शिमला। धर्मशाला में कल से शुरू हो रही दो दिवसीय ग्लोबल इंवेस्टर मीट में सरकारी कंपनी सतलुज जल विद्युत निगम की ओर से ही करीब 24 हजार करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए है। अकेले एक कंपनी की ओर से निवेश के ये सबसे ज्यादा एमओयू हैं। आज भी सतलुज जल विद्युत निगम ने चिनाब बेसिन पर430 मेगावाट की रेओली दुगली जलविद्युत परियोजना के लिए एमओयू साइन किया । यह पांच हजार करोड़ की परियोजना है।
इससे पहले राजधानी में शिमला में एसजेवीएनएल ने सात परियोजनाओं के एमओ यू पहले ही साइन कर रखे है। ऐसे में अकेले एसजेवीएनएल ही प्रदेश में 24 हजार करोड़ का निवेश कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक बेशक सरकार जो भी दावे कर रही हो लेकिन निजी क्षेत्र की ओर से ज्यादा निवेश आने की संभावना नहीं है।
एसजेवीएनएल जयराम सरकार ने अब तक 83 हजार करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए है। इनमें से निजी निवेश कितना आएगा यह किसी को मालूम नहीं है। लेकिन जयराम सरकार की नाक एसजेवीएनएल ने फिलहाल बचा ही दी है। इसके अलावा बाकी सरकारी कंपनियों से भी एमओयू साइन हुए है।
एसजेवीएनएल के अध्यक्ष नंदलाल शर्मा के मुताबिक इन तमाम परियोजनाओं से 11950 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। दिलचस्प यह है कि जिन परियोजनाओं के लिए सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम के साथ एमओयू साइन कर रही है उनमें से 430 मेगावाट की रेओली दुगली जलविद्युत परियोजना को छोड़ कर बाकियों को जयराम सरकार व पूर्व की सरकारों की ओर से पहले ही आवंटित किया जा चुका है।
इनमें से 780 मेगावाट के जंगी थोपन, 210 मेगावाट के लुहरी चरण-1,172 मेगावाट के लुहरी चरण-2 और सैंज डैम 178 मेगावाट की परियोजनाओं पर पहले ही दस्तावेजी व बाकी काम शुरू हो चुका है। 66 मेगावाट की धौलासिद्व परियोजना का काम तो धूमल सरकार के कार्याकाल से चल रहा है। इन सबके एमओयू जयराम सरकार ने नए सिरे से किए है ताकि निवेश का डंका पिटा जा सके।
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