नई दिल्ली। धूमल व वीरभद्र सिंह परिवार के बीच सरकारी मशीनरी के दम पर चल रही जंग में धूमल परिवार को एक और जीत मिली हैं व वीरभद्र परिवार व वीरभद्र सरकार को झटका लगा हैं।
मामला धर्मशाला में एचपीसीए के क्रिकेट मैदान और निर्माण के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा करने और सरकारी बिल्डिंग को गिराने से जुड़ा था। इस मामले मेें प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव शर्मा की अदालत ने पुलिस की एफआईआर व निचली अदालत की कार्यवाही को रदद कर दिया था।अदालत ने कहा कि जिन धाराओं के तहत मामला बनाया गया हैं उनके तहत मामला बनता ही नहीं हैं। अतिक्रमण को लेकर पैमाइश भी गलत की गई हैं व पैमाइश के दौरान एचपीसीए को कभी पार्टी बनाया ही नहीं गया था।यह कानून गलत हैं।
ऐसे में इस मामले में दर्ज एफआईआर को रदद किया जाता हैै। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ वीरभद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट सरकार की अपील को खारिज करतेहुए िहिमाचल हाईकोर्ट के आदेश को बहाल रखा।
इससे फैसले से जहां मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को झटका लगा हैं वहीं भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को राहत मिली हैं।
लेकिन अभी असली मामला अदालत में ही लंबित हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं।गौरतलब हो कि वीरभद्र सिंह सरकार ने विजीलेंस के दम पर एचपीसीए को लेकर कई एफआईआर दर्ज की थी। इनमें से कोई भी अपने आखिरी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई हैं।
जबकि वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोदी सरकार की सीबीआई व इडी ने कई मामले चला रखे हैं। लेकिन उनमें भी कुछ ज्यादा नहीं हो रहा हैं।जबकि दोनों परिवारों के बीच जम कर जुबानी जंग छिड़ी हुई हैं।दोनों एक दूसरे पर माफिया किंग होने का आरोप जड़ रहे हैं।
एचपीसीए के प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा कि उनके पास अभी फैसले की कॉपी नहीं पहुंची हें लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया हैं।
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