शिमला। प्रदेश में सरकार व संगठन में नेतृत्व परिवर्तन अटकलों के बीच प्रदेश भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना आज दोबारा से इस संशय को हवा दे दी कि नेतृत्व परिवर्तन और 2022 में चुनाव किसकी कमान में होने है यह आलाकमान ने देखना है। राजधानी में पत्रकारों की ओर से इस बावत पूछे गए सवाल के जवाब में खन्ना ने कहा कि इसकी चिंता न करो यह आप हम पर छोड दो।
खन्ना ने प्रदेश में सरकार व संगठन में बदलाव को लेकर चल रही अटकलों को विराम नहीं दिया । वह यह कह कर कि नहीं आगामी चुनाव जयराम के ही नेतृत्व में होने है या कोई नया चेहरा भी हो सकता है, इन अटकलों पर विराम लगा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और प्रश्न के जवाब को एक तरह से टाल गए।
राजधानी में पिछले दिनों तीन दिनों तक भाजपा का मंथन शिविर चला जिसमें सरकार व संगठन में फेरबदल को लेकर कई तरह के मसले उठे। दो दिन पहले भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों की ओर से कुरेदने पर कह दिया था कि प्रदेश में सरकार व संगठन में किसी भी तरह के बदलाव की न तो जरूरत है और नही संभावना है।
इस पर भाजपा के एक धडे ने अंदरखाते खूब बवाल मचाया था। यहां तक कि राज्य सभा सांसद इंदु गोस्वामाी और जगत प्रकाश नडडा के नोटिस में भी यह वाक्या है।भाजपाइयों ने तंज भी कसे कि अंदरखाते तो बदलाव को लेकर खींचतान चल रही है और रणधीर शर्मा खुद ही आलाकमान बने हुए है।
आज खन्ना ने रणधीर शमौ की लाइन को आगे नहीं बढाया व वह इस मसले को खुला छोड गए है। यह अविनाश राय खन्ना ही है जो प्रदेश भाजपा के प्रभारी बनने के बाद धूमल को आगे किए हुए है। अन्यथाा प्रदेश की सरकार व संगठन ने उन्हें हाशिए पर धकेल ही दिया था। प्रभारी की ओर से धूमल को तरजीह दिए जाने के बाद अब जयराम ठाकुरभी उनकी चौखट में जाने लगे है।
अब अविनाश राय खन्ना को तीन दिन तक चले मंथन शिविर व बाकी फीडबैक को लेकर आलाकमान के पास जाना है व वह आलाकमान को अपनी अलग से रिपोर्ट सौंपेंगे। खन्ना ने आज सुबह राज्यपाल से भी मुलाकात की और अपनी पुस्तक का विमोचन भी करवाया। समझा जा रहा है कि खन्ना ने प्रदेश की राजनीतिक स्थितियों पर राज्यपाल से भी बातचीत की। उधर, बीते दिनों, दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा और राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी की मुलकात को लेकर भी तरह -तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
इंदु गोस्वामी धूमल खेमे से है।
उधर, 2017 के विधानसभा चुनावों में चुनाव मैदान में उतरे भाजपा प्रत्याशियों की बैठक में जब हंगामा खडा होने लगा तो जयराम सरकार में मंत्री राकेश पठानिया जयराम के हनुमान बन उतरे । उन्होंने गुस्सा जाहिर करने वाले प्रत्याशियों व विधायकों को शांत कराया। याद रहे 1998 से 2003 की धूमल सरकार में पठानिया धूमल के हनुमान हुआ करते है।
उन्हें अभी भी धूमल खेमे का ही माना जाता है। लेकिन पठानिया के जयराम के हनुमान बनने के बाद धूमल खेमा उन्हें नूरपूर में उनके हलके में हिसाब-किताब पूरा करने का मंसूबा पाल रहे है। बहरहाल जो भी भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के मामले में ऐसी अटकलों को बडे नेताओ की ओर से विराम नहीं लगाया गया तो 2022 ही नहीं उपचुनावों में भी भाजपा को नुकसान झेलना पड सकता है।
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