शिमला। हाईकोर्ट की ओर से एचआरटीसी के कर्मचारियों को हड़ताल को गैर कानूनी ठहरा देने के बावजूद इन कर्मचारियों की ओर से हड़ताल पर चले जाना मंहगा पड़ गया है। सरकार नेे आज एचआरटीसी कर्मचारी यूनियन एक्श्ान कमेटी के अध्यक्ष शंकर लाल समेत 30 कर्मचारियोंं को सस्पेंड कर दिया है। ये बड़ा फैसला है।
ये खुलासा परिवहन मंत्री जी एस बाली ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर किया।उन्होंने कहा कि उन्होंने ब्लैक मेल होने से इंकार कर दिया था।हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी से गदगद हुए बाली ने कहा अदालत ने हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को खुला हाथ दिया है।उन्होंने दावा किया कि ये हड़ताल यूनियन के अंदरुनी कलह का नतीजा था।इसके अलावा कई कर्मचारियोंकेखिलाफ मामले चले हुए हैं व संस्पेंड हैं सो वो प्रबंधन व उन पर दबाद बनाने में लगी थी।उन्होंने कहा कि सरकार नेएस्मा लगा दिया है।इसे कर्मचारी हड़ताल पर जाने से पहले सोचेंगे।
उन्होंने उममीद जाहिर की कर्मचारी डयूटी पर लौटेंगे व जिन्हेंं सस्पेंड किया गया हैं वो अदालत में अपने केस की पैरवी करे।एस्मा का उल्लंघन करने पर कर्मचारियोंं को तीन साल तक की सजा मिल सकती हैंं।उन्होंने कहा कि हड़ताली कर्मचारियोंं ने कानून कोो बंधुआ बना लिया था जबकि उनकी अधिकांश मांगे मान ली गई थी।
उन्होंने इस मौके पर टैक्सियों के परमिट जारी करने की घोषणा भी की व कहा कि परिवहन विभाग कल से परमिट देना जारी कर देगाा। विभाग कम से कम500 नए रूटोंं पर परमिट देगा।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की सारी मांगी मान ली है। कर्मचारी नेता लोगों व मीडिया को गुमराह कर रहे हैं।
प्रेस कांफ्रेस से पहले सुबह बाली ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि जब वो कर्मचारियों की भलाई के सुधारों की रूपरेखा तैयार कर रहे तो कर्मचारी नेता राजनतिक रंजिश व निजी हठ से वशीभूत होकर धमकियोंं भरे संदेश भेज रहे थे।
ये अपने आप में गंभीर आरोप है कि कर्मचारी किसी मंत्री को धमकी देरहो हो। हालांकि उन्होंने ऐसे किसी संदेश को अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर नहीं किया।उन्होंने सुबह फेसबुक वॉल पर डाली पोस्ट से ही संकेत दे दिया था कि कर्मचारी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बाली की ओर से बृहस्तपति वार को फेसबुक पर डाली ये पोस्ट-:
माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब हम हड़ताल के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं। मुझे दुःख इस बात का है की टांडा में देश के परिवहन मंत्रियों के सम्म्मेलन को निजी प्रयासों से मैंने हिमाचल में करवाया और जब हम वहां परिवहन क्षेत्र में जनता से लेकर कर्मचारियों तक की भलाई के सुधारों की रूपरेखा तैयार कर रहे थे। तब यह कर्मचारी नेता राजनितिक रंजिस और निजी हठ के वशीभूत होकर धमकियों भरे सन्देश भेज रहे थे।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेशनुसार सेक्रेटरी और एम डी स्तर की वार्ता के लिए हम तैयार हुए 90 % मांगे भी मानी जो हमारे कार्यक्षेत्र से बाहर थीं वो मुख्यमन्त्रीं को प्रेषित करने का आश्वासन दिया बावजूद इसके तथाकथित स्यंभू नेता भोले भाले कर्मचारियों की आड़ में माननीय उच्च न्यायलय की अवमानना करते हुए भी हड़ताल पर चले गए। इन लोगों के कारण आज संकट की स्थिति उन कर्मचारियों पर खड़ी हो गयी है जो कॉन्ट्रैक्ट पर हैं क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट रूल्स में ऐसे क़दमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश निहित हैं।
भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए हड़ताल के लिए जिम्मेदार लोगों पर हम न्यायलय के आदेशानुसार कड़ी कारवाई करेंगे और आम जनता को भी ऐसी परेशानी फिर से न हो इसके लिए जल्द ही नई परिवहन नीति की घोषणा करेंगे। जिसमे एकल नारियों स्वयं सहायता समूहों। बेरोजगार युवा वर्ग के लिए परिवहन क्षेत्र में उतरने के लिए विशेष प्रावधान रखा जाएगा।
इससे पहले कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद 14 जून को भी परिवहन मंत्री बाली अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट डाली थी जिस पर कर्मचारी यूनियन के नेताओं पर निजी स्वार्थ और अपने उपर लगे आरोपों से खुद को बचाने के लिए ब्लैकमेल करने लिए हड़ताल पर जाने का हवाला दिया था।उन्होंने ये भी लिखा था कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के लिए किया गया।वीरभद्र सिंह सरकार के मंत्री की ओर से अपनी फेसबुक वॉल पर इस तरह के उदघाटन करना कई मायने रखते है।
14 जून को जिस दिन कर्मचारियोंं ने हड़ताल शुरू की थी उस दिन अपने फेसबुक पर डाली मंत्री बाली की ये पोस्ट-:
परिवहन निगम की एक दिन की हड़ताल से प्रदेश के लोगों, बाहरी राज्यों से आए पर्यटकों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों, मरीजों और अन्य जिन भी यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा, उसके लिए मैं प्रदेश का परिवहन मंत्री होने के नाते खेद प्रकट करता हूं। मुझे बहुत दुःख है कि मांगें मान लिए जाने के बावजूद यह हड़ताल हुई। कर्मचारी यूनियन के कुछ तथाकथित नेताओं ने निजी स्वार्थ और अपने ऊपर लगे आरोपों से खुद को बचाने के लिए ब्लैकमेल करने के इरादे से यह हड़ताल की गई।
जिस तरह से माननीय हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद हड़ताल को जारी रखा गया, यह दिखाता है कि यह सारा शिगूफा मांगों को लेकर नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के लिए था। हालांकि इस सब के बीच मैं निगम के उन कर्मठ कर्मचारियों को धन्यवाद देता हूं, जिन्हें दबाब के तहत इन स्वयंभू नेताओं ने काम करने से रोके रखा मगर बाद में वे समय रहते ड्यूटी पर लौट आए।
HRTC का यह विभाग हमेशा अपने अनुशासन के लिए जाना जाता रहा है। इसी धारणा को मन में लेकर अपने कार्यकाल में मैंने निगम के बेड़े को 1700 बसों से बढ़ाकर 2700 के आसपास पहुंचाया ताकि गांव-गांव तक परिवहन प्रणाली का नेटवर्क बन सके। परन्तु इस हड़ताल ने हमें यह सीख दी है कि आम जनता को ऐसे हालात में परेशानी न हो, इसके लिए वैकल्पिक प्रावधान भी हमारे पास होने चाहिए। भविष्य में ऐसी किसी परेशानी से प्रदेश के नागरिक प्रभावित न हों, इसके लिए हम जल्द ही नई परिवहन नीति की घोषणा करेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम से प्रभावित हुई प्रदेश की जनता को मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस सारे प्रकरण के पीछे जो भी लोग रहे हैं, कानूनी रूप से जो भी जायज होगी, वह सख्त कार्रवाई उनके ऊपर की जाएगी।
विधानसभा चुनावों से डेढ साल पहले कर्मचारियोंं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई करना अपने आप महत्वपूर्ण है। इन कदमोंं व मंत्री के संकेतों व अंदाज से लगता हैकि वो हड़ताली कर्मचारी नेताओं को सबक सिखाने पर आ गए है । दिलचस्प येहै कि इस मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह क्या रुख अपनाते है।बताते है कि हडताल की कमान संभालने वाले प्रमुख नेता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खेमे के हैं।
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