मंडी/ शिमला। दूरसंचार घोटाले में सजायाफ्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने भाजपा में शामिल होने के बाद अब जाकर उनके घरों में सीबीआई छापों में मिले करोउ़ों के नोटों को लेकर बड़ा राज खोला हैं। उन्होंने आज सोमवार को मंडी में संवाददाताओं से कहा कि ये पैसा कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बतौर फंड दिया था। वीरभद्र सिंह ने उस पैसे को मेरे घर रखवा दिया और उनके खिलाफ साजिश रची।उन्होंने वीरभद्र सिंह को उतर भारत का सबसे बड़ा ब्लैकमेलर भी करार दिया।
जब पैसा पकड़ा तो वो विदेश में थे व उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया ।ये राज सुखराम ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार खोला हैं। अंदरखाते वो ये कहते रहे थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की सरकार के कार्याकाल में स्वर्गीय राजेश पायलट ने मुख्यमंत्री के साथ साजिश कर ये पैसा वीरभद्र सिंह के तब के सबसे वफादार पुलिस अफसर बी एस थिंड के जरिए उनके घर प्लांट किया था।पब्लिक वो ये पहली बार लाए हैं।
इस मामले में अदालतों में अजीब स्टैंड लेने वाले सुखराम ने इस मामले को हवा देकर भाजपा व कांग्रेस दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। अगर भाजपा सुखराम का पक्ष लेती हैं तो इतने सालों का क्या वो गलत स्टैंड लेती रही। दूसरी ओर कांगेस को इसका जवब देना होगा कि वो पार्टी फंड नहीं था।
भाजपा सुखराम के जरिए कांग्रेस के आलाकमान तक हमला करना चाहती हैं लेकिन सजायाफ्ता के जरिए ये हमला करना कितना आसान होगा ये देखा जाना हैं।
सुखराम ने ये राज तब खोला हैं जब न सीताराम केसरी व राजेश पायलट जीवित हैं और न ही बीएस थिंड । ये सही हैं कि जब पैसा पकड़ा गया था तो बीएस थिंड इस मामले में सबसे सक्रिय पुलिस अफयर थे। यही ही नहीं जब 1998 से 2003 तक प्रदेश में सुखराम व धूमल की पार्टियों की गठबंधन सरकार थी तो थिंड ही ने सुखराम के विदेशों के खाते धूमल को सोंपे थे। इसके बाद धूमल ने सुखराम की वो गत की कि सुखराम को 2003 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करनी पड़ी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि सुखराम ये सब राज अब जाकर क्यों खोल रहे हैं । वो ये सब अदालतों में क्यों साबित नहीं कर पाए ।वो सच ही बोल रहे हैं,ऐसे कैसे मान लिया जा सकता हैं।अब देखना ये हैं कि ये मामला इन चुनावों में क्या तूल पकड़ता हैं।
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