शिमला।राजधानी में काम कर रहे दो दर्जन से ज्यादा पत्रकारों की शिकायत के बावजूद रजिस्ट्रार को-आपरेटिव सोसायटी ने प्रेस क्लब शिमला के हो रहे चुनाव को स्टे करने से इंकार कर दिया है लेकिन पेचिदा मामला देखते हुए शिकायत पर जांच के आदेश दे दिए है। जांच का जिम्माा जिला प्रशासन को सौंपा गया है व जिला प्रशासन को शिकायत में दर्शाए गए बिंदुओं पर एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी करनी है।प्रेस क्लब शिमला के चुनाव कल मंगलवार को होने हैै।
दो दर्जन से ज्यादा पत्रकारोंं ने जिनमें प्रमुखत: अंग्रेजी अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स के गौरव शर्मा, सौरव चौहान ,भवानी नेगी,इंडियन एक्सप्रेस के अश्वनी शर्मा ,द ट्रिब्यून से प्रतिभा चौहान,दैनिक जागरण से प्रकाश भारद्वाज,हिमाचल दस्तक से राजेश मंढोत्रा,ईटीवी के संवादक शशि भूषण शैल साप्ताहिक के संपादक बलदेेव शर्मा समेत 25 से 28 पत्रकार शामिल है जिन्होंने एडीीएम प्रोटोकॉल को शिकायत भेज कर चुनावोंं को टालने की मांग की थी।
एडीएम ने पत्रकारों का मामला देख शिकायत को रजिस्ट्रार सोसायटी को भेज दिया। आज दोपहर को रजिस्ट्रार को आपरेटिव सोसायटी ने जिला प्रशासन को मामले की जांच के आदेश दे दिए। चूंकि प्रेस क्लब की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है इसलिए इसे स्टेे नहीं किया जा सकता।
लेकिन चुनाव हो जाने केे बाद चुनावों को चुनौती जरूर दी जा सकती है।
पत्रकारों की ओर से एडीीएम प्रोटोकॉल सुनील शर्मा को लिखी गई शिकायत मेंं 10 बिंदुओं को उठाया गया है । इन पत्रकारों ने शिकायत में लिखा है कि प्रेस क्लब के चुनाव प्रेस क्लब की आम सभा की बैठक कराए बगैर घोषित कर दिए है।ये चुनाव जल्दबाजी में वितीय मसलोें को दबाने केे लिए कराए जा रहे है। वितीय मामलोंं से अधिकांश सदस्य अंधेरे में है।प्रेस क्लब के वार्षिक लेखे सार्वजनकि नहीं किए जा रहे है।सदस्यों के डिफाल्टर होने का मसला भी उठाया गया है।इसके अलावा ये भी कहा गया है कि कई सदस्यों की सदस्यता भी संदेह के घेरे में है।बहरहाल रिपोर्ट्र्स्र्स आइ डॉट कॉम ने रजिस्ट्रार को-आरपरेटिव सोसायटी से शिकाायत की प्रति हासिल की है।उधर,इन चुनावोंं के लिए प्रचार जोरोंं पर है।लेकिन अब ये देखना है कि क्या जिन पत्रकारोंं ने शिकायत की है वो वोट डालेंगे या नहीं।इससे पहले 4 दिसंबर 2014 को पत्रकार आर के चुटानी ने भी प्रेस क्लब के प्रधान व प्रशासन को एक शिकायत लिखी थी जिस पर एडीएम शिमला ने 17जनवरी2014 को प्रेस क्लब के प्रधान को कानून व एक्ट के मुताबिक काम करने व चुनाव करने को कहा था। लेकिन तब चुनाव नहीं हुए थे।
यहां पढ़े पत्रकारों की ओर से लिखी दो पृष्ठोंं की ये चिटठी-:
(0)