शिमला। कांग्रेस पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सखा मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने क्रप्शन में घिरे 83 साल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके कुनबे को उखाड़ने के लिए बड़ा दावं चला हैं। उन्होंने कहा कि वो न तो भाजपा में जाएंगे और न हीं तीसरा मोर्चा बनाएंगे।
समझा जा रहा है कि वो कांग्रेस में वीरभद्र सिंह का विकल्प बनकर उभरने की कवायद में जुट गए हैं व
अगर आलाकमान की समझ में उनकी राजनीति आई तो वो वीरभद्र सिंह को हाशिए में धकेल कर सता में आने का सपना देख रही भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकते हैं। मनकोटिया के खिलाफ बागी होने के अलावा कोई और आरोप नहीं लगा हैं। अगर भाजपा कोई बड़ा इल्जाम लगाने की कोशिश करेगी भी तो वो खुद फंस जाएंगी क्योंकि भाजपा प्रदेश में दो बार सता में रह चुकी है व मनकोटिया के खिलाफ कोई जांच नहीं की।
उन्होंने आज मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके टॉप अफसर चीफ सेक्रेटरी के वीसी फारका के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एलान किया कि न वो कांग्रेस छोड़ेंगे और नहीं तीसरे मोर्चेका गठन करेंगे।उन्होंने कहा कि वो पहले ये प्रयोग कर चुके हैं व हिमाचल में तीसरा मोर्चा सरकार नहीं बना सकता । खुद को गेम चैंजर बनने का एलान करते हुए उन्होंने कहा कि वो कांगेस पार्टी के हित में भ्रष्टाचारियों का पर्दाफाश करने के लिए एक ग्रुप गठित कर मोर्चाखोलेंगे।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ एक बार फिर विद्रोह का बिगूल बजाते हुए कांग्रेस में वीरभद्र सिंह के पुराने राजनीतिक दुश्मन व बीते रोज पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष पद से हटाए गए मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने वीरभद्र सिंह को सीएम की कुर्सी से हटाने की मांग कर कांगेस आलाकमान सोनिया गांधी व राहुल गांधी को भी पसोपेश में डाल दिया । साथ ही आलाकमान को उम्मीद की राह भी दिखाई है कि हिमाचल में उतराखंड जैसी स्थिति को होने से रोक कर कांग्रेस पार्टी की फजीहत होने से बचाया जा सकता हैं।
मनकोटिया को 2007 के विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने मनकोटिया का वीरभद्र सिंह के खिलाफ जमकर इस्तेमाल किया था व प्रदेश में सरकार बनाने के बाद उन्हें फेंक दिया था। तब मनकोटिया ने वीरभद्र सिंह की क्रपशन की सीडीज का पर्दाफाश किया था जिसे भाजपा ने धूमल की कमान में जमकर जनता के बीच भुनाया था। इसका लाभ कर धूमल मुख्यमंत्री भी बन गए थे पर मनकोटिया को इसका कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिला था । लेकिन लगता है कि इस बार मनकोटिया ने पिछली गलतियों से सबक लिया हैं। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दी होगा। अगर वो भाजपा के पाले में नहीं जाते है व कांग्रेस में ही वीरभद्र सिंह का विकल्प बनकर उभरते है तो सता में आने का सपना देख रही भाजपा के लिए ये बड़ा झटका होगा। कांग्रेस आलाकमान उतराखंड का तमाशा देख ही चुकी हैं ,ऐसे में मनकोटिया के एक – एक कदम उनके राजनीतिक कैरियर के लिए इस क्रिटिकल बिंदु में बेहद महत्वपूर्ण होंगे।
खुद को पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष पद से हटाने पर व्रिदोह का डंका बजा देने वाले मेजर मनकोटिया ने कहा कि कांग्रेस ,हिमाचल व जनहित में उनको नहीं, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को हटाने की जरूररत हैं। अच्छा होता अगर राज्यपाल इस तरह कि अधिसूचना मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को हटाने लेकर जारी करते तो जनहित होता। लेकिन उल्टा हो गया।
मेजर विजय सिंह मनकोटिया चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका पर भी निशाना साधा व कहा कि उनके हटाने को लेकर जो आदेश जारी हुआ हैं उसमें चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका ने दस्तख्त किए हैं।उसमें लिखा गया है कि जनहित में उन्हें (मेजर मनकोटिया को) पर्यटन विकास बोर्ड की चैयरमैनी से हटा दिया गया हैं।
मनकोटिया ने कहा कि फारका जिन्होंने इस अधिसूचना पर दस्तख्त किए हैं व सात सीनियर अफसरों को दरकिनार कर चीफ सेक्रेटरी बने हैं। उनके सीनियरों को जिनका हिमाचल में प्रशासन चलाने में अहम योगदान रहा हैं को दिल्ली में डेपुटेशन पर जाना पड़ा व बाकियों को कचहरी में चुनौती देनी पड़ी। वो चीफ सेक्रेटरी उनको हटाने की अधिसूचना पर दस्तख्त कर रहा हैं।
खुद को कांग्रेस में आउटसोर्स में मनकोटिया ने मुख्यमंत्री का उपहास उड़ाते हुए कहा कि वो छठी बार नहीं पांचवी बार मुख्यमंत्री बने हैं। एक बार वो कुछ दिनों के नामित हुए थे व विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए तो उन्हें पद छोड़ना पडा़ था। वो दावा करते हैं कि वो सातवीं बार भी सीएम बनेंगे । उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होगा।होगा।2012 के बाद जितने भी चुनाव हुए कांग्रेस पार्टी हर चुनाव हारी हैं। लोकसभा में तो उनकी अपनी पत्नी चुनाव हार गई। कांग्रेस पार्टी नगर निगम तक का चुनाव हार गए।मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष के बीच टकराव हैं। दोनों अलग – अलग बैठकें कर रहे हैं। भाजपा लगातार कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने पर उतारू हैं कुछ ही राज्यो ंमें बची हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से भाजपा के प्रोपगैंडे का कोई जवाब देने वाला नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी से लेकर भाजपा के बड़े नेता रोजना हिमाचल में आकर सीएम के क्रप्शन को लेकर हमला कर जाते हैं। कई राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, अब उन राज्यों के सीएम आकर प्रदेश में चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। लेकिन कांग्रेस के न कोई राष्ट्रीय नेता और न ही प्रदेश से कोई भाजपा के खिलाफ हमला बोलता हैं। चुनाव सिंर पर लेकिन कांग्रेस की कोई तैयारी ही नही हैं।कांग्रेस का कोई राष्ट्रीय नेता प्रदेश में नहीं आ रहा हैं।
उन्होंने कहा कि अगर अभी भी आलकमान संभल जाए तो कांगेस को सता में लाने का काम मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं हैं। उन्होंने वीरभद्र सिंह का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वो अदालतों में जमानत लेने के लिए ये दलील देते है कि वो 83 साल के होगए हैं। 84वें साल में लगे। उनका स्वास्थ्य खराब हैं। उन्होंने बेल दी जाए ,जेल न भेजा जाए। जबकि दूसरी ओर वो आलाकमान व जनता के बीच ये प्रचार कर रहे है कि वो सातवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे।अदालतों में वो कुछ बोल रहे हैं व जनता व आलाकमान में कुछ बोल रहे हैं।
उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि 2012 के चुनावों के दौरान उन्होंने आलाकमान को ये कहकर मुयिकल में डाल दिया कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया व जीत के बाद उन्हें ही सीएम बना दिया जाए। लेकिन इससे पहले वो एनसीपी के सर्वेसर्वा शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल से मिल चुके थे व आलाकमान से उन्होंने इन मुलाकातों के दम पर डील कर ली। वो हर बार कुछ न कुछ ऐसा करते हैं।
उन्होंने कहा कि आलाकमान को इस तरह की शर्तो के नहीं झुकना चाहिए।भाजपा कांग्रेसियों की कब्र ही नहीं खेदेंगी बलिक उनकी हडिडयां तक चबा डालेंगी।
खुद को कांग्रेस में आउटसोर्स पर रखे जाने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस के हितेषी है व वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस को बर्बादी के कगार पर ला दिया हैं।लेकिन न जाने क्यों कांगेस आलाकमान कार्रवाई नहीं कर रही हैं।
मोदी सरकार की एंजेसियों का हवाला देकर उन्होंने कहा कि प्रदेश में सर्वे कराए गए है जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस डब्बल डिजिट भी पार नहीं कर पाएगी। ये उनकी चिंता हैं।पहले मंत्री मुख्यमंत्री के पक्ष में संयुक्त बयान भी दे देते थे लेकिन अब वो भी बंद हो गया हैं।
उन्होंने कहा कि वीरभद्र ने प्रदेश को वितीय तबाही के कगार पर ला दिया हैं।50 हजार करोड़ के करीब कर्जा होने वाला हैं। बीते दिनों वित विभाग की कोई बैठक हुई थी जिसमें वितीय सचिव ने कहा था कि ये साल जैसे कैसे खिंच जाए लेकिन अगले साल प्रदेश को चलाना नामूमकिन होगा। मनकोटिया ने कहा कि जब वो इस मसले पर सीएम से जावबदेही लेना चाह रहे थे तो वो मुर्छित मुद्रा में थे1 जब कोई इस तरह के प्रश्न चाहता है तो वो मुछ्रित मुद्रा में चले जाते हैं।
मनकोटिया ने कहा कि वीरभद्र सिंह का पूरा परिवार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा हैं। ऐसा हिमाचल में आज से पहले कभी नहीं हुआ हैं।वो बेल पर हैं। यहां बिहार पैर्टर्न पर काम चला हुआ हैं।पत्नी भी बेल पर हैं। दोस्त वक्कामूला भी बेल पर हैं। उद्योग विभाग का ज्वाइंट डायरेक्टर तिलक राज शर्मा सीबीआई के शिकंजे में हें, उसने कई लोगों के खुलासे कर रखे हैं। जब सीबीआई उनके नामों व कारनामों के खुलासे करेंगे तो कांग्रेस का क्या होगा ,इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
मनकोटिया ने कहा कि कांग्रेस भाजपा को सता प्लेट में परोस कर दे रही हैं।उन्होंने वीरभद्र सिंह से आग्रह किया कि वो प्रदेश को अपने कारनामों से मुक्त करे।
उन्होंने खुलासा किया कि मुख्यमंत्री की ओर से उन्हें मनाने के लिए किसी के फोन आए थे व कहा गया कि सब कुछ ठीक हो जाएंगा। आप वीरभद्र सिंह के खिलाफ हलका हमला करे व भाजपा पर निशाना साधे। उन्होंने कहा कि वो अब उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं।वो एक ग्रुप बनाकर सता के दलालों का भंडा फोडेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति में सता के दलाल घुस आए हैं व पार्टी तबाह हो गई हैं। इन दलालों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बहुत पहले पार्टी को आगाह किया था।
उन्होंने कहा कि वो किसी बंधुआ मजदूर नहीं हैं । न ही वो बेल पर हैं और न ही उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप आज तक लगे हैं। उन्होंने संघर्ष किया हैं।मनकोटिया ने कहा कि उन्हें पता है कि वीरभद्र सिंह उन्हे ंइस बात पर घेरेंगे कि वो कुर्सी जाने के बाद ये प्रतिक्रिया दे रहे है व भाजपा के हाथों खेल रहे हैं।उन्होंने साफ किया कि वो भाजपा में नहीं जाएंगे। रही बात सता की तो वीरभद्र सिंह ने उन्हे टिकने ही कितने समय तक दिया हैं।उन्होंने कहा कि आज स्टैंड लेकर उन्होंने पैचअप की संभावनाएं बंद कर दी हैं।
कांग्रेस सांसद विपल्व ठाकुर के पुत्र निखिल ठाकुर के बयानों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि निखिल ने पिछले दिनों कहा था कि पार्टी में सबसे बड़ी काली भेड़ वीरभद्र सिंह खुद हैं। हालांकि वो औरों को काली भेड़ें ब्रांड करते रहे हैं।वो हर चुनाव में पार्टी प्रतयाशी के खिलाफ बागियों को उतारते रहे और पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों को हराते रहे हैं। ऐसे में वो मुझे उपाध्यक्ष पद से हटा रहे जबकि हटाया तो उन्हें जाना चाहिए।
उन्होंने कहा भाजपा में अंदरूनी तौर पर हर जिलें में जबरदस्त जंग चली हुई हैं। ऐसे में चुनावों में भाजपा को चुनौती देना मुश्किल काम नहीं हैं। लेकिन अगर वीरभद्र पर हमले होते रहे तो उसका जवाब कांग्रेस के पास नहीं हैं।
भाजपा में धूमन के सखा रहे मनकोटिया ने आलाकमान से आग्रह किया कि वो कांग्रेस को बचाने के लिए जल्द कुछ करे।
इस तरह का दांव चल कर मनकोटिया ने कांग्रेस में ही वैकल्पिक नेता बन कर उभरने की मुहिम चलाई हैं। हालांकि इस तरह की कोशिश परिवहन मंत्री जी एस बाली भी कर चुके हैं। लेकिल अगर वो उभरते हैं तो वो भाजपा के निशाने पर आ जाएंगे। उनके कई कारनामें बीजेपी विधानसभा में उठा चुकी हैं।
अगर मनकोटिया नेता बन कर उभरते है व वीरभद्र सिंह पर आलाकमान नकेल कसता है तो मनकोटिया को धूमल से भी बदला लेना हैं तो वो भाजपा को मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। बशर्ते वो दगाबाजी न करे।
मनकोटिया ने आईएएस अफसरों में फारका को निशाना बनाकर वीरभद्र के लाडले अफसरों को संदेश दे दिया हैं क वो उनको नहीं छोड़ेंगे जबकि सीनियर अफसरों का पक्ष लेकर नौकरशाही को अपनी तरु करने का दांव चला हैं।ये दांव कितने सफल होते हैं व वीरभद्र सिंह क्या चाल चलते हैं ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।
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