रजनीश शर्मा
हमीरपुर। चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश को उसका वाजिब हिस्सा दिलाने के सुजानपुर के विधायक व सर्व कल्याणकारी संस्था के चेयरमैन राजेंद्र राणा ने खुलकर मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदेश सरकार चंडीगढ़ में प्रदेश का वाजिब हक लेने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव भी बनाए और आवश्यक होने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाये।
राजेंद्र राणा ने चंडीगढ़ के प्रशासक व राज्यपाल वीपी बदनौर को भी इसके लिए अलग से पत्र लिखकर चंडीगढ़ पर हिमाचल की मजबूत दावेदारी जताई है।
राजेंद्र राणा ने कहा है कि अगर हिमाचल प्रदेश सरकार चंडीगढ़ में हिमाचल का हिस्सा लेने में नाकाम रहती है तो सर्व कल्याणकारी संस्था हिमाचली हित में संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने से गुरेज नहीं करेगी और इसके लिए जन आंदोलन भी खड़ा किया जाएगा।।
राजेंद्र राणा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और चंडीगढ़ के प्रशासक को लिखे पत्र में कहा है कि प्रथम नवंबर ,1966 को जब पंजाब का पुनर्गठन हुआ था और पंजाब के हिंदी भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया था, तब दोनों राज्यों के बीच सीमा पर स्थित चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ संयुक्त रूप से पंजाब व हरियाणा की राजधानी घोषित किए जाते समय यह भी तय हुआ था कि आबादी के हिसाब से परिसंपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा होगा और हिमाचल को भी उसका हिस्सा मिलेगा।
राजेंद्र राणा ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब व हरियाणा की राजधानी तो बन गया लेकिन हिमाचल प्रदेश की पूरी तरह से अनदेखी की गई। हिमाचल प्रदेश को भी चंडीगढ़ में हिस्सा मिलना चाहिए था , जो आज तक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पहले पंजाब , हरियाणा और हिमाचल एक ही भाग था और जब ये अलग हुए तो हिमाचल को चंडीगढ़ में उसका वैधानिक हिस्सा नहीं मिला।
राजेंद्र राणा ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि जिस तरह पंजाब व हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर जोर शोर से अपना दावा जताते रहे हैं , वैसा जोशोखरोश हिमाचल ने कभी नहीं दिखाया । उन्होंने कहा कि इसी बात का चंडीगढ़ में बसे हिमाचलियों को मलाल है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि चंडीगढ़ को तराशने , सँवारने व विकसित करने में हिमाचलियों का भी बहुत बड़ा योगदान है। हिमाचल प्रदेश की सीमाएं भी चंडीगढ़ के साथ सटी हैं। इस शहर में हजारों हिमाचली रह रहे हैं। बहुत से हिमाचली उद्यमी जिनका हिमाचल में कारोबार है, वे भी चंडीगढ़ में बसे हुए हैं। उन्होंने कहा आज भी हजारों हिमाचली विद्यार्थी चंडीगढ़ में या तो उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या फिर अपने कैरियर के निर्माण के लिए यहां विभिन्न संस्थानों में कोचिंग व प्रशिक्षण ले रहे हैं। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करने के लिए भी हर वर्ष हजारों हिमाचली चंडीगढ़ स्थित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में आते हैं। हिमाचल कैडर के कई आॅफिसर आज भी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में अपनी बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं।
राणा ने कहा हिमाचल के लोग चंडीगढ़ के चहुँमुखी विकास में भी नए रंग भर रहे हैं। चंडीगढ़ के हर सेक्टर में हिमाचल के लोग बसे हैं और हिमाचली संस्कृति की महक भी इस शहर की फिजाओं में रची हुयीहै।
राजेंद्र राणा ने जोर देकर कहा कि चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश का वाजिब हिस्सा बनता है । भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हिमाचल करोड़ों रुपयों की रायल्टी का दावा करता है और हिमाचल बीबीएम बोर्ड में 7.19 फीसदी हिस्से की मांग भी लगातार कर रहा है। इस मसले पर सितंबर, 2011 में देश की सबसे बड़ी अदालत भी हिमाचल के हक में फैसला सुना चुकी है। लेकिन हिमाचल प्रदेश अभी भी अपने हक के लिए तरस रहा है।
राणा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि आज हिमाचल प्रदेश व केंद्र दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार है। लिहाजा प्रदेश हित में चंडीगढ़ में हिमाचल के हिस्से की मांग को जोरदार तरीके से केंद्र के समक्ष उठाना चाहिए और जरूरत पड़े तो अदालत का दरवाजा भी खटखटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार चंडीगढ़ में हिमाचल को उसका वाजिब हिस्सा दिलाने के लिए खुलकर आगे आती है तो वह स्वयं व उनकी संस्था इस मुद्दे पर अपना पूरा सहयोग करेगी।
उन्होंने कहा अगर प्रदेश सरकार इस मोर्चे पर विफल रहती है तो सर्व कल्याणकारी संस्था हिमाचली लोगों की भावनाओं के अनुरूप इस मुद्दे पर जन आंदोलन खड़ा करने से नहीं हिचकेगी और इसके लिए संघर्ष का रास्ता अपनाने में भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
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