शाइरोपा/कुल्लू । यूनेस्को की धरोहर सूची में शुमार ग्रेटर हिमालयन नेश्नल पार्क संभवत: वन्य जीव संरक्षण का पहला ऐसा प्रोजेक्ट जो स्थानीय लोगों के लिए रोजी का जरिया बन पाया।पार्क को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने में महत्वपूण भूमिका निभाने वाले हिमाचल वन महकमे के प्रिसिंपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट संजीवा पांडे ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण को स्थानीय लोगों को रोजी का जरिया भी होना चाहिए। वह कहते हैं कि ‘Let Conservation Pay’.
11 -12 फरवरी को शाइरोपा में सात्यिय ,कला व संस्कृति में प्राकृतिक धरोहर उत्सव मनाया गया । जिसमें स्थानीय कलाकारों के साथ दुनियाभर में विख्यात 83 वर्षीय जैवविज्ञानी जार्च शैलर ,भारतीय वन्यजीव संस्थान मे विज्ञानी रहे एजेटी जॉनसिंह, रिटायर आइएएस व कवि व लेखक श्रीनिवास जोशी , मीडिया कर्मियों व बाकियों ने डांस किया । इसके अलावा कवियों ने कविता पाठ किया ।
इस दो दिवसीय उत्सव के दौरान ग्रेटर हिमालयन नेशनल पार्क को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल होने के इतिहास पर रोशनी डाली गई। पांडे ने कहा कि दुनिया भर के 26 वन्य जीव प्रेमियों व वि䮦ఀशेषज्ञों की टीम ने स्वेच्छा से इस काम को अंजाम दिया व 2014में इस नेशनल पार्क को यूनेस्को की धरोहर सूची में स्थान मिल गया। पांडे इन 26 वन्य जीव प्रेमियों को पार्क के दोस्त करार देते हैं।
पांडे कहते हैं कि स्थानीय लोगों का संरक्षण में सहयोग नहीं लिया जाएगा तो संरक्षण मुश्किल हैं। वन महकमा ज्यादा कुछ नहीं कर सकता।वो बोले ‘हम तो जंगलाती हैं’।
भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में विज्ञानी व आसाम काडॅर की महिला आइएफएस अफसर सोनाली घोष ने कहा कि वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने खीरगंगा नेश्नल पार्क का ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में विलय करने के अब तक किए गए प्रयासों की सराहना की हैं। उन्होंने कहा कमेटी ने सरकार से तीर्थन वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी को नेशनल पार्क अधिसूचित करने की संभावना पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया हैं।
कमेटी ने पार्क से पशुओं की आवाजाही को रेगुलेट करने,जीव नाला वैली में स्थानीय लोगों के अधिकारों को मान्यता देने की प्रक्रिया को पूरा करने,,पार्वती वैली के प्रबंधन को समेटने,जंगली जानवरों व लोगों के बीच के संघर्ष को सुलटाने और स्टाफ का इंतजाम करने का आग्रह किया हैं।
घोष ने कहा कि वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने 1 दिसंबर 2018 तक ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के संरक्षण व उपरोक्त मसलों पर रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया हैं ताकि 2019 में कमेटी के 43वें सत्र में इन पर गौर किया जा सके।
पार्क के डायरेक्टर एस एस कटैक ने कहा कि पार्क में ज्यादा ट्रेकर हट्स तैयार की जाएगी व वॉच टावर बनाए जाएंगे। इन पर रहने का इंतजाम करने की योजना भी हैं ताकि वन्य जीव प्रेमी इन पर एक दो दिन तक रह कर वन्यजीवों को देख सकें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी कई योजनाएं हें जिन्हें अमलीजामा पहनाने का इरादा हैं।
रोजगार के मसले पर डिप्टी रेंजर रोशन लाल चौधरी ने कहा कि जो परिवार पहले शिकार किया करते थे उनकी आगे की पीढि़यां अब पार्क में संरक्षण कर रही हैं। शिकारी पहले इन लोगों के घरों में ठहरते थे। लेकिन विभाग ने आस पास के गांवों दारन धार ,शोंगचा समेत कई गांवों के युवाओें को वाइल्ड लाइफ वाचर तैनात किया । ये दिसंबर से मार्च महीने तक पार्क की निगरानी करते हैं। चूंकि इन महीनों में शिकार करने के ज्यादा चांस होते हैं। रोशनलाल कहते हैं कि इनको तीन सौ रुपए दिहाड़ी दी जाती हैं। इन महीनों में इनके पास काम नहीं होता,तो रोजगार भी मिल जाता हैं।
इसी तरह इस पार्क के यूनेस्को की धरोहर सूची में शुमार करने से यहां पर देश- विदेश के सैलानियों की आवाजाही बढ़ी हैं। जिससे स्थानीय लोगों की ओर से होमस्टे की जरिए अच्छा पैसा कमाया जा रहा हैं। तीर्थन वैली में शाइरोपा से गुशैणी तक ही 20 से 25 होमस्टे विकसित हो गए हैं। कुछ स्थानीय लोगों के हैं तो बाकी बाहर के कारोबारियों ने लीज पर ले लिए हैं। एक रात का एक कमरे का किराया एक हजार से तीन हजार तक हैं।
इसके अलावा भी पार्क प्रबंधन की ओर से स्थानीय बुनकरों,काष्ठकारों,किसानों ,महिलाओं व युवाओं को कई तरह के रोजगार सृजित किए हैं। काष्ठकारों की ओर से जुजुराणा के लकड़ी पर उकेरे गए खूबसूरत चित्रों को शाइरोपा में रेंज कार्यालय में प्रदर्शित किया गया।
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