शिमला। प्रदेश सरकार की बिलकुल नाक के नीचे तारादेवी में 477 पेड़ों के कटान के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के एक होटिलयर अमरिक सिंह नागपाल की अंतरिम जमानत रदद कर दी है।
नागपाल मैसर्स प्रिस्टिन होटलज व रिजार्ट का डायरेक्टर है।नागपाल की कंपनी ने जिस जमीन पर ये पेड़ काटे गए है उस जमीन की मालिक परमिंदर कौर से इस जमीन को खरीदने का 16 करोड़ में एग्रीमेंट किया है। लेकिन नागपाल और परमिंदर कौर दोनों ने ही किसी भी तरह के पेड़ न काटने का दावा किया है। ऐसे में ये रहस्य बन गया है किआखिर ये पेड़ काटे किसने है।इस मामले ने प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार की गवर्नेंस का जनाजा निकाल दिय है। वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी से लेकर वन विभाग व गृह विभाग के आला अफसर सवालों के घेरे में है।
भरमौरी ने तो इस मामले में शुरू में ये कह कर पल्ला झाड़ दिया कि ये पेड़ निजी जमीन में काटे गए है विभाग व सरकार कुछ नहीं कर सकते। लेकिन उनके अफसर ने गार्ड ,रेंजर निलंबित कर दिए और शाम तक रिपोर्ट मंगा ली।इसके बाद कंजरवेटर और डीएफओ भी निपटा दिए गए। इस बीच एनजीटी ने भी सरकार से जवाब तलब कर लिया। तब कहीं जाकर भरमौरी को पता चला कि ये गंभीर मामला है। लेकिन तब तक भाजपा भरमौरी की कुर्सी झटकने पर उतारू हो गई । साथ में कांग्रेस विधायक आशाकुमारी ने चंबा केएक और वनकटान को फूंक मार कर भरमौरी को संकट में डाल दिया। बताते हैकि अब इस मामले में मोदी के किसी मंत्री का भी इंटरेस्ट जाग गया है।ऐसा सेक्रेटेरिएट के गलियारों में कहा जा रहा है।
वन विभाग के कर्मचारियों ने 13-14 नवंबर को ये मामला पुलिस के नोटिस में ला दिया था। लेकिन शिमला की सतर्क पुलिस ने मामला 21 नवंबर को जाकर लिखी।लेकिन पकड़ा किसी को नहीं। तब से लेकर अब तक इस मामले में किसी को नहीं पकड़ा गया है।अब हाईकोर्ट के जस्टिस पी एस राणा ने नागपाल की अंतरिम जमानत रदद कर दी है।समझाा जा रहा है कि पुलिस उससे कुछ उगलवा पाएगी। हालांकि नागपाल अभी सुप्रीम कोर्ट जा सकते है।
इस जमीन पर से 7 देवदार व 470 बान के पेड़ काट दिए गए है।जिसकी जमीन है उसे अभी 118 की मंजूरी भी नही दी गई है।कोई प्रक्रिया भी नहीं चली है।बताते है कि इस जमीन की डिमारकेशन भी कराई गई है उसमें भी गड़बड़झाला किया गया है।
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