शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट में अदाणी पावर लिमिटेड की ओर से 960 मेगावाट के जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट के आवंटन के समय नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन की ओर से जमा कराई 280 करोड़ रुपए अपफ्रंट मनी को लौटने के मामले में दलीलें शुरू हो गई है। सरकार ने इस मामले में अपना जवाब दायर कर दिया है व इस पर अदाणी की ओर से रिज्वाइंडर भी दायर कर दिया गया। इसके बाद आज इस मसले पर बहस शुरू हुई ।
मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रमण्यन की खंडपीठ में आज मामले की सुनवाई हुई व अदाणी पावर लिमिटेड की ओर से दलीले दी गई कि यह परियोजना का आवंटन प्रदेश सरकार व ब्रेकल की गलतियों की वजह से रदद हुआ। इसमें अदाणी पावर की कोई गलती नहीं है। ब्रेकल ने उन्हें एनओसी दे रखी है वह सरकार से 280 करोड़ रुपए वापस ले ले तो उसे कोई आपति नहीं है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि इस एनओसी की वजह से इस मामले में कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
अदाणी ने यह भी दलीलें दी कि उसने सरकार को इस रकम को लौटाने के लिए कई चिटिठयां लिखी । इस पर सरकार ने जवाब दिया कि इन तमाम चिटिठयों पर सरकार ने विचार किया व अदाणी मांग को खारिज कर दिया।
। सरकार ने पीठ से कहा कि सरकार कुछ दस्तावेजों को रिकार्ड पर लाना चाहती है। इस मामले में बहस जारी है व अगली सुनवाई अब 26 अगस्त को निर्धारित की गई है।
ब्रेकल के खिलाफ एफआइआर
इस दौरान अदालत में बीते दिनों ब्रेकल कारपोरशेन एनवी के खिलाफ विजीलेंस की ओर से दर्ज की गई एफआइआर को भी रिकार्ड पर लाया गया। विजीलेंस ने इस मामले में 2008 में ब्रेकल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी। लेकिन यह मंजूरी पिछल्ले साल सितंबर में मिली थी। लेकिन विजीलेंस ने तब एफआइआर दर्ज नहीं की और प्रश्नावली सरकार को भेज दी। आखिर में बीते दिनों विजीलेंस ने ब्रेकल के खिलाफ धारा 420 के तहत इस मामले में एफआइआर दर्ज कर दी है। ब्रेकल पर इल्जाम है कि उसने वीरभद्र सिंह सरकार में 2006-7 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह छह हजार से नौ हजार करोड़ रुपए के इस परियोजना को हथियाया था।
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