शिमला। विजीलेंस ने डाक्टर यशवंत सिंह परमार विवि नौणी सोलन के परिसर में चलाए जा रहे स्कूल पर साजिश कर कब्जा करने के मामले में तीन लोगों के खिलाफ आज सीजेएम सोलन की अदालत में तीन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।इस स्कूल को चलाने का जिम्मा नौणी विवि ने दिल्ली चिन्मया सेवा ट्रस्ट को दिया 1992 में दिया था। लेकिन विवि को अंधेरे में रख कर कुछ लोगों ने धोखाधडी व जालसाजी कर इस स्कूल को अपने कब्जे में ले लिया।
इस मामले में 2014 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार में दो मामले दर्ज हुए थे। विजीलेंस की जांच में सामने आया था कि दिल्ली चिन्मया सेवा ट्रस्ट को चलाने को दिए इस स्कूल के प्रबंधन पर दिल्ली के कुछ निजी लोगों ने धोखाधडी कर कब्जा कर लिया। ये लोग अब विवि के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इस स्कूल को बतौर बोर्डिंग स्कूल के रूप में एक कारोबार की तरह चला रहे है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजीलेंस ने कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि दिल्ली चिन्मया सेवा ट्रस्ट और विवि के बीच एक समझौता किया गया था । जिसके तहत विवि के परिसर में दस एकड की जमीन पर बने इस स्कूल को 99 साल के पटटे पर एक ररुपए की पटटा राशि पर दिया गया था।
विवि ने इस स्कूला को 1984 में प्राथमिक स्कूल के रूप में शुरू किया था व अब विवि इसे वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल स्तरोन्न्नत करना चाहती थी । इसलिए विवि ने इसे ट्रस्ट को दे दिया।
जांच में सामने आया कि ट्रस्ट के मुखिया ने 2000 में आरोपी निजी व्यक्ति से विवि के संज्ञान में लाए बगैर एक समझौता कर दिया जिसके तहत स्कूल का प्रबंधन इस व्यक्ति के हाथ में चला गया व विवि को भनक तक नहीं लगने दी। इस व्यक्ति ने प्रबंधन में अपने रिश्तेदारों और चहेतों को शामिल कर लिया और यहां पर उसने हॉस्टल बना दिए और इसे वाणिज्यिक तौर पर चलाने लगा। जबकि 1984 में यह स्कूल विवि में तैनात कर्मचारियों के बच्चों की पढाई के लिए खोला गया था। लेकिन इस व्यक्ति ने इस संस्थान को अपने लाभ का जरिया बना दिया।
इस बीच विवि ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया कि ट्रस्ट ने निजी लोगों को ये स्कूल बेच दिया है व विवि को कोई जाानकारी तक नहीं है। उधर आरोपी भी स्कूल को अपने कब्जे में लेने के लिए अदालत में गए है। गर्ग ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कई चीजें सामने आई है और उनके खिलाफ ये चालान पेश किया गया है।
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