नई दिल्ली/ शिमला। मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली की ईडी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित 7 करोड़ 93 लाख रुपए की प्रापर्टी को मनी लॉंर्डिंग केस मामले में अटैच कर दिया है।
ईडी ने इसकी जानकारी बाकयदा अपने ट्विटर हैंडल पर दी है। बुधवार दोपहर बाद करीब चार बजे इडी ने टविटर पर ये जानकारी शेयर कर दी कि मनी लॉंर्डिंग केस मामले में वीरभद्र सिंह की 7 करोड़ 93 लाख रुपए की प्रॉपर्टी अटैच कर दी है। प्रापर्टी अटैच की खबर आने के बाद वीरभद्र सिंह खेमे में अफरातफरी मच गई। बुधवार शाम को डीजीपी को हॉली लॉज तलब किया गया।इसके अलावा वकीलों से भी संपर्क किया गया।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के पुत्र विक्रमादित्य व प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य तीन चार दिनों से दिल्ली में थे। मंगलवार को वो वापस शिमला लौट रहे थे। लेकिन जैसे ही वो चंडीगढ़ पहुंचे उन्हें जानकारी मिली कि दिल्ली की प्रापर्टी अटैच की जा रही है। वो वहीं से वापस दिल्ली लौट गए। अगले दिन बुधवार को ईडी ने प्रापर्टी अटैच कर दी है।
कानून के मुताबिक वीबीएस रिश्वत कांड के बाद से लेकर वीरभद्र सिंह व उनके परिवार ने जितनी भी प्रापर्टी बनाई है और जितने भी बैंक खाते है,उन सबको को वो जांच पूरी होने तक अटैच कर सकती है। अब इन लोगों को सम्मन भेजे जाएंगे व पूछताछ की जाएगी। अगर वहां गड़बड़ पाई गई तो मुख्यमंत्री व उनके परिवार के सदस्यों को अरेस्ट भी किया जा सकता है। हालांकि जिस तरह से धूमल परिवार व वीरभद्र सिंह परिवार के बीच सांठगांठ का सिलसिला चला है और एक दूसरे की चौखट पर जाकर माथा टेकने की रिवायत शुरू हुई है, उससे लगता नहीं कि अरेस्ट तक की कोई नौबत आएगी।चूंकि सीबीआई वीबीएस व आय से अधिक मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर रही है। समझा जा रहा है कि इसीलिए ईडी ने दांव चला है। अनयथा अब तक बहुत पहले बहुत कुछ हो जाता।हालांकि चार अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई से तस्वीर एक हद तक साफ होनी है।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल दिल्ली भाजपा कार्यकारिणी समिति की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। संभवत: जरूर वहां कोई बातचीत हुई होगी।तभी से ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा था।
अब बड़ा सवाल ये है कि वित मंत्री अरुण जेटली की ईडी प्रापर्टी अटैच करने तक ही सीमित रहेगी या वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों को अरेस्ट भी करेगी। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में जबरदस्त उथल पुथल होगी और इसका भाजपा को फायदा भी होगा।
इस खबर के आने के बाद बुधवार को ही राजधानी शिमला में भाजपा के लोगों ने अफवाह उड़ा दी थी कि वीरभद्र सिंह के परिवहन मंत्री जी एस बाली बागी होकर उतराखंड जैसी कोई सिथति पैदा कर सकते है। लेकिन वो इस सिथति में नहीं है। हालांकि वो एक लंबे अरसे से मुख्यमंत्री बनन का सपना बन है और धूमल के सखा भी है।अब आगे क्या होता है इसका इंतजार है लेकिन एक बात तय है कि अब वीरभद्र सिंह परिवार मुश्किल में है और अगर धूमल परिवार ने हमला जारी रखा तो उनका हाल छगनभुजबल सा हो जाए तो आश्चर्यनहीं होना चाहिए।
उधर, आम आदमी पार्टी और हिलोपा जैसी पार्टियां चाहती ही है कि भाजपा व कांग्रेस आपस में लड़े और एक दूसरे के काले कारनामों को बाहर लाए और वो दोनों को टारगेट कर अपनी राजनीतिक राह आसान बनाएं।वीरभद्र सिंह ने धूमल परिवार की संपतियों पर विजीलेंस जांच बिठा रखी है। अब देखना है कि वो ईडी की इस प्रॉपर्टी अटैचमेंट का जवाब कैसे देते है।
उधर,हिमाचल प्रदेश मंत्रिमण्डल के सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कुशल नेतृत्व में पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए नई दिल्ली स्थित उनकी संपत्ति को अस्थाई तौर पर ज़ब्त करने के प्रवर्तन निदेशालय के आदेशों की कड़ी आलोचना की है।
आज यहां जारी एक संयुकत वक्तव्य में सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्सए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री जीएस बाली, कृषि एवं ऊर्जा मंत्री सुजान सिंह पठानिया वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री शहरी विकास एवं आवास मंत्री सुधीर शर्मा, आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चैधरी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅकर्नल धनी राम शांडिल, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा और आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को पूर्णतः दुर्भावना एवं राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई लोकप्रिय और प्रजातांत्रिक रूप से चुनी गई वीरभद्र सरकार को अस्थिर करने की एक ओच्छी साजिश है। उन्होंने कहा कि पहले सीबीआई ने उस दिन मुख्यमंत्री के आवास में छापेमारी की जब उनकी बेटी का विवाह चल रहा था। अब उत्सव के दिन इतनी बड़ी कार्रवाई की गई है जिससे जांच एजेंसियों की दुर्भावना स्पष्ट हो जाती है।
मंत्रियों ने आशंका व्यक्त की है कि यह देश के विभिन्न राज्यों में कांग्रेस सरकारों को निशाना बनाने की एनडीए सरकार का एक बड़ा मन्सूबा है ताकि जैसे.तैसे सत्ता हासिल की जा सके। उन्होंने कहा कि सबसे पहले अरूणाचल प्रदेश को निशाना बनाया गयाए फिर उत्तराखंड को और अब हिमाचल प्रदेश निशाने पर है।
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार इस प्रकार की हेर.फेर और जोड़.तोड़ की साजिशों में सफल नहीं होगीए क्योंकि श्री वीरभद्र सिंह को अपनी सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों का पूरा समर्थन प्राप्त है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की कि प्रवर्तन निदेशालय एकदम इस नतीजे तक पहुंच गया और सम्पत्ति अस्थाई तौर पर ज़ब्त कर ली गई जबकि उनके मामले आयकर विभाग के विभिन्न अपीलीय प्राधिकरणों के पास लम्बित हैं। इन पर कोई अंतिम फैसला आने से पहले ही इस प्रकार की कार्रवाई गैर.कानूनी और दुःखद् है।
प्रदेश के मंत्रियों ने केन्द्र सरकार को चेताया है कि इस प्रकार के गैर.कानूनी और लोकतांत्रिक कार्रवाई नहीं की जाएए अन्यथा उन्हें न्यायिक और राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
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