शिमला। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा और बिजली आदि जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भारतीय वाणिज्य दूतावास व भारतीय उद्योग परिसंघ के सहयोग से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में रोड शो किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में उद्यमियों को अपनी इकाईयां स्थापित करने के लिए हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है।
राज्य सरकार द्वारा धर्मशाला में आयोजित होने वाली ग्लोबल इनवेसटरर्ज मीट-2019 में भाग लेने के लिए संभावित उद्यमियों को आमंत्रित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल इनवेसटरर्ज मीट पर्यटन, आयुष एवं वैलनेस, उत्पादन, फार्मास्यूटिकल, रियल एस्टेट, जल विद्युत, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रगतिशील क्षेत्रों की वृहद श्रृंखला पर ध्यान केन्द्रित करेगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने जर्मनी में रोड शो का आयोजन इसलिए करवाया है क्योंकि मेड इन जर्मनी ट्रेडमार्क की गुणवत्ता विश्व विख्यात है तथा हिमाचल सरकार इसका अनुसरण राज्य में करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जर्मनी की कम्पनियां योजना बनाने में विशेषज्ञ है। उन्होंने कहा कि राज्य में भी इस विशेषज्ञता को लागू करने के लिए हिमाचल जर्मनी की कम्पनियों का सहयोग चाहता है। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में 1600 से अधिक ईडो-जर्मन सहकार्य और 600 से अधिक संयुक्त उद्यम क्रियाशील है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि राज्य में पर्यटन, आयुष, फार्मास्युटिकल, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, रियल एस्टेट और आॅटोमोबाईल जैसे मुख्य क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में जर्मनी की कंपनियां क्रियाशील हैं। उन्होंने कहा कि 37.61 मिलियन यूरो की राशि से स्थानीय समुदायों की अनुकूलक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए क्लाइमेट प्रूफिंग परियोजना शुरू की गई थी जबकि 2016 में जीआईजेड और हिमाचल सरकार के बीच पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को संस्थागत बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं – एचपी-एफईएस परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा न्यू टेक फिल्टर्स, बीएएसएफ, एडेलमैन हैंकेल, एरिस्टो फार्मा और फेड्रल मोगुल जैसी कई जर्मन कम्पनियों राज्य में सक्रिय हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं है।
इससे पूर्व, हिमाचल के प्रतिनिधिमंडल ने जर्मन-भारतीय राउंड टेबल के अध्यक्ष व सदस्यों के साथ बैठक की और हिमाचल प्रदेश में निवेश की सम्भावनाओं पर चर्चा की।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने यूरोप के औद्योगिक हब व विश्व के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में रोड शो के दौरान कहा कि प्रदेश में 50 हजार से अधिक उत्पादन ईकाइयां प्रदेश में क्रियाशील है व इनमें चार लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने जर्मन निवेशकों को धर्मशाला में पहली बार आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में भाग लेने व हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रदान किए जा रहे व्यापक निवेश अवसरों का लाभ उठाने का निमंत्रण दिया।
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में साहसिक गतिविधियों, ट्रैकिंग एवं कैम्पिंग, वन्य-जीवन, अनछुए शीत रेगिस्तान, इतिहास, वास्तुशिल्प तथा आध्यात्म पर्यटन में विद्यमान अवसरों की जानकारी दी। उन्होंने पांच सितारा रिजॉर्ट, स्की रिजॉर्ट, ईको-पर्यटन, कन्वेशन केन्द्र, हॉट वाटर वैलनेस रिजॉर्ट, स्काई ब्रिज, झील पर्यटन, गंतव्य विकास, रोप-वे, नागरिक उड्डयन, चाय पर्यटन तथा टैंट अक्मोडेशन जैसे व्यक्तिगत सम्भावित निवेश परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार फ्रैंकफर्ट चैंबर आॅफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक ग्रुल्सवर्ट रेटजिंगर ने कहा कि फ्रैंकफर्ट रसायन और फॉर्मास्टुटिकल उद्योग, आॅटोमोटिव, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, माप और नियंत्रण इंजीनियरिंग जैसे उद्योग क्षेत्रों का गढ़ है। उन्होंने कहा कि फ्रैंकफर्ट जर्मनी में भारतीय व्यापार समुदाय का केन्द्र भी है। उन्होंने कहा कि सीसीआई में 260 भारतीय सदस्य कंपनियां है जिनमें भारत के सबसे बड़े बैंक और श्रेष्ठ भारतीय आईटी कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी यूरोप में भारत का महत्तवपूर्ण व्यापारिक साझेदार होने के साथ-साथ विश्व के टॉप-10 व्यापारिक भागीदारों में भी शामिल है।
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