शिमला। किसान नेता राकेश टिकैत के पहले हिमाचल दौरे के दौरान सोलन मंडी में जिन दो आढ़तियों के साथ टिकैत की जुबानी जंग हुई थी उन दोनों ने आज वीडियो जारी कर अपने किए पर माफी मांग ली है। हालांकि यह दिलचस्प है कि बीते रोज ही विक्की चौहाान ने इल्जाम लगाया था क उन्हें पांवटा व बागपत से धमकियां मिल रही हैं और आज माफी मांग ली है और वह भी वीडियो जारी कर।
इन माफीनामो के बाद भारतीय किसान संघ ने बिना कोई देर किए तुरंत कहा कि कहा कि भाजपा की ओर से रची गई साजिश का पर्दाफाश हो गया है और यह भाजपा के मुंह पर कड़ा तमाचा है। जिन आढ़तियों का दुरुपयोग कर भाजपा ने यह सब किया था कि उन्होंने ही सब कुछ बेनकाब कर दिया है।
विक्की चौहान ने कहा कि उस दिन गलतफहमी हो गई थी । मंडी में किसी को भी यह मालूम नहीं था कि मंडी में टिकैत को आना है और उनका कोई कार्यक्रम है। मंडी के गेट पर जाम लग गया व नारेबाजी होती रही। उस दिन उनको कोराबार में नुकसान हो रहा था । इसलिए वह हताश भी थे। ऐसे में जब कहासुनी हुई तो टिकैत ने भी कुछ कह दिया व आगे से उसने भी उसी अंदाज में जवाब दे दिया। यह छोटा सा मामला था। लेकिन सोशल मीडिया पर यह मामला बड़ा बना दिया गया। उनकी टिकैत का अपमान करने की कोई नीयत नहीं थी।
उसने दावा किया कि वह पहले किसान है और उसके बाद आढ़ती या कारोबारी है। चौहान ने कहा कि उनके मन में राकेश टिकैत का पूरा सम्मान है और हम उनके साथ हैं। भविष्य में यदि वह दोबारा सोलन मण्डी आते है तो वह अपनी दुकान के सामने उनका सम्मान करेंगे । विक्की ने कहा कि वह सेब सीजन के बाद उनसे मिलने दिल्ली बॉर्डर भी जाएंगे अगर उनके रवैये से टिकैत को ठेस लगी है तो वह उसके लिए उनसे माफी मांगते है। एक अन्य आढ़ती यशपाल ने भी इसी तरह वीडियो जारी कर शनिवार को हुए घटनाक्रम को लेकर माफी मांगी है।
उधर भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनेंद्र सिंह नॉटी ने दोनों आढ़तियों के रवैये में आए बदलाव का स्वागत करते हुए दावा किया कि सरकार के लोगों की ओर से इन दोनों को धमकियां मिल रही है। संघ इसका पूरजोर विरोध करता है। उन्होंनेक कहा कि भाजपा ने कुछ स्थानीय लोगों के साथ मिल कर इस साजिश की रचना की थी लेकिन अब इन दोनों ने ही इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया है।।
उन्होंने कहा केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर तालिबान को लेकर शोर मचाए हुए है लेकिन अफगानिस्तान के साथ हुए विदेशी व्यापार समझौते को अभी तक निरस्त नहीं किया है। यह समझौता अदानी जैसे बड़े कारोबारियों को विदेशी सेब को अफगानिस्तान के जरिए देश में सेब के आयात की इजाजत देता है।
(22)