शिमला। शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे पुत्र अरुण धूमल के राह पकड़ ली हैं। जिस तरह से छोटे धूमल ने पूर्व सरकार में वीरभद्र सिंह को निशाना बनाया था उसी तरह वीरभद्र सिंह के विक्रमादित्य सिंह ने भी मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर निशाने साधे हैं। भाषा,अंदाज और कथ्य के चयन में तक कोई बदलाव नहीं था।
पहले विक्रमादित्य सिंह ने गुरुवार को राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में क्या कहा उसकी बानगी उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिक्रिया -:
मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात आइपीएस संजय कुंडू व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधीक्षण
अभियंता प्रवीण गुप्ता का नाम लिए बगैर कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार को पहली बार कटघरे में खड़ा कर सबको आश्चर्य में डाल दिया हैं।
इसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बीच अब तक चली दोस्ती के बीच पड़ी दरार का नतीजा समझा जा रहा हैं।
उन्होंने जयराम सरकार पर संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा कि सरकार का एक प्रधान सचिव विजीलेंस के कार्यालय में जाकर विजीलेंस अधिकारियों पर कानून के दायरे से बाहर जाकर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मामले बनाने का दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने ऐसे अधिकारियों को सीधे -सीधे चेतावनी दी कि जब कांग्रेस सरकार सता में आएंगी तो ऐसे अधिकारियों को ‘फटक -फटक कर देखेंगे’। समझा जा रहा है कि विक्रमादित्य का इशारा प्रधान सचिव विजीलेंस व मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडु की ओर हैं। याद रहे जयराम ठाकुर ने आइपीएस होते हुए भी कुंडु को विजीलेंस का प्रधान सचिव बनाया हुआ व मुख्यमंत्री कार्यालय में गठित गुणवता नियंत्रण प्रकोष्ठ भी उनके जिम्मे हैं। वह काम भी सही ही कर रहे हैं। पता नहीं क्यों विक्रमादित्य सिंह या वीरभद्र कांग्रेस में कोई और जिन्होंने विक्रमादित्य सिंह को आगे किया हैं, जांच से डर रहे हैं।
संजय कुंडु के अलावा आश्चर्यजनक तौर पर विक्रमादित्य ने हाल ही प्रदूषण बोर्ड के अधीक्षण अभियंता प्रवीण गुप्ता जिन्हें पर्यावरण विभाग में अतिरिक्त निदेशक के साथ साथ एडीबी परियोजनाओं का प्रभारी बनाया गया हैं। उनकी तैनाती को लेकर भी सवाल उठाया। विक्रमादित्य ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिशासी अभियंता को एशियन डवलपमेंट बोर्ड की परियोजना का प्रभार दे दिया हैं। वह जूनियर अधिकारी हैं व उन्हें मुख्यमंत्री के साथ संपर्कों की वजह से यह तैनाती दी गई हैं। इससे वरिष्ठ अधिकारियों का मनोबल गिरता हैं। यह सरकार के लिए अच्छा नहीं। हालांकि उन्होंने पूछने पर अधिकारी का नाम लेने से गुरेज किया व कहा कि उन्हें आप सब जानते हो। प्रवीण गुप्ता हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन की सदस्यरचना गुप्ता के पति हैं। रचना गुप्ता जब पत्रकारिता में थी तो उनकी हॉलीलॉज से भी बेहद नजदीकियां थी। उनकी इस सरकार से भी नजदीकियां हैं।
व्रिक्रमादित्य का उन पर सवाल उठाना आश्चर्यजनक समझा जा रहा हैं। विक्रमादित्य को यह भी नहीं मालूम की प्रवीण गुप्ता एक्सीन है या एसई। वह उन्हें एक्सीन बता रहे थे।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि एडीबी परियोजनाओं के वीरभद्र सिंह के शासन में दिए ठेकों को लेकर सरकार के स्तर पर चल रही समीक्षाओं की वजह से कुंडु व प्रवीण गुप्ता को विक्रमादित्य ने निशाने पर लिया हैं। यह हमला ठेकों की वजह से ही है, इस बावत अभी तस्वीर साफ नहीं हैं।
याद रहे कि वीरभद्र सिंह सरकार में मीरा वालिया को आरकेएमवी से प्राधानाचार्य के पद से रिटायर होने से पहले ही निजी शिक्षा नियामक आयोग का सदस्य तैनात कर दिया था और जब उनका मन वहां नहीं लगा तो उन्हें हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन में तैनात कर दिया।
विक्रमादित्य ने बाबा रामदेव को दो करोड़ 40 लाख में साधुपुल में लीज पर दी जमीन पर सवाल उठाया व कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से संशोधित लीज नियमों के मुताबिक इसकी लीज राशि 28 करोड़ रुपए बननी थी। लेकिन सरकार ने देश के दस शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार बाबा रामदेव को यह जमीन कौड़ियों के दाम पर दे दी । यह पूछने पर कांग्रेस शासन में बाबा राम देव को दी इस जमीन की लीज को रदद करने के बाद क्यों बहाल किया गया। इसके अलावा एफआइआर दर्ज की गई थी। उसमें भी कुछ नहीं किया गया। ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में जो हुआ सो हुआ।
सबको मालूम है कि वीरभद्र सिंह सरकार में ही बाबा रामदेव के साथ कोई गुप्त डील हुई थी और उनके मामले को दोबारा खोल कर उनकी लीज बहाल की गई थी। बेशक लीच दरें ऊंची रखी गई थी।
उन्होंने कहा कि यह ‘संघियों व भंगियों’ की सरकार हैं। ‘भंगियों’को लेकर उन्होंने बाद में स्पष्टीकरण देकर कहा कि इस शब्द से उनका आशय नशेड़ियों से हैं।
बिना कोई विवरण दिए विक्रमादित्य ने जयराम सरकार पर साल भर में एक लाख तबादले करने का इल्जाम भी लगाया व कहा कि जो कर्मचारी कोंग्रेस समर्थक थे,उन्हें बदले की भावना के चलते निशाना बनाया गया हैं।
उन्होंने इल्जाम लगाया कि शिक्षा विभाग व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों व
दोनोंविभागों के मंत्रियों के बीच की अनबन से प्रदेश के आठ लाख स्कूली बच्चों को इस
साल वर्दी नहीं मिल पाई। वीरभद्र सिंह सरकार में भी वर्दियों को लेकर भाजपा सवल उठाती थी। अब वही काम वीरभद्र सिंह कांग्रेस कर रही हैं।
यहां यह साफ करना जरूरी हैं कि प्रदेश में कांग्रेस दो धड़ों में विभाजित हैं। एक सुक्खू की कांग्रेस हैं जहां आलाकमान से लेकर बाकी सभी कांग्रेसी कांग्रेस मुख्यालय से कामकाज चलाते हैं। दूसरा,धड़ा वीरभद्र सिंह कांग्रेस का हैं। इस धड़े का सारा कामकाज
हॉलीलॉज से चलता हैं। इस कांग्रेस में वह नेता भी शामिल है जो विधानसभा चुनावों में
कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशिश्यों के खिलाफ भी चुनाव लड़े थे। दूसरे कांग्रेस के सारे नेता कांग्रेस मुख्यालय में ही कांफ्रेंस करते हैं। लेकिन वीरभद्र कांग्रेस की कांफ्रेंसें प्रेस क्लब या बाकी जगह होती हैं।
बहरहाल उन्होंने इसी तरह छात्रवृति घोटाले को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा
किया। जबकि असलियत है कि यह घोटाला कई सालों से चल रहा था लेकिन कांग्रेस
सरकार में कोई एफआइआर नहीं हुई थी।
विक्रमादित्य ने जयराम सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर पर भी इल्जाम लगाए व कहा कि उन्होंने 1134 करोड़ रुपए की बागवानी परियोजना को तबाह कर दिया व ऊपरी हिमाचल के बागवानों के साथ भेदभाव किया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि जयराम सरकार 27 दिसंबर को एक साल पूरा होने पर जश्न मना रहीहैं
लेकिन उनके पास पांच उपलब्यिां नहीं हैं जिसे गिनाया जा सके। उन्होंने उपलब्धियों को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग भी की। इसके अलावा उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के अलावा विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ,किशन कपूर के मामलों को वापस लेने को लेकर भी जयराम सरकार पर हल्ला बोला। उन्होंने कहा कि मामले वीरभद्र सरकार में भी
वापस हुए हैं लेकिन वो मामले वापस हुए जो विरोध प्रदर्शन करने को लेकर थे। भ्रष्टाचार से जुड़े मामले कभी वापस नहीं हुए।
कानून व्यवस्था का मसला उठाते हुए उन्होंने कसौली में नगर नियोजक शैल बाला के
अलावा शिलाई में केदार सिंह जिंदान की हत्या का मामला भी उठाया व कहा कि दर्जनों
कत्ल व सैंकड़ों ब्लात्कार हो गए हैं। याद रहे कि जिंदान हत्याकांड में कांगेस पार्टी ने तरह से मौन रखा था। उनकी लाश को लेकर वामपंथियों ने रिज पर प्रदर्शन किया था लेकिन न कोई हॉलीलाज से और नही कांग्रेस मुख्यालय से कोई मौके पर पहुंचा था। जिंदान के मौत के बाद उनके गांव में उनके परिवार का बहिष्कार किया गया। पूरी कांग्रेस खामोश थी। उन्होंने जनमंच को लेकर भी सवाल उठाए व कहा कि ये जनमंच नहीं झंडमंच हैं। यहां अधिकारियों की झंड या बेइज्जती की जाती हैं।
अब यहां वो जो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांगेस विधायक विक्रमादित्य सिंह को नसीहत दी है कि किस तरह की भाषा में बात करनी चाहिए वह यह घर में अपने बुजुर्ग से सीख लें। बुजुर्ग से मुख्यमंत्री का आश्य विक्रमादित्य सिंह के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से था।
जयराम ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता जिस तरह की भाषा इस्तेमाल करते हैं , उससे किसी भी सभ्य व्यक्ति को लगता हैं कि ये कांग्रेस के नेता ही बोल रहे हैं। उनकी इस भााषा का असर पार्टी के जो छोटे छोटे नेता हैं और जो अभी थोड़ा थोड़ा चलना शुरू किए है, उन पर भी पड़ना शुरू हो गया हैं। संभवत: ये शब्द मुख्यमंत्री ने विक्रमादित्य के लिए इस्तेमाल किए हैं।
उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह पहली बार विधायक बने हैं व शिमला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य नेतृत्व के खिलाफ ऐसी भाषा का प्रयोग किया, जो उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता व राज्य और देश की राजनीति के संबंध में उनकी अज्ञानता को दर्शाता हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें भाषा व व्यवहार पर में संयम रखना चाहिए।
अन्यथा उनके जैसे बोलने की क्षमता उनके साथियों में भी हैं बल्कि उनसे ज्यादा हैं। लेकिन वह ऐसी स्थिति नहीं लाना चाहते। उन्होंने विक्रमादित्य का नाम लिए बगैर कहा कि जिस एक साल के आंकड़ों का उन्होंने जिक्र किया उन्हें इस बावत अध्ययन करना चाहिए। यह उनकी बौखलाहट व परेशाानी को व्यक्त करता हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस जनमंच की वह आलोचना कर रहे हैं, उन जनमंचों में कांग्रेस पार्टी के नेता बड़े बड़े प्रस्ताव लेकर पहली पंक्ति में बैठे होते हैं। उन्होंने कहा कि लगता है कांग्रेस के नेता विचलित हो गए हैं। उन्हें सरकार के खिलाफ कोई मुददा नहीं मिल रहा हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा के चुनावों में देश के तीन राज्यों में हुई आंशिक जीत के कारण अति उत्साह में राज्य व केन्द्र में कांग्रेस के कुछ नेता शिष्टाचार की सभी सीमाओं को लांघते हुए असंसदीय भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जो गैर वाजिब और दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज पुलिस मैदान सोलन में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
जो भाजपा नेताओं ने कहा
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब प्रदेश में उनकी सरकार में उनके करीबी अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर लगाया गया था तब विक्रमादित्य को नही दिख रहा था कि अच्छा -बुरा क्या है । इन नेताओं ने तंज कसा कि आज शायद विक्रमादित्य की आंखों से कोई विशेष पट्टी हटी है।
जिला भाजपा अध्यक्ष संजय सूद, कर्ण नंदा व प्रदीप कश्यप ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग सरकार चला रहे है, शायद उनको पता नहीं है की संघ एक संस्था है और संस्था में सभी वर्गों के लोग भाग ले सकते है
उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य को परिवारवाद की आदत है क्योंकि कांग्रेस में हमेशा से ही परंपरागत परिवार राज रहा है । इन नेताओं ने कहा कि उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य जिस जन मंच का विरोध कर रहे है इससे सभी विपक्षी नेताओं की पूछ कम हो रही है तो उनको इस कार्यक्रम से समस्या हो रही है।
इन तीनों भाजपाइयों ने कहा कि विक्रमादित्य सरकार से शवेत पत्र मांग रहे है वह याद रखे जनता आने वाले लोक सभा चुनावों में कांग्रेस को आईना दिखाएगीव चारों सीटें जीतंगी।
विक्रमादित्य से मांफी मांगने की मांग
उधर, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा ने विक्रमादित्य की ओर से भंगी-संघी शब्दों के प्रयोग करने पर आपत्ति दर्ज की है व विक्रमादित्य से भंगी शब्द का इस्तेमाल करने पर सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की हैं।साथ ही आगाह किया है कि अगर माफी नहीं मांगी गई तो पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए जाएंगे। भाजपा अनुसूचित जाति के नेता बिट्टू पाना, रजनी सिंह, जगजीत बग्गा, प्रदीप कश्यप के कहा कि जिस प्रकार से विक्रमादित्य ने भंगी शब्द का प्रयोग किया है वह जाति को ठेस पहुंचने वाला है उन्होंने कहा कि देश मे सभी बड़े स्तर के नेता भी इस प्रकार की भाषा का प्रयोग नही कर रहे है।
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