रीय कारागार स्थापित किए है, जबकि धर्मशाला, चम्बा, मण्डी, कुल्लू, कैथू (शिमला), सोलन, ऊना तथा हमीरपुर में जिला कारागार स्थापित किए गए हैं । इसके अतिरिक्त नूरपुर में एक उप.कारागार भी स्थापित किया गया है । जिला बिलासपुर के जबली(रघुनाथपुरा) मे खुली जेल भी बनाई गई है, जिसमें अपने कारावास की एक सीमित अवधि में अच्छा व्यवहार करने वाले कैदियों को रखा जाता है ।
राज्य सरकार द्वारा कारागार कल्याण निधि भी बनाई गई है, जिसके माध्यम से कैदियों के लिए विभिन्न गतिविधियों तथा सुविधाओं का प्रबन्ध किया जाता है । कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बुनाईए सिलाई-कटाई, बढ़ई, सफाई कार्य, धोबी तथा नाई का कार्य भी सिखाया जाता है । राज्य में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान राज्य की जेलों के कुल 2837 कैदियों ने इस प्रकार की कारागार गतिविधियों में भाग लिया, जिन्हें 82,58,454 रूपये पारिश्रमिक के रूप में दिए गए । इस अवधि के दौरान 55,47,072 रूपये लाभांश अर्जित किया गया, जिसे कारागार कल्याण गतिविधियों में पुनः उपयोग किया जाता है ।
राज्य सरकार तथा कारागार विभाग ने संयुक्त रूप से शिमला के टका बैंच में ‘बुक कैफे’ का भी निर्माण किया है, जिसे राज्य पर्यटन विभाग संचालित कर रहा है । इस कैफे में कैथू जेल के कैदी कार्य कर रहे हैं । मोबाईल कैन्टीन द्वारा कैदी शिमला के इंदिरा गांधी मैडिकल कालेज तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उचित मूल्यों पर खाना उपलब्ध करवाते हैं । कैथू जेल की बेकरी द्वारा तैयार विभिन्न उत्पाद ‘बुक कैफे’ शिमला में बिक्री हेतु उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । इसके अतिरिक्त हाल ही में कैदियों द्वारा बनाए गए रैक व गमलों के स्टैण्ड शिमला के गेयटी थियेटर में प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों तक पहुॅचाए गए । कैदियों द्वारा संचालित डेयरी के माध्यम से जेल की दुग्ध आपूर्ति भी पूरी की जाती है ।
सोलन स्थित केंचुआ खाद संयंत्र में कैदियों की सहायता से किसानों तथा बागवानों को गुणात्मकं जैविक खाद उपलब्ध करवाई जा रही है । इसी तरह के दो और संयंत्र नाहन तथा धर्मशाला में भी बनाए जा रहे हैं । धर्मशाला जेल में कैदियों द्वारा कार धोने तथा ड्राईक्लीनिंग का कार्य भी किया जाता है ।
अन्त में यह प्रदर्शित होता है कि कारागार न्याय तथा कैदियों का पुनर्वास व्यापक सामाजिक उत्थान का केवल एक हिस्सा मात्र है । राज्य के कारागार स्वंयसेवी संस्थाओं तथा सक्रिय सामाजिक समूहों के सहयोग से कैदियों के पुनर्वास तथा सुधार में अहम भूमिका निभा रहे हैं ।
कारागार किस तरह कैदियों का जीवन बदलने में मदद कर रहें हैं,देखें चंद तस्वीरें-:
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