शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने कालेज केडर के 80 लेक्चरारों पर गाज गिरा दी है। इन लेक्चरारों को वीरभद्र सिंह सरकार ने ही 2014 में नियमित किया था व बाकायदा इस बावत आदेश जारी किए थे। इन्हें वेेतनमान व बाकी भतें भी मिलते रहे थे। लेकिन अब ट्रिब्यूनल से आदेश आने के बाद सरकार को पता चला कि इन लेक्चरारों को गलत तरीकेे से नियमित किया गया था। अब 18 अगस्त को प्रधान सचिव शिक्षा आर डी धीमान ने इन लेक्चरारों पर गाज गिराते हुए इनकी नियमितिकरण के आदेश वापस ले लिए है।अब ये सारे लेक्चरार कांट्रेक्ट पर ही माने जाएंगे। इन लेक्चरारों में से कइयों को धूमल सरकार में नियुक्तियां दी गई थी।
इन लेक्चरारों को कालेजिज मेंजब नियुक्ति दी गई थी तो इनमें से अधिकांश नेट व सेट पास नहीं थी। न ही इन्होंने कभी कमिशन पास किया था। प्रिसिंपल स्तर पर ही कोईकमेटी बनाई गई थी व इन्हें कालेजों में रख दिया गया था। कुछ टीचरोंका मामना है कि ये बैकडोर नियुक्तियां था। इन टीचरों पर तो गाज गिरा और इनसे रिकवरी भी की जाएगी। लेकिन जिनहोंने इन्हें नियुक्ति दी व नियमित किया उनका क्या होगा।
अब वीरभद्र सिंह सरकार के प्रधान सचिव के इस आदेश के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब उन सब अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने इन लेक्चरारों को नियमित करने की फाइलें चलाई थी।वो प्रधान सचिव शिक्षा कौन था, जिसने नियमितिकरण के आदेश निकालें थे।प्रदेश सरकार में वरिष्ठ आईएएस अफसर खुद को सुपर सुप्रीम कोर्ट समझ कर कुछ भी कर रहे है।चूंकि मुख्यमंत्री बुजुर्ग हो गए हैं व वो अपने भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हैं,ऐसे में वो अपने बाबूओं की करनी को ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं।नतीजा प्रदेश में अराजकता व नॉन गवर्नेंस का मायाजाल फैला हुआ है। ये आदेश तो महज एक छोटी सी तस्वीर हैं।हालांकि प्रदेश में चाहे वीरभद्र सिंह की सरकार हो यर धूमल की नियुक्तियों का धंधा ऐसे ही चलता रहा है।
यहां पढ़े प्रधान सचिव शिक्षा आरडी धीमान की ओर से जारी ये आदेश -:
नियमितिकरण के आदेश को वापस लेने के फैसले ने वीरभद्र सिंह सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आखिर पहले गलत आदेश क्योंं जारी किया गया।इस सरकार मेंअजीब अजीब कारनामें पेश किए जाते रहे है। सूत्रों के मुताबिक जब 2014 में इन लेक्चरारों को नियमित करने का आदेश पारित किया था तो बाकी लेक्चरार जो नियमित नहीं हुए थे वो ट्रिब्यूनल में चले गए थे। ट्रिब्यूनल ने सरकार के नियमितिकरण के इस आदेश को गैरकानूनी ठहरा दिया था। ऐसे में सरकार को अपने पहले के आदेश वापस लेने पड़े।
सरकार नेे 80 लेक्चरारों,जिनकी नियमितिकरण्ा के आदेश वापस लिए उनकी सूची भी जारी की है।यहां पढ़े पूरी सूची-:
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