शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से जमानत न मिलने के बाद आखिर शिमला पुलिस ने म्लाणा सीवरेज प्लांट के ठेकेदार को हाईकोर्ट परिसर से दबोच लिया। अब तक पुलिस उसे जमानत लेने का पूरा मौका दे रही थी।राजनीतिक आकाओं के दबाव के आगे पुलिस ने उसे अब तक पकड़ा नहीं था। लेकिन आज हाईकोर्ट से जमानत न मिलने के बाद उसे अरेस्ट कर लिया। ठेकेदार ने हाईकोर्ट में जस्टिस धर्मचंद चौधरी की अदालत में जमानत अर्जी लगाई थी। इससे दो दिन पहले उसने अतिरिक्त सेशन जज वीरेंद्र सिंह की अदालत में जमानत अर्जी लगाई थी। जिस पर अतिरिक्त सेशन जज ने उसे अदालत में पेश करने के आदेश दिए थी। इन आदेशों के बाद ठेकेदार अजय डोगर ने अपनी अर्जी वापस लेकर दूसरे दिन हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी।
मजे की बात है कि पुलिस कारनामा दिखाने से बाज नहीं आई और ठेकेदार पर लगाई धारा 304ए को हटा दिया है। हालांकि देश भर की पुलिस मुजरिमों व आरोपियों पर खोज -खोज कर भंयकर से भंयकर धाराएं लगाने के लिए कुख्यात है।लेकिन यहां पर शिमला पुलिस हजारों लोगों को पीलिए की जद में धकेलने के आरोपी के प्रति दयाभाव दिखाने का कारनामा कर गई है। पहले छोटे कारिंदे अरेस्ट कर लिए व ठेकेदार को खुले आम छोड़ दिया।अब पकड़ा तो तब जब हाईकोर्ट ने जमानत रदद की।
अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है।अभी तक आईपीएच विभाग व सरकार के सारे इंजीनियर व अफसर उसकी खातिर सारी रिपोर्टें सही करार दे रहे थे। अब हर कारनामा अदालत के सामने पेश होगा।इस ठेकेदार के पास शहर के सारे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों के रखरखाव का ठेका है।
एएसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी ने कहा कि अभी ठेकेदार के अलावा बाकी किसी अन्य अफसर या इंजीनियर को लेकर कहीं दबिश नहीं दी जा रही है। अभी ठेकेदार ही टारगेट है।
एएसपी शिमला संदीप धवल की अगुवाई में इस मामले को बनाई एसआईटी इस इसे अभी तक पकड़ नहीं पाई थी। जबकि एक जूनियर इंजीनियर परनीत ठाकुर और ठेकेदार के कारिंदे मनोज वर्मा को ही अरेस्ट किया गया था। ये दोनों पहले ही कह चुके है कि असली गुनाहगार तो ठेकेदार है उसे पुलिस पकड़ नहीं पा रही है।
पीलिया के हजारों मामलों से शिमला शहर के वाशिंदे दहशतजदा है।उधर, शिमला में फैले पीलिया की महामारी का जायजा लेने के वायरोलॉजी लैब पुणे की टीम शिमला पहुंची है।
गौरतलब हो कि शहर में पीलिया की महामारी फैलने पर वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर ने अश्वनी खडड से शहर को होने वाली पानी सप्लाई रोक दी थी।इसके बाद डिप्टी मेयर ने छोटा शिमला थाने में अनाम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।इतना हल्ला मच जाने के बाद प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार हरकत में नहीं आई थी।वो तक हरकत में तब आई जब हाईकोर्ट ने इस को अपने तौर पर बतौर जनहित याचिका सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया। तब कहीं जाकर सरकार ने इस मामले एसआईटी गठित की।
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