शिमला। सेवानिवृति के ठीक तीन दिन पहले शिक्षा सचिव व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल वफादार रहे आइएएस अधिकारी अरुण शर्मा को बड़ा झटका देते हुए व आएएस अफसर ओेंकार शर्मा कमेटी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए जयराम सरकार ने आरएसएस के इतिहास संकलन प्रकोष्ठ में रहे प्रोफेसर सुरेश कुमार सोनी को प्रदेश शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया हैं। बीते शाम को इस बावत शिक्षा सचिव की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई। पिछल्ले एक साल से इस पद का प्रभार अरुण शर्मा के पास था। क्यास लगाए जा रहे थे कि अरुण शर्मा जो राज्यपाल आचार्य देवव्रत के सचिव भी थे,को सेवानिवृति के बाद शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
याद रहे कि पूर्व मे शिक्षा बोर्ड में हुए पेपर घोटाले के बाद तब की सरकार ने आइएएस अधिकारी ओंकार शर्मा की अध्यक्षता में हाइ पावर कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने सिफारिश थी कि बोर्ड का प्रबंधन का कामकाज सही तरीके से चलता रहे इसलिए भविष्य में आइएएस अधिकारी को ही शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जाए। उस समय यह बात सामने आई थी शिक्षाविदों को कानूनों व नियमों की सही जानकारी नहीं होती है, इसलिए उन्हें प्रशासनिक पदों पर नही बिठाया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इन सिफारिशों को भी दरकिनार कर दिया और सोनी को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।अरुण शर्मा धूमल के करीबी रहे है। ऐसे में उन्हें भी सरकार के बेहद महत्वपूर्ण संस्थान से बाहर कर दिया हैं। संभवत: उन्हें किसी और जगह तैनाती दी जा सकती है। लेकिन इस बावत कोई हलचल नहीं चली हैं।
याद रहे, दिसंबर 2018 में जयराम ठाकुर सरकार के सता में आने पर अध्यक्ष पद पर तैनात पूर्व आइएएस व पूर्व मुख्यमंत्री के वफादारअधिकारी बलवीर तेगटा को सरकार ने इस पद से हटने को कहा था व उन्होंने तब अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से लेकर जयराम सरकार ने न शिक्षा बोर्ड का पुनर्गठन किया और न ही किसी को अध्यक्ष तैनात किया था। अब सोनी के अध्यक्ष बन जाने के बाद संभवत:बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा। बोर्र्ड में विधायक,व शिक्षाविद को बतौर सदस्य तैनात किया जाता हैं। बोर्ड के सारे कामकाज बोर्ड की मंजूरी के बाद ही होते है। लेकिन एक साल में अधिकारियों के स्तर पर ही सारे कामकाज निपटा दिए गए हैं। इन तमाम फैसलों को अब बाद में बोर्ड से मंजूर कराया जाएगा। जबकि कायदे ये यह पहले मंजूर होने चाहिए थे।
उधर, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि ओंकार शर्मा कमेटी की सिफारिशें को उन्हें कुछ पता नहीं हैं। एक्ट के मुताबिक बोर्ड का अध्यक्ष कोई अकादमिशियन और प्रशासक होना चाहिए।
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