शिमला। आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई की ओर से सितंबर 2015 में दर्ज मामले में दिल्ली की अदालत ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह समेत आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप निर्धारित करने के आदेश दे दिए हैं।
आगामी सात जनवरी को इन आरोपियों के खिलाफ सीबीआइ के स्पेशल जज अरुण भारद्वाज की अदालत में आरोप निर्धारित कर दिए जाएंगे। अदालत ने वीरभद्र सिंह व बाकी आरोपियों की ओर से चालान में लगाए गई तमाम धाराओं को निरस्त करने बावत पेश की गई दलीलों को खारिज कर दिया और आज आरोप निर्धारित करने के आदेश दिए।
वीरभद्र सिंह की ओर से पेश हुए वकीलों ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13/1 इ को दरकिनार करने का खास तौर पर आग्रह किया था। लेकिन अदालत ने यह आग्रह भी नहीं माना। अदालत ने कहा कि दस करोड़ के करीब इस राशि को सफेद करने के लिए धोखाधड़ी व जाली कागजात करने के आरोप पृथम दृष्टया सही लग रहे हैं।
सात जनवरी को वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी व पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह समेत सभी आरोपियों को अदालत में पेश होना होगा और आरोपों को गलत बताकर मुकदमा लड़ने के लिए तैयार होना होगा। आगामी लोकसभा चुनावों से पहले यह वीरभद्र सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस के लिए भी बड़ा झटका हैं। भाजपा आगामी चुनवों में इस मामले को भूनाने से पीछे नहीं हटेगी।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के अलावा इस मामले में उनके एलआइसी एजेंट व सेब के बगीचे के प्रबंधक आनंद चौहान, सेब के आढ़ती चुन्नी लाल जिसने आनंद चौहान से सेब खरीदे थे,जोगेंद्र सिंह घालटा,प्रेम राज, लवण कुमार, और राम प्रकाश भाटिया इस मामले में सीबीआइ की ओर से आरोपी बनाए गए हैं।
आनंद चौहान व वीरभद्र सिंह ने आयकर विभाग की जांच में दावा किया था कि उनके व आनंद चौहान के बीच सेब के बगीचे प्रबंधप और इनकी बिक्री को लेकर जून 2008 में समझौता हुआ था। अदालत ने कहा कि यह धोखाधड़ी करके बनाया जबकि दोनों जानते थे कि इस दिन इन्होंने को किसी भी समझौते पर दस्तख्त नहीं किए हैं। सीबीआइ जांच में पाया गया कि समणैते के ये कागजात बाद में तैयार किए गए। अदालत ने कहा कि वीरभद्र सिंह पर भ्रष्ट तरीकों बड़ी संपति एकत्रित करने का आरोप निर्धारित किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने आयकर विभाग को भी धोखे में रखने का काम किया व जाली दस्तावेज तैयार किए।
वीरभद्र सिंह की ओर से मामले की पैरवी कर वरिष्ठ वकील तरन्नुम चीमा ने दलीलें दी की तमाम आरोप राजनीतिक बदले की भावना से बनाए गए हैं व मामले की सीबीआइ जांच के लिए सरकार तक की अनुमति नहीं ली गई हैं। यह मामला किसी ने भी सीबीआइ को नहीं भेजा न अदालत ने न किसी सरकार ने । अदालत ने उनकी दलीलें खारिज करते हुए कहा कि आय से अधिक संपति मामले में प्रशांत भूषण की ओर से दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी थी। सीबीआइ ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ सितंबर 2015 में आय से अधिक संपति एकत्रित करने का मामला दर्ज किया था।
इसके बाद उनके शिमला, रामपुर व दिल्ली समेत कई ठिकानों पर छाापेमारी भी की थी। जिस दिन वीरभद्र सिंह के शिमला स्थित आवास पर छापेमारी की थी उस दिन उनकी बेटी की शादी थी ।
वीरभद्र सिंह ने सीबीआइ की ओर से दर्ज मामले को हिमाचल प्रदेया हाईकोर्ट में चुनौती दी थी व तब के जज न्यायामूर्ति राजीव शर्मा ने सीबीआइ को वीरभद्र सिंह पूछताछ करने व गिरफतार करने से पहले प्रदेश हाईकोर्ट से अनुमति लेने के आदेशा दिए थे। इसके खिलाफ सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी व सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हिमाचल हाईकोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानातंरित कर दिया था।
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