शिमला। कोरोना विषाणु की वजह से प्रदेश के तमाम शक्तिपीठों में श्रद्वालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा कई मंदिरों में कपाट बंद कर दिए गए हैं। नैना देवी में कपाट तो बंद नहीं किए गए है लेकिन श्रद्वालुओं के आवाजाही बंद कर दी है। इसी तरह कांगड़ा के ज्चाला माता मंदिर, ब्रजेश्वरी व चामुंडा माता मंदिर में भी श्रद्वालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। इन शक्तिपीठों में नवरात्रों के दौरान लाखों की भीड़ जुटती थी। लेकिन कोरोना विषाणु की वजह से इस बार पहरा लग गया है।
विभिन्न जिला उपायुक्तों ने अंतरराज्यीय सीमाओं व अंतर जिला सीमाओं पर पुलिस चौकियों को श्रद्वालुओं को मंदिरों के लिए न आने देने की हिदायतें दी गई है। ऊना में माता चिंतपूर्णी के आज सुबह कपाट बंद कर दिए गए है। इसके अलावा लगने वाले लंगरों पर भी रोक लगा दी गई है। मंदिर अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि 25 मार्च से नवरात्रों के दौरान श्रद्वालुओं को दर्शन कराने के लिए आनलाइन व्यवस्था की जा रही है। मंदिर की वेबसाइट तो है ही इसके अलावा अगले दो दिनों में यूटयूब व फेसबुक पर भी दर्शन कराने के इंतजाम किए जा रहे हे। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में नवरात्रों मेंं अष्टमी व नवमी के मौके पर एक लाख तक श्रद्वालु आते है जबकि यहां औसतन रोजाना दस हजार के करीब श्रद्वालु मत्था टेकते है। इसके अलावा मुंडन जैसे संस्कारों को अब स्थगित ही करना पड़ेगा।
बिलासुपर के तलाई में इन दिनों में बाबा का मेला लगा है। आज जो श्रद्वालु आ गए थे उनसे मत्था टेकने दिया गया है। कल से श्रद्वालुओं के आने पर पाबंदी लगा दी गई। जिला उपायुक्त बिलासपुर राजेश्वर गोयल ने कहा कि अधिकांश श्रद्वालु ऊना जिला से आते है। इसलिए ऊना प्रशासन से भी बात की गई है। श्रद्वालु पहले तलाई में मत्था टेकते है उसके बाद बाबा बालक नाथ के मंदिर दयोटसिद्व में मत्था टेकने जाते है। उन्होंने कहा सरकार के आदेशों का पालन किया जा रहा है।
नैना देवी मंदिर में कपाट बंद नहीं किए जा सकते है, इसलिए कपाट तो खुले है लेकिन श्रद्वालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। एसडीएम स्वारघाट व मंदिर अधिकारी सुभाष गौतम ने कहा कि पंजाब से लगती सीमा भाखड़ा और टौबा में पुलिस चौकियों को हिदायत दी गई है कि वह श्रद्वालुओं के वाहनों को न आने दें। इससे भीड़ रुक जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिरों में पूजा अर्चना चलती होगी। इसके अलावा पंजाब से ज्यादा श्रद्वालु न आए इसलिए पंजाब में चलने वाले चैनलों का भी सहारा लिया जा रहा है।
कांगड़ा प्रशासन ने ज्वाला जी,ब्रजेश्वरी माता मंदिर और चामुंडा मंदिर के अलावा मकलोड़गंज में दलाइलामा के मुख्य मंदिर ,भागसुनाग के मंदिर और बैजनाथ के मंदिरों को भी श्रद्वालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। शक्तिपीठों में नवरात्रों से भारी भीड़ जुटती थी। एसडीएम धर्मशाला हरीश गज्जू ने कहा कि तमाम एहतयिात बरते गए है व श्रद्वालुओं को अनलाइन दर्शन कराने के इंतजाम किए गए है। देवभूमि के तमाम शक्तिपीठों के कपाट बंद,आनलाइन दर्शनों का इंतजाम
शिमला। कोरोना विषाणु की वजह से प्रदेश के तमाम शक्तिपीठों में श्रद्वालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा कई मंदिरों में कपाट बंद कर दिए गए हैं। नैना देवी में कपाट तो बंद नहीं किए गए है लेकिन श्रद्वालुओं के आवाजाही बंद कर दी है। इसी तरह कांगड़ा के ज्चाला माता मंदिर, ब्रजेश्वरी व चामुंडा माता मंदिर में भी श्रद्वालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। इन शक्तिपीठों में नवरात्रों के दौरान लाखों की भीड़ जुटती थी। लेकिन कोरोना विषाणु की वजह से इस बार पहरा लग गया है।
विभिन्न जिला उपायुक्तों ने अंतरराज्यीय सीमाओं व अंतर जिला सीमाओं पर पुलिस चौकियों को श्रद्वालुओं को मंदिरों के लिए न आने देने की हिदायतें दी गई है। ऊना में माता चिंतपूर्णी के आज सुबह कपाट बंद कर दिए गए है। इसके अलावा लगने वाले लंगरों पर भी रोक लगा दी गई है। मंदिर अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि 25 मार्च से नवरात्रों के दौरान श्रद्वालुओं को दर्शन कराने के लिए आनलाइन व्यवस्था की जा रही है। मंदिर की वेबसाइट तो है ही इसके अलावा अगले दो दिनों में यूटयूब व फेसबुक पर भी दर्शन कराने के इंतजाम किए जा रहे हे। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में नवरात्रों मेंं अष्टमी व नवमी के मौके पर एक लाख तक श्रद्वालु आते है जबकि यहां औसतन रोजाना दस हजार के करीब श्रद्वालु मत्था टेकते है।
इसके अलावा मुंडन जैसे संस्कारों को अब स्थगित ही करना पड़ेगा।
बिलासुपर के तलाई में इन दिनों में बाबा का मेला लगा है। आज जो श्रद्वालु आ गए थे उनसे मत्था टेकने दिया गया है। कल से श्रद्वालुओं के आने पर पाबंदी लगा दी गई। जिला उपायुक्त बिलासपुर राजेश्वर गोयल ने कहा कि अधिकांश श्रद्वालु ऊना जिला से आते है। इसलिए ऊना प्रशासन से भी बात की गई है। श्रद्वालु पहले तलाई में मत्था टेकते है उसके बाद बाबा बालक नाथ के मंदिर दयोटसिद्व में मत्था टेकने जाते है। उन्होंने कहा सरकार के आदेशों का पालन किया जा रहा है।
नैना देवी मंदिर में कपाट बंद नहीं किए जा सकते है, इसलिए कपाट तो खुले है लेकिन श्रद्वालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। एसडीएम स्वारघाट व मंदिर अधिकारी सुभाष गौतम ने कहा कि पंजाब से लगती सीमा भाखड़ा और टौबा में पुलिस चौकियों को हिदायत दी गई है कि वह श्रद्वालुओं के वाहनों को न आने दें। इससे भीड़ रुक जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिरों में पूजा अर्चना चलती होगी। इसके अलावा पंजाब से ज्यादा श्रद्वालु न आए इसलिए पंजाब में चलने वाले चैनलों का भी सहारा लिया जा रहा है।
कांगड़ा प्रशासन ने ज्वाला जी,ब्रजेश्वरी माता मंदिर और चामुंडा मंदिर के अलावा मकलोड़गंज में दलाइलामा के मुख्य मंदिर ,भागसुनाग के मंदिर और बैजनाथ के मंदिरों को भी श्रद्वालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। शक्तिपीठों में नवरात्रों से भारी भीड़ जुटती थी। एसडीएम धर्मशाला हरीश गज्जू ने कहा कि तमाम एहतयिात बरते गए है व श्रद्वालुओं को अनलाइन दर्शन कराने के इंतजाम किए गए है।
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