शिमला। न्यू पैंशन स्कीम से खफा प्रदेश के 2003 के बाद सरकारी नौकरी में लगे अस्सी हजार के करीब कर्मचारियों को पुरानी पैंशन बहाली की मांग को लेकर एनपीएस कर्मचारी संघ ने 26 नवंबर संविधान दिवस के मौके पर कर्मचारियों से दिल्ली चलो का आहवान किया हैं। राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संघ के अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि न्यू पैंशन स्कीम के तहत जो दस फीसद अंशदान सीपीएफ का काटा जा रहा हैंवह भी सरकार ने कारोबारियों के फायदे के लिए शेयर बाजार के हवाले कर दिया हैं। ऐसे में कर्मचारी को नहीं पता जब वह सेवानिवृत होगा तो उसके हिस्से में उसकी ओर से जमा अंशदान की रकम भी आएगी या नहीं ।
उन्होंने सरकार से मांग की कि इस रकम को शेयर बाजार में लगाने के बजाया बैंकों में जमा कराए ताकि पैसा सुरक्षित रहे और सरकार इसे इस्तेमाल करे।
संघ के महासचिव भरत शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 85 हजार सरकारी कर्मचारियों की ओर से सीपीएफ के दस फीसद के तहत महीने में 480 करोड़ रुपए जमा कराए जाते हैं। ये तमाम रकम शेयर बाजार के मार्फत कारोबारियों के हाथ चली जाती हैं व वो मुनाफा कमाते हैं। अगर शेयर बाजार टूट गया तो कर्मचारियों के हाथ क्या लगेगा किसी को कोई पता नहीं। उन्होंने कहा कि नई पैंशन स्कीम के तहत अगर कर्मचारी का निधन हो जाता है तो कर्मचारी की पत्नी को पैंशन का प्रावधान खत्म कर दिया गया हैं। अगा कर्मचारी विकलांग हो गया तो भी यह प्रावधान खत्म हैं। हालांकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 5 मई 2009 को इस वर्ग के लिए पैंशन का प्रावधान कर दिया हैं लेकिन प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की ये मांग अब तक अनसुनी की हुई हैं। इसके अलावा पहले जीपीएफ जमा होता था अब वह भी जमा नहीं होता हैं।
ये पूछे जाने पर कि 2003 के बाद कर्मचारी अब तक खामोश क्यों रहे। ठाकुर और शर्मा ने दिलचस्प जवाब देते हुए कहा कि कई साल तक तो कर्मचारियों की समझ में यह योजना आई ही नहीं । इसके अलावा तब के कर्मचारी नेताओं ने आवाज भी नहीं उठाई। प्रदेश में बहुत से निगम व बोर्डों में पुरानी पैंशन योजना भी लागू नहीं थी । ऐसे में यह पूछे जाने पर कि जब वो कर्मचारी संघर्षरत थे तो वो क्यों खामोश रहते थे। उन्होंने कहा कि अब तमाम लोग साथ हैं।
इन दोनों कर्मचारी नेताओं ने विधायकों,लोकसभा व राज्यसभा सांसदों को मिलने वाली पैंशन पर भी सवाल उठाया कि अगर इनमें से कोई एक दिन भी इस पद पर पहुंच जाता हैं तो वह ताउम्र के लिए पैंशन का हकदार हो जाता हैं। ऐसे में कर्मचारियों को पुरानी पैंशन से वचिंत करना सही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी पैंशन योजना बहाल की जानी चाहिए।
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