शिमला।वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर की ओर से अश्वनी खडड से पानी की सप्लाई पर रोक लगा देने के बाद सचिवालय से लेकर डीसी आफिस और कांग्रेस से लेकर भाजपा तक सब जाग गए है। डीसी शिमला दिनेश मल्होत्रा पीलिया के हजारों मामले सामने आने के एक अरसा बाद आज सक्रिय हो गए और एलान किया कि विकासनगर वाटर एटीएम से पीलिया प्रभावित लोगों को मुफ्त पानी मुहैया कराया जाएगा।। वह आज यहां पीलिया की समस्या से निदान के उपायों के लिए आयोजित नगर निगम शिमला और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
दिनेश मल्होत्रा ने अब जाकर एलान किया कि पीलिया से प्रभावित सभी क्षेत्रों में स्थित पानी की बाबडि़यां सील कर दी जाएंगी। इसके अलावा नएनलके स्थापित करने का भी एलान किया। यहां उल्ेखनीय है कि करीब दो सप्ताह बाद पीलिया के मामलों में कमी आने संभावना डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर जता चुके है।
डीसी ने कहा कि पीलिया से प्रभावित क्षेत्रों में खुले बिकने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि गोलगप्पे इत्यादि की बिक्री पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने ढाबा मालिकों से आग्रह किया कि वह अपने ग्राहकों को कम से कम 20 मिनट उबला हुआ पानी ही प्रदान करें, साथ ही पानी से तैयार होने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों को भी उबले पानी से ही पानी से तैयार किया जाए।
उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि पानी की आपूर्ति से पूर्व उसका स्रोत स्थल पर ही निरीक्षण व जांच की जाए, साथ ही भंडारण टैंकों पर ही पानी की नियमित रूप से जांच और क्लोरिनेशन की जाए।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पीलिया के लक्षणों और पानी की स्वच्छता के बारे में लोगों को और अधिक जागरूक करने के लिए प्रभावी जागरूकता अभियान आरम्भ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम गठित कर पीलिया से प्रभावित क्षेत्रों में विशेष व्याख्यान आयोजित किए जाएं। हालांकि निगम व स्वास्थ्य विभाग ने पहले हीजागरूकता अभियान चलाया हुआ है।
गौरतलब है कि आधे शहर को सीवरेज युक्त पानी पिलाने के लिए जिम्मेदार म्लाणा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार व अफसरों के खिलाफ वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर की ओर से एफआईआर दर्ज कराने के बावजूद अभी तक न तो ठेकेदार को पकड़ा गया है और न ही आईपीएच,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संबधित अधिकारियों को निलंबित किया गया है। चूंकि हाईकोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान ले रखा है इसलिए वहां फजीहत न हो इसलिए एएसपी संदीप धवल की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया है।आधे शहर को सीवरेज युक्त पानी पिलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की वीरभद्र सिंह सरकार व डीसी शिमला की अब ये कदम उठाने में दिखाई जा रही तेजी हास्यस्पद ही नहीं शर्मनाक भी है। ये गवर्नेंस व जवाबदेही का मजाक है। खतरनाक संकेत ठेकेदार व आईपीएच के अफसरों का इतने दिनों के बाद भी खुलेआम घूमना है।बताते है कि अरसे से कारनामें करने वाले ये सारे कारिंदे इन दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय व हालीलॉज की सीढि़यों पर नजर आ रहे हैं।ऐसे में एएसपी संदीप धवल इन पर किस सीमा तक हाथ डाल पाएंगे,इस पर सवाल उठ रहे है।
उधर, इस मसले पर राजनीतिक तौर पर खुद को पीछे पा रही भाजपा ने भी अपनी सुबगुबाहट तेज कर दी है। विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने जहां नगर निगम व वीरभद्र सरकार पर निशाना साधा है वहीं स्मार्ट सिटी व पीलिया के मसले पर वामपंथियों के राजनीतिक चंगुल में फंस चुके शिमला के भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज और शिमला भाजपा ने आज धरना प्रदर्शन किया। पर धूमल को वामपंथी पार्षदों ने उनका अपना जमाना याद दिला दिया।वामपंथी पार्षदों ने धूमल से सवाल पूछ लिया है कि जब2011 में पीलिया फैला तो स्थाई समाधान केलिए उन्होंने क्या किया था।
बहरहाल,राजनीतिक दलों में बेशक इस मसले पर क्रेडिट लूटने की जंग छिड़ी हो, पर अब प्रशासन की क्रीम,जिन्हें आईएएस अफसर कहते है,वो भी पीलिया की चपेट में आने लगे है।
पीलिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर ने अश्वनी खडड का पानी लेने से इंकार कर दिया था।वामपंथियों के इस कदम के राजनीतिक मायने समझते हुए 88 वर्षीय आईपीएच मंत्री विद्या स्टाेक्स खुद अश्वनी खडड गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सचिवालय में बड़ी बैठक ली। मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा ने केंद्रीय टीम भेजी। पानी व खून के सेंपल लिए गए। इतना कुछ हो गया लेकिन ठेकेदार व जिम्मेदार अफसर अभी तक मजे में है।ठेका छीना नहीं गया है।ये जनता का अपमान अगर नहीं तो क्या हो सकता है,ये सवाल लोगों के जेहन में तारी हो गया है।
दुनिया भर में सैलानियों के लिए पहाड़ों की रानी कहलाई जाने वाली ये ब्रिटिश राज की राजधानी पीलिया की महामारी के लिए मशहूर हो जाएगी ये शायद किसी ने सोचा नहीं होगा।
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