शिमला। प्रदेश में करीब चार हजार करोड रुपए के घाटे में चल रहे ११ निगमों और एक बोर्ड को बंद करने को तैयार नहीं है। इन निगमों व बोर्डों का घाटा ३९७९ करोड तक पहुंच गया है। इसके अलावा सरकार जिन निगमों व बोर्डों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष लगा रखे है उन्हें हटाने को तैयार भी नहीं है । प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री के स्थान पर अधिकृत जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने ठाकुर ने जवाब देते हुए कहा कि यह निगम व बोर्ड कई सालों से घाटे में है । यह जयराम के शासन में घाटे में नहीं आए है।
महेंद्र सिंह ने कहा कि इन निगमों व बोर्डों में जो अध्यक्ष व उपाध्यक्ष लगाए गए है वह कांग्रेस शासन काल में भी लगते रहे हैं। इसे राजनीतिक मजबूरियां समझे या राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इन पदों पर समायोजित करना हो ये सब सरकारें करती रही है।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी प्रश्न किया था कि प्रदेश के कितने निगम व बोर्ड घटे में चल रहे है। उन्होंने इन निगमों व बोर्डों में लगाए गए अध्यक्षों व उपाध्यक्षों को दिए वेतन का भी ब्योरा मांगा था।
नेगी के प्रश्न का जवाब देते हुए महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इन निगमों व बोर्ड का घाटा ३९७९ करोड़ २० लाख ८६ हजार रुपए हो गया है।
इनमें से सबसे ज्यादा घाटा हिमाचल परिवहन व प्रदेश बिजली बोर्ड का है। इसमें से परिवहन निगम का घाटा १५३३ करोड़ ७० लाख ४७ हजार और बिजली बोर्ड का घाटा १५२० करोड़ ५९ लाख ३७ हजार रुपए तक पहुंच गया है।
इसके अलावा राज्य हस्तशिल्प व हथकरघा निगम का घाटा १३ करोड़ ४३ लाखएराज्य ऊर्जा संचार निगम का घाटा १०८ करोड ३६ लाखएप्रदेश एग्रो इंडस्ट्री निगम का घाटा ९ करोड़ ३६ लाखएप्रदेश वित निगम का घाटा १५३ करोड़ ४८ लाखएराज्य वन विकास निगम का घटा ११० करोड़ ४२ लाखएएचपीएमसी का घाटा ८५ करोड़ ९ लाख रुपएएअल्पसंख्यक वर्ग वित विकास निगम का घाटा ६ करोड़ १९ लाखएअनुसूचित जाति व जनजाति विकास निगम को घाटा २६२ करोड़ ३ लाख और प्रदेश ऊर्जा निगम का घाटा ३६१ करोड़ ९९ लाख तक पहुंच गया है।
सदन में इन निगमों व बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों पर पिछले तीन सालों में किए गए खर्च का ब्योरा भी रखा। इनमें से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बेहद करीबी हिमाचल परिवहन निगम के उपाध्यक्ष को सबसे ज्यादा रकम दी गई है । उन्हें वेतन व अन्य खर्चों के तौर पर तीन सालों में निगम के खजाने से ५६ लाख ७५ हजार७७७ रुपए दिए गए है। इसके बाद राज्य वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सुरत नेगी के वेतन व अन्य खर्चेां के तौर पर ३० लाख १६ हजार ९७० रुपए अदा किया गया है।
राज्य हसतशिल्प व हथकरघा निगम के उपाध्यक्ष पर २८ लाख ५७ हजार ९९० रुपए खर्च किए गए । इसके अलावा एचपीएमसी के उपाध्यक्ष पर १३ लाख ४२ हजार ९८४ खर्च किए गए हैं। एससीएसटी विकास निगम के उपाध्यक्ष पर १३ लाख ३३ हजार ३६५ और ऊजा निगम के अध्यक्ष पर ५ लाख४५ हजार ६६९ रुपए और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष पर २ लाख ६७ हजार १६१ रुपए खर्च किए गए है।
महेंद्र सिंह ने कहा कि जयराम सरकार ने तो पांच ही निगमों व बोर्डों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष लगाए है जबकि कांग्रेस ने घाटे में चल रहे छह निगमों व बोर्डों में इनकी तैनाती की थी।
नेगी ने पूरक प्रश्न पूछा कि क्या इन अदारों को बंद किया जाएगा और जिन अदारों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री व मंत्री हैए क्या उनमें उपाध्यक्ष के पद समाप्त कर दिए जाएंगे।
महेंद्र सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ऐसा नहीं करने जा रही है। कांग्रेस सरकार ने भी ऐसा नहीं किया था। अब इसे राजनीतिक मजबूरी कह लो या पार्टी के कार्यकर्ताओं को समायोजन करने का नाम दे दो।
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