शिमला। स्कूलों में परिवहन सुरक्षा संबंधी जारी दिशा-निदेर्शों के अनुसार स्कूल के बच्चों को ले जाने वाली बस वाहन के पीछे और सामने प्रमुखता से स्कूल बस लिखा जाना चाहिए। अगर यह किराये का वाहन है, तो उस पर स्कूल ड्यूटी पर स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
चालक का विवरण, बस के भीतर व विद्यालय या बस के मालिक का नाम, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर, 1098 और वाहन की पंजीकरण संख्या को चमकीले रंग में बस के बाहर के प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। यदि विद्यार्थियों की उम्र 12 वर्ष से कम हो तो वाहन में बिठाए गए विद्यार्थियों की संख्या निर्धारित क्षमता से डेढ़ गुणा से अधिक नहीं होगी। 12 वर्ष से अधिक उम्र के विद्यार्थी को एक व्यक्ति माना जाएगा।
स्कूल वाहन में एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स और पीने का पानी होना चाहिए। स्कूल वाहन में परदे व शीशों पर किसी प्रकार की फिल्म नहीं होनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में वाहन में किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को बैठने की अनुमति नहीं होगी।
वाहन व यात्रियों का मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत वैध बीमा होना चाहिए। स्कूल वाहन के रूट व ठहराव स्थलों का अनुमोदन क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण या स्कूल प्रबंधन से करवाना अनिवार्य होगा और इसकी जानकारी परिवहन विभाग व स्थानीय प्रशासन को देनी आवश्यक होगी।
किसी भी ऐसी पंजीकृत बस/वाहन जिसकी आयु पांच वर्ष या उससे अधिक हो, उसे स्कूल बस के रूट में पुराने परमिटपर बदलाव अथवा नया परमिट जारी नहीं किया जाएगा एवं ऐसी बस/वाहन से स्कूल द्वारा नया अनुबंध नहीं किया जाएगा। हालांकि ऐसी बसों/वाहनों के परमिट/अनुबंध का नवीनीकरण किया जा सकता है।
स्कूल की स्व:संचालित बसों तथा किसी स्कूल के साथ पूर्णकालिक तौर पर अनुबंधित बसों/वाहनों को गहरे पीले रंग में पेंट किया जाएगा तथा इनमें दोनों और स्कूल का नाम स्पष्ट लिखा जाएगा, ताकि इन्हें आसानी से पहचाना जा सके।
प्रत्येक स्कूल बस/वाहन में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। स्कूल बस /वाहन चालक के पास वैध ड्राईविंग लाईसेंस होना चाहिए और उसकी आयु 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। बस/वाहन चालक की शारीरिक फिटनेस, जिसमें आंखों का परीक्षण भी शामिल है, की चिकित्सा जांच हर वर्ष होनी
चाहिए व स्कूल प्रबंधन चालक का स्वास्थ्य कार्ड भी बनाएगा। ड्राईविंग करते समय मोबाईल फोन का उपयोग वर्जित होगा और उस पर विद्यार्थियों के साथ एक सीमा से परे कोई वातार्लाप करना प्रतिबंधित होगा। स्कूल प्रबंधन द्वारा की जाने वाली व्यवस्था के संबंध में भी निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार प्रत्येक स्कूल को ट्रांसपोर्ट मैनेजर नामित करना चाहिए, जो स्कूल बस/वाहन से यात्रा करने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। विद्यालय के परिवहन प्रबंधक का नाम और संपर्क विवरण बस/वाहन के अंदर व बाहर प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा।
स्कूलों द्वारा किसी भी स्व:संचालित अथवा किराये पर ली गई ऐसी बस/वाहन को नहीं चलाना चाहिए, जिनके पास वैध परमिट न हो अथवा जो राज्य परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित परमिट शर्तों को पूरा न करता हो। यह सुनिश्चित करना होगा कि वाहन जब चल रहे हों तो उनके दरवाजे बंद हों और वह चिन्हित बस स्टॉप पर ही रूकें।
बस व वाहन चालक शराब अथवा किसी प्रकार के अन्य नशे की हालत में वाहन नहीं चलाएगा। स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसे किसी वाहन चालक को नियुक्त अथवा अनुबंधित नहीं किया जाएगा, जिसका किसी भी तरह के अपराध के लिए वर्ष में दो बार से अधिक चालान किया गया हो, जिसमें लाल बत्ती का उल्लंघन, लेन अनुशासन का उल्लंघन या अनाधिकृत व्यक्ति को वाहन चलाने की अनुमति प्रदान करना शामिल है। जिस चालक का निर्धारित सीमा से अधिक गति पर वाहन चलाने/खतरनाक ढंग से वाहन चलाने अथवा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 279, 337, 338 तथा 304ए अथवा पास्को अधिनियम 2012 के अंतर्गत एक बार भी चालान किया गया हो।
स्कूल प्रबंधन स्कूल बस/ वाहनों में विद्यार्थियों के चढ़ने उतरने के समय स्कूल परिसर में उनकी पार्किंग हेतु आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करेगा। यदि ऐसा संभव न हो तो स्कूल बस/वाहन इस प्रकार पार्क होने चाहिए कि वह किसी प्रकार भी अन्य वाहनों के लिए यातायात में व्यवधान न डालें, ऐसे पार्किंग स्थलों पर स्कूल प्रबंधन सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था करेगा।
दिशा-निदेर्शों में माता-पिता/अभिभावकों को भी सलाह दी गई है कि जो माता पिता/अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल ले जाने हेतु अपने व्यक्तिगत वाहन का उपयोग करते हैं, उन्हें अन्य माता-पिता/अभिभावकों से मिलकर वाहन पूल करने की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्हें पीटीए बैठक में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चर्चा करनी चाहिए तथा स्कूल परिवहन सुरक्षा दिशा-निदेर्शों की अनुपालना की भी निगरानी के लिए सहयोग करना चाहिए।
दिशा-निदेर्शों में स्कूलों द्वारा स्व:संचालित बसों/वाहनों के लिए भी निर्देश दिए गए हैं, जिसके अनुसार स्कूली बसों/वाहनों को गहरे पीले रंग से पेंट किया जाएगा। बस की खिड़कियों में सीधे ग्रिल तथा जाली की व्यवस्था,आपातकालीन द्वार, स्पीड गवर्नर, दो अग्निशमन यंत्र तथा सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।
स्कूल बैग को सुरक्षित रूप से रखने के लिए सीटों के नीचे या बस के अंदर सुविधाजनक जगह की उपलब्धता हो तथास्कूल प्रबंधन स्वैच्छिक रूप से यथासंभव ऐसी व्यवस्था करे कि प्रत्येक स्कूल बस में कम से कम एक अभिभावक उपस्थित रहे, जो यात्रा के दौरान बस चालक तथा अन्य स्टाफ के व्यवहार पर निगरानी रखे।
स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रत्येक स्कूल बस में कम से कम एक प्रशिक्षित महिला गार्ड/परिचर की व्यवस्था की करनी होगी,जो बस में यात्रा कर रहे विद्यार्थियों की देखभाल सुनिश्चित करें।
स्कूल बस में अलार्म या साईरन की व्यवस्था होनी चाहिए, बस/वाहन चालक व परिचालक निर्धारित भूरे रंग की वर्दी व काले रंग के जूते पहनेगा तथा वर्दी पर उसकी नेम प्लेट प्रदर्शित होगी। स्कूल बस के अंदर बस परिचालक के पास बस में यात्रा कर रहे विद्यार्थियों का उनके नाम, कक्षा/आवासीय पता, संपर्क दूरभार्ष नंबर, ब्लड ग्रुप, बस के रूकने के स्थान, रूट प्लान इत्यादि का रिकॉर्ड हमेशा तैयार रहना चाहिए।
बस चालकों को दक्षता एवं व्यवहार कुशलता में सुधार लाने के लिए रिफ्रेशर प्रशिक्षण कोर्स करवाना चाहिए व स्कूल प्रबंधन आपातकाल के लिए प्रत्येक स्कूल बस में एक मोबाईल फोन उपलब्ध करवाएगा।स्कूलों द्वारा किराये पर ली गई निजी कांट्रेक्ट कैरिज श्रेणी व हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके तहत ऐसी बसों में बस के आगे व पीछे आॅन स्कूल ड्यूटी लिखना अनिवार्य होगा। ऐसी बसों के संबंधमें स्कूल प्रबंधन को नजदीकी पुलिस स्टेशन में व जिला यातायात पुलिस को चालक का नाम व गाड़ी का विवरण देना अनिवार्य होगा।
स्कूल बस के चालक के पास भारी वाहन चलाने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। स्कूल बस में एक परिचालक भी होगा, जिसके पास वैध लाइसेंस हो। स्कूली बच्चों को परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु प्रयोग में लाई जा रही टैक्सी,मैक्सी कैब वाहन के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिसमें कि टैक्सी,मैक्सी कैब के आगे व पीछे स्कूल ड्यूटी पर लिखा होना चाहिए, इसका विवरण यातायात पुलिस को देना होगा, चालक के पास वैध लाइसेंस होना चाहिए। इनका फिटनेस प्रमाण-पत्र होना चाहिए तथा टैक्सी/मैक्सी कैब में प्रथम चिकित्सा बॉक्स रखना अनिवार्य होगा।
टैक्सी/मैक्सी कैब में अग्निशमन यंत्र होना चाहिए/इसमें ओवरलोडिंग नहीं होगी तथा पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को वाहन की अगली सीट पर नहीं बिठाया जाएगा। टैक्सी/मैक्सी कैब में स्पीड गवर्नर लगाए जाएंगे, जिनकी अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और वाहन चालक को निर्धारित नीले रंग की वर्दी व काले रंग के जूते पहनना अनिवार्य होगा। वर्दी पर उसकी नेम प्लेट स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होगी।
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