शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने राजधानी शिमला समेत प्रदेश भर में बने अवैध मकानों को नियमित करने के लिए पेश किया गयाप् रदेश नगर और ग्राम नियोजन अधिनियम 1977 संशोधन बिल पारित कर दिया।
नए कानून के मुताबिक जिन मकानों के नक्शे पास है लेकिन सेटबैक को लेकर नियमों का उल्लंघन किया गया है उसकी एवज में मकान मालिकों को नगरपालिका व नगर निगम क्षेत्रों में आठ सौ रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से और नगरपालिका क्षेत्र के बाहर चार सौ रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से फीस वसूल कर नियमित कर देने का प्रावधान किया है।
विधानसभा से बिल पास कर अब दस्तख्त के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा।
नगरपालिका क्षेत्रों में जिन मकानों का नक्शा बिलकुल भी पास नहीं हुआ है अब इस कानून के तहत उन्हें भी नियमित करने का रास्ता निकाला गया है। नगरपालिका क्षेत्र में ऐसे मकानों को नियमित करने के लिए १२ सौ रूपए प्रति वर्ग मीटर और उसके बारह छह सौ प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से फीस वसूली जाएगी।
वाणिज्यिक, होटल या पर्यटन या औद्योगिक या अन्य उपयोगों के लिए बनने वालों निर्माण को फीस में शत प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ नियमित किया जाएगा। कानून में बीपीएल और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए फीस में पचास प्रतिशत में कमी की जाएगी।
अपार्टमेंटों,फ्लैटों या सलैबों को नियमित करने के लिए मालिक को व्यक्तिगत तौर पर आवेदन करना होगा।सरकारी भूमि पर बनाए गए भवनों को नियमित नहीं किया जाएगा।ऐसे भवनों को भी छूट का प्रावधान है सड़क स्तर से उपर बने है।
सरकार के मुताबिक प्रदेश में अभी तक १३ हजार के करीब अवैध भवन है जिन्हें नियमित किया जाएगा। सरकार ने कहा कि इससे पहले कई बार रिटेंशन पालिसियां आई जिसके तहत 8198 भवनों को नियमित करने के लिए आवेदन आए थे जिसमें से 2108 मामले नियमित किए गए थे। जबकि 6090 मामले अभी अवैध पड़े है।
सरकार ने माना कि इतने मकानों को गिरान व्यावहारिक नहीं है। बिल में ये भी जिक्र किया गया है प्रदेश हाईकोर्ट ने ये आदेश दे रखा है कि अवैध भवनों को नियमित करने के लिए कोई रिटेंशन पालिसी न लाई जाए। इस लिए एक्ट में ही बदलाव करना पड़ा। देश के अन्य महानगारों में भी इसी तरह की प्रक्रियाएं अपनाई गई है।
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