शिमला। केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में सैलानियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व मौजूदा मुख्यमंत्री के साल 2000 से अब तक के कार्याकाल में आई.ए.एस. अफसरों ने केंद्र सरकार की आंखों में धूल झोंकने के लिए फ्राड उपयोगिता प्रमाणपत्र (UCC) भेज दिए। इन अफसरों में मौजूदा चीफ सेक्रेटरी वी.सी. फारका व दूसरे टॉप आई.ए.एस. अफसर अतिरिक्त मुुख्य सचिव तरुण श्रीधर शामिल हैं। ये दावा आज राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व महासचिव ओम प्रकाश गोयल ने किया।
उन्होंने कहा कि इस संगीन मामले में उन्होंने सी.बी.आई से जांच कराकर एफ.आई.आर. दर्ज करने की मांग की है। अगर सी.बी.आई. ने ऐसा नहीं किया तो वो अदालत का दरवाजा खटखटाने से गुरेज नहीं करेंगे। उन्होंने मोदी सरकार से भ्रष्ट अफसरों को सलाखों के पीछे भेजने का आग्रह किया।
फ्राड यू.सी.सी. भेजने का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि रोहड़ूू के समीप सुंगरी में प्रदेश के अफसरों ने बड़ा कांड किया और केंद्र सरकार की आंखों में धूल झोंककर और पैसा मांग लिया। उन्होंने कहा कि 1992 से 2001 तक केंद्र से प्रदेश के लिए करीब तीस करोड़ की ग्रांट आई इसमें 10 करोड़ रुपया जिन प्रोजेक्टों के लिए आया था, वो प्रोजेक्ट कहां लगे, ये किसी को पता नहीं है।
सुंगरी होटल में की गई करामातों का सनसनीखेज खुलासा करते हुए गोयल ने कहा कि इस होटल केे लिए केंद्र व राज्य सरकार से 49 लाख की ग्रांट आई थी। इस ग्रांट के तहत 19 कमरे, दो डोरमेंटरी बनाए जाने थे। सरकार के अफसरों ने इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र 23 फरवरी 2005 को केंद्र सरकार को भेज दिया। साथ में ये भी कहा कि 31 दिसंबर 2004 को ये होटल चल पड़ा है। ये भी लिख कर दिया कि ये आर्जीनल प्लान के मुताबिक ही बना है। जबकि सुंगरी में पांच कमरे बने थे व उनकी स्थिति भी बुरी थी। उन्होंने कहा कि येे यू.सी.सी. मौजूदा चीफ सेक्रेटरी वी. सी. फारका जो उस समय पर्यटन निगम के एम.डी. थे, ने जारी किए थे।
यही नहीं फरवरी 2005 मेें ये संपति भारत सरकार के नाम कर दी। जबकि धरातल पर कोई संपति ही नहीं थी। सब कुछ कागजों में हुआ।
गोयल ने कहा कि उन्होंने आर.टी.आई. के माध्यम से इसकी जानकारी 22 जून 2016 को मिली। इसमें सनसनीखेज खुलासा हुआ कि 31 दिसंबर 2004 तक 22 लाख 95 हजार हुआ था। यही नहीं इसे जुलाई 2007 में बिना किसी मंजूरी के पी.डब्ल्यू.डी. को ट्रांसफर कर दिया। साथ ही बचा हुआ पांच लाख 43 हजार रुपया भी पी.डब्ल्यू.डी. को दे दिया व आदेश दिए कि इसे रेनोवेट किया जाए। पी.डब्ल्यू.डी. ने पैसा रोहड़ूू के बैंक में जमा करा दिया था।
गोयल ने कहा कि उन्होंने पी.डब्ल्यू. डी. में आर.टी.आई. लगाई। उसमें चौंंकाने वाला खुलासा हुआ। पी.डब्ल्यू.डी. ने कहा कि उन्हें ये होटल 16 जुलाई 2007 को हैंडओवर किया गया था व इसमें पांच कमरे थे। जिनकी हालत खस्ता थी। जबकि केंद्र सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र मेंं पहले ही कह दिया था कि ये होटल चल रहा है। पी.डब्ल्यू.डी. ने साथ ही ये भी कहा कि बिल्डिंग बहुत बुरी स्थिति में है व ये रिपेयर के काबिल भी नहीं है।
उन्होंने कहा खेल यहीं नहीं रूका। होटल का पहला फ्लोर बनाने के लिए पी.डब्ल्यू.डी. रोहड़ू ने अतिरिक्त मुख्य सचिव से इसे बनाने के लिए 76 लाख 40 हजार मंजूर करने का आग्रह किया। ए.सी.एस., पी.डब्ल्यू.डी. ने मौके का जायजा भी लिया व जून 2015 में 76लाख 16 हजार रुपए मंजूर दिए व आदेश दिए कि दो महीने के भीतर पहले फ्लोर को तैयार कर दिया जाए।
गोयल ने कहा कहा कि17 अगस्त 2015 को इंजीनियर इन चीफ पी.डब्ल्यू.डी. ने ए.सी.एस. को एक चिटठी लिखी। इसमें संगीन खुलासा हुआ। उन्होंने लिखा कि सुंंगरी के इस होटल के ये पांच कमरे बहुत बुरी हालात मेंं है। टूटे फूटे हुए हैं। यही नहीं जिस जमीन पर ये होटल बना है यहां की मिटटी खराब है और यहां पर भवन बनाना खतरे से खाली नहीं है। जबकि केंद्र को पहले भेजे गए उपयोगिता प्रमाण पत्र में यहां पर होटल चल रहा है।
एसीएस पीडब्ल्यूडी ने 4 जनवरी 2016 को इंजीनियर इन चीफ को लिखा कि इस बिल्डिंग को अनसेफ घोषित कर गिरा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि इससे बड़ा और क्या घोटाला हो सकता है कि जिस 49 लाख के होटल का यूसीसी 2005 में भेज दिया था उसे 4 जनवरी 2016 को तबाह करने के आदेश दे दिए जाते है।
इसके अलावा खड़ा पत्थर में भी राज्य की टॉप हॉट सीटों पर बैठे आईएएस अफसरों ने15 जनवरी 2002 को यूसीसी भेज दिया कि खड़ा पत्थर में 39 लाख तीस हजार होटल बन गया है।इसे भी भारत सरकार के नाम कर दिया।
गोयल ने कहा कि 24 अक्तूबर 2005 को तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में पर्यटन निगम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्ज की बैठक हुई व आदेश दिए गए कि इस प्रोजेक्ट को तुरंत कंपलीट किया जाए।उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट अफसर ने 2 फरवरी 2006 को 61 लाख 71 हजार की मांग की। आखिरी में ये होटल1 करोड़ 35 लाख मे बन कर तैयार हुआ और 25 जून 2006 को इसका उदघाटन हुआ।
उन्होंने कहा कि पर्यटन निगम में इसके अलावा भी सीपीएफ घोटाला,रिकवरी घोटाला समेत कई घोटाले हुए है। अफसरों ने अदालत में झूठे शपथपत्र दिए है। उन्होंने सीएम वीरभद्र सिंह,चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका, अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर व बाकी अफसरों को चुनौती दी है कि अगर उनके इल्जाम गलत है तो सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करे।
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