शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के बीच राजनीतिक दुश्मनी के बावजूद प्रदेश भाजपा और बागी कांग्रेसी अरुणांचल और उतराखंड जैसे कांड दोहराने से कतरा रही है। इसके अलावा प्रदेश भाजपा के नेता नहीं चाहते कि वीरभद्र सिंह का हाल मोदी सरकार की ईडी महाराष्ट्र के नेता छगल भुजबल की तरह करे। कहा जा रहा है कि वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी के संभावित बागियों की व भाजपा नेताओं की गुपत फाइलें अपनी संदुकची में दबा कर रखी है।हालांकि सीबीआई छापे के बाद ये हल्ला मचा था कि ऐसी सारी फाइलें सीबीआई अपने साथ ले गई है। उनके एक मंत्री की खड़ाका सीडी पिछले साल हिमाचल की राजनीति में हाहाकार मचा चुकी है। कांग्रेस के संभावित बागी व भाजपाई इसीलिए डरे हुए हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से ईडी में दस्तावेज सौंप दिए गए है। ईडी की ओर से की जा रही जांच को लेकर ईडी ने वीरभद्र सिंह के परिवार से ये कागजात मांगे थे। जिस दिन महाराष्ट्र में छगन भुजबल को ईडी ने हिरासत में लिया उसके दूसरे दिन शाम को ही सचिवालय में अफरातफरी मच गई थी। वीरभद्र सिंह के विरोधी अफसरों ने हल्ला मचा दिया था कि ईडी मुख्यमंत्री को भी अपने कब्जे में लेने जैसा कदम उठा सकती है। लेकिन उनके खेमे के अफसर इससे सहमत नहीं दिखे।इस खेमे का मानना था कि इन दिनों हिमाचल में विधानसभा सत्र चला हुआ है। दूसरे वीरभद्र मुख्यमंत्री है।किसी भी मुख्यमंत्री पर इस तरह हाथ डालना ईडी व सीबीआई को हाथ डालना आसान नहीं है। इसके अलावा हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से मुख्यमंत्री को राहत मिली हुई है। इसके अलावा वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सखा है। बताते है कि छगन भुजबल के अरेस्ट होने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों व मुख्यमंत्री कि प्रबंधकों दिल्ली में टॉप वकीला सें से तुरंत संपर्क साधा व सिथति पर विचार विमर्श किया था। छगन भुजबल के खिलाफ आम आदमी पार्टी की मुबंई इकाई मोर्चा खोले हुए है जबकि यहां पर धूमल और अनुराग वीरभद्र सिंह के साथ सांठगांठ कर चुके है और उनकी चौखट पर माथा टेक चुके है।
उधर,पिछले तीन सालों से भाजपा नेता प्रेमकुमार धूमल उनके दोनों बेटे भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर,छोटे धूमल के नाम ख्यात अरुण धूमल और उनके खेमें के भाजपा नेता वीरभद्र सिंह को सता से अपदस्थ करने का बीड़ा उठाए हुए थे। लेकिन 2015 के आखिर में अचानक सब कुछ बदल गया। प्रदेश की जनता व सारे भाजपा व कांग्रेस नेता उस समय हैरान रह गए जब धूमल अचानक वीरभद्र सिंह की चौखट पर जा पहुंचे।वीरभद्र सिंह ने बिना कोई देर किए मुलाकात का फोटो मीडिया को जारी कर दिया।
इसके बाद धर्मशाला में भारत-पाक के बीच मैच के सिलसिले को लेकर अनुराग ठाकुर विधानसभा में वीरभद्र सिंह की चौखट पर आ धमके थे। उनके विधानसभा आने से शिमला के पत्रकार हैरान रह गए थे।
धूमल व उनकी खेमे की भाजपा वीरभद्र सिंह को सता से बाहर करने के लिए पिछले तीन सालों से पूरी ताकत लगती रही थी। अब वीरभद्र सिंह ईडी के शिकंजे में बुरी तरह से फंसे है।ऐसे में बताते हैकि धूमल व उनके खेमे के लोग वीरभद्र सिंह के साथ खड़े हो गए है।ऐसे में ईडी व सीबीआई वीरभद्र सिंह के प्रति नरम हो गई है। वीरभद्र सिंह ने धूमल परिवार की संपति को लेकर उनके खिलाफ विजीलेंस जांच शुरू करा रखी है। बताते है कि विजीलेंस ने धूमल को राजनीति तौर पर नुकसान पहुंचाने तक का माल एकत्रित किया गया है।बेशक कानूनी तौर पर धूमल साफ निकल जाए। लेकिन बड़ा मामला राजनीतिक तौर पर होने वाले नुकसान को बचाना ही धूमल के लिए बड़ी चुनौती है।विश्लेषक मानते है कि धूमल के लिए खामोश रहना ही सही रणनीति है।अभी सरकार के दो साल है।
हालांकि धूमल व उनके खेमे की भाजपा पिछले तीन सालों से हल्ला मचा रही है कि भाजपा के कई विधायक उनके संपर्क में है।वो ऐसे भी ब्यान दे चुके है कि कभी भी सतापलट हो सकता है।लेकिन ये पहले की बातें है। जब से धूमल व वीरभद्र सिंह और वीरभद्र सिंह वअनुराग ठाकुर के बीच मीठी मुलाकातें हुई हैं तबसे भाजपा इस मसले पर चुप हो गई है। ईडी व सीबीआई भी केवल प्रक्रियाएं पूरी कर रही है।मीडिया को भी कुछ लीक नहीं किया जा रहा है।
बताते है कि उतराखंड कांड दोहराने की अगर धूमल व उनकी भाजपा कोई कोशिश करती भी है तो भी कांग्रेसी विधायक शायद ही विद्रोह के लिए तैयार हो।क्योंकि उन्हें डर हैकि वीरभद्र सिंह ने बहुतों की फाइलें अपने पास रखी है।
उतराखंड होने के बाद वीरभद्र सिंह ने मीडिया से कहा भी था कि यहां पर उतराखंड नहीं दोहराया जा सकता । जब उन्होंने ये कहा था तो उनके जेहन में निश्चित तौर पर बहुत कुछ था। दूसरे राजनीतिक तौर पर अब अगर सबसे ज्यादा किसी का दांव पर लगा है तो वो धूमल परिवार का ही लगा है।ऐसे में धूमल परिवार के पास ईडी की ओर से छगन भुजबल वाला पैंतरा यहां चलाना फायदे का सौदा हो सकता है और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की इजाजत की भी जरूरत नहीं हैं। धूमल के करीबी वित मंत्री अरुण जेटली से ही काम चलाया जा सकता है।पर ऐसे में धूमल परिवार से जुड़ा कुछ भी वीरभद्र सिंह बाहर लाने से गुरेज नहीं करेंगे।बहरहाल अब ईडी क्या करती है इसका सभी को इंतजार है।मामला प्रापर्टी अटेचमेंट तक ही सीमित रहेगा यहा आगे भी कुछ होगा।इसको लेकर नजर धूमल ,अनुराग औरजेटली पर है।
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