शिमला। कीरतपुर से मनाली तक और परवाणु से शिमला तक बन रहे फोरलेन के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन की एवज में प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार मोदी सरकार की हरी झंडी के बावजूूद बाजार भाव से चार गुणा मुआवजा नहीं देगी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें व आखिरी दिन ये साफ एलान कर दिया।चौगुना मुआवजा देने से इंकार करने पर अपना विरोध जताते हुए भाजपा सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने नारेबाजी भी की।
कीरतपुर-मनाली नेश्नल हाइवे को लेकर मुआवजे के मसले पर आंदोलन कर किसानों के लिए इससे बड़ा झटका लगा है।ये उनके लिए ये बुरी खबर है।
भाजपा सदस्यों सतपाल सती ने ये मसला आज प्रश्नकाल में उठा या था व उन्होंने सरकार से मांग की कि जब मोदी सरकार इस जमीन की एवज में चार गुणा या फैक्टर-2 के तहत मुआवजा अदा करने के लिए तैयार हैं तो प्रदेश सरकार दुगुना या फैक्टर-1 के तहत अदा करने में क्यों आपति कर रही है।
कंफ्यूजन को दूर करते हुए प्रदेश के राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों को ये विकल्प दिया था की कि वो नेशनल हाइवे के लिए अधिग्रहित की जाने वाले जमीनों के बदले दुगुना या चार गुना मुआवजा अदा करने का विकल्प चुन सकते हैं।
ठाकुर ने कहा प्रदेश सरकार ने फैक्टर-1 वाला विकल्प चुना। उन्होंने साफ किया कि प्रदेश सरकार ऐसा नहीं होने देगी कि केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा तो चार गुना अदा करे जबकि प्रदेश सरकार की ओर से अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा दुगुना दें। इससे भेदभाव होगा। जो प्रदेश सरकार को मंजूर नहीं। इस तरह प्रदेश सरकारें मोदी सरकार की ओर से फंसाएं इस पेंच में फंस गई हैं चूंकि राज्य सरकारों के पास पैसा नहीं है और जमीन अधिग्रहण कानून में फैक्टर 1 व फैक्टर 2 का कोई प्रावधान नहीं है। इस मसले प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार की भी पोल खुल गई है। जब मामला किसानों का हो तो सरकार हमेशा टांग अड़ा देती है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गांवों में सड़कों का जाल बिछाना चाहती है। इसके अलावा हिमुडा भी कालोनियों के जमीन अधिग्रहित करती है।ऐसे में ये सब अधिग्रहण प्रदेश सरकासर अपने लिए करेगी। कौल सिंह ने कहा कि प्रदेश की वितीय स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वो इस जमीन के एवज में किसानों को चार गुना मुआवजा अदा कर पाएं। यहां बड़ा सवाल ये है कि अाखिर सरकार की वितीय स्िथति अच्छी क्यों नहीं है।भाजपा शासित गुजरात समेत देश में तीन राज्यों के अलावा बाकी सभी राज्यों ने फैक्टर-1 का फार्मूला अपनाया है। इसके पीछे मुख्य वजह यही है।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि क्या सीएम केंद्र सरकार को ये लिख कर देंगे कि प्रदेश सरकार नेश्नल हाइवे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के एवज में चौगुना मुआवजा देना चाहती है।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वो मौजूदा जमीन अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा अदा करेंगे।धूमल समेत भाजपा सदस्यों के दबाव के बावजूद सरकार अपने स्टैंड पर कायम रही है। भाजपा सदस्यों ने वॉकआउट भी किया।जिस पर कौल सिंह ने कहा कि विपक्ष की भूमिका रचनात्मक नहीं है।हमारी सरकार किसान हितैषी है।उन्होंने भाजपा सदस्यों से सवाल किया कि गुजरात सरकार चार गुना मुआवजा क्यों नहीं दे रही है। जबकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भाजपा सदस्यों की ओर से की गई नारेबाजी व वॉकआउट पर कहा कि भाजपा को विरोध शिमला में नहीं दिल्ली में करना चाहिए।
(2)