शिमला। जिला सिरमौर के बकरास के दलित नेता व आरटीआइ कार्यकर्ता केदार सिंह जिंदान की दबंगों की ओर से सात सितंबर को स्कार्पियों के नीचे कुचलकर किए कत्ल के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। अदालत ने इस बावत आज सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में गिरा पार प्रचलित खुमली प्रथा पर पाबंदी लगाने की मांग की है।
प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में अदालत से इस जिंदान हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने, जिंदान की ओर से उठाए गए तमाम भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करा कर दोषियों को सजा दिलाने का आग्रह किया गया है। इसके अलावा याचिका में जिंदान को पुलिस सुरक्षा मुहैया न कराने के लिए जिम्मेदार पुलिस व बाकी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। याद रहे कि जिंदान ने अपने लिए दंबगों की ओर से जान के खतरे का अंदेशा जताया था व इस बावत बीपीएल प्रमाणपत्रों के भ्रष्टाचार को लेकर विजीलेंस को भेजी शिकायत में जिक्र किया था। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।
इसके अलावा जिंदान के साथ बतौर सहायक वकील काम क रहे वकील अनिल कुमार के लिए भी सुरक्षा की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अनिल कुमार ने इस हत्याकांड को उजागर किया व न्याय के लिए लोगों को लामबंद किया। ऐसे में दबंग उसकी जान के पीछे भी पड़ गए हैं।
ऐसे में अंदेशा है कि अनिल कुमार को भी जिंदान की तरह न निपटा दिया जाए।
याचिका में गिरी पार क्षेत्र में खापों की तरह काम कर रही खुमलियों पर पूर्णतौर पर पांबदी लगा दी जाए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने सरकार से दो सप्ताहों के भीतर जवाब तलब कर लिया है।
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